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पुरानी पेंशन बहाल नहीं हुई तो चुनाव में सिखाएंगे सबक: शिक्षकों, कर्मचारियों, अधिकारियों व पेंशनर्स ने भरी हुंकार
अमर उजाला नेटवर्क, लखनऊ
Published by: शाहरुख खान
Updated Wed, 01 Dec 2021 12:01 AM IST
सार
उत्तर प्रदेश शिक्षक, कर्मचारी, अधिकारी और पेंशनर्स अधिकार मंच के बैनर तले आयोजित महारैली में मंच के अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाल नहीं हुई तो विधानसभा चुनाव में प्रदेश सरकार को सबक सिखाएंगे।
शिक्षकों, कर्मचारियों का प्रदर्शन
- फोटो : अमर उजाला
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पुरानी पेंशन बहाली, शिक्षकों की लंबित पदोन्नति जल्द करने, शिक्षकों और कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर करने सहित अन्य मांगों को लेकर प्रदेश के शिक्षकों, कर्मचारियों, अधिकारियों और पेंशनर्स ने मंगलवार को राजधानी के ईको गार्डन में हुंकार भरी।
उत्तर प्रदेश शिक्षक, कर्मचारी, अधिकारी और पेंशनर्स अधिकार मंच के बैनर तले आयोजित महारैली में मंच के अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाल नहीं हुई तो विधानसभा चुनाव में प्रदेश सरकार को सबक सिखाएंगे।
सिर पर सफेद टोपी लगाए शिक्षक व कर्मचारियों से खचाखच भरे ईको गार्डन में ‘चाहे जो मजबूरी हो, हमारी मांगे पूरी हो’, ‘जाति धर्म का भेद मिटाओ, पुरानी पेंशन बहाल कराओ’, ‘पुरानी पेंशन अधिकार है, बुढ़ापे का आधार है’ जैसे नारे गूंज रहे थे। डॉ. शर्मा ने कहा कि पहले सरकारें कर्मचारियों व शिक्षकों की समस्याओं को सुनकर उनके निराकरण का प्रयास करती थी, लेकिन यह पहली सरकार है, जो कर्मचारियों के लंबे संघर्ष से हासिल उपलब्धियों व अधिकारों को छीन रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते का 10 हजार करोड़ का भुगतान रोका हुआ है। एक दर्जन से अधिक भत्ते खत्म कर दिए है। बेसिक शिक्षा में प्रधानाध्यापकों के हजारों पद समाप्त कर दिए हैं। पिछले पांच वर्ष के कार्यकाल में एक भी शिक्षक को पदोन्नति नहीं दी गई है। शिक्षामित्र व अनुदेशकों को भुखमरी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया गया है। आंगनबाड़ियों व रसोइया भी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं।
वहीं, मंच के प्रधान महासचिव सुशील त्रिपाठी ने कहा कि सरकार कर्मचारियों के साथ सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है। इस महारैली ने यह साबित कर दिया कि शिक्षकों व कर्मचारियों में सरकार के प्रति बहुत आक्रोश है।
इसके खामियाजा सरकार को आने वाले विधानसभा चुनाव में चुकाना पड़ सकता है। विधान परिषद सदस्य ध्रुव कुमार त्रिपाठी, सुरेश त्रिपाठी और डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ के महासचिव जीएन सिंह सहित अन्य कर्मचारी, शिक्षक और अधिकारी संगठनों के पदाधिकारियों ने भी महारैली को संबोधित किया।
सत्ता पलटने में भी सक्षम है मंच
उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर हरिकिशोर तिवारी ने कहा कि संविदा कर्मियों को नियमित नहीं किया जा रहा है। वहीं, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष हेम सिंह पुंडीर ने कहा कि पुरानी पेंशन कर्मचारियों और शिक्षकों का अधिकार है।
सरकार लगातार कर्मचारियों और शिक्षकों के खिलाफ निर्णय ले रही है। तो उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के महामंत्री संजय सिंह ने सवाल उठाया कि जब विधायक और सांसद को पांच साल के कार्यकाल पर पेंशन मिलती है। तब कर्मचारियों, अधिकारियों और शिक्षकों को 30-35 सालों की सेवा के बाद भी पेंशन क्यों नहीं दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो मंच सत्ता पलटने में भी सक्षम है।
विस्तार
पुरानी पेंशन बहाली, शिक्षकों की लंबित पदोन्नति जल्द करने, शिक्षकों और कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर करने सहित अन्य मांगों को लेकर प्रदेश के शिक्षकों, कर्मचारियों, अधिकारियों और पेंशनर्स ने मंगलवार को राजधानी के ईको गार्डन में हुंकार भरी।
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उत्तर प्रदेश शिक्षक, कर्मचारी, अधिकारी और पेंशनर्स अधिकार मंच के बैनर तले आयोजित महारैली में मंच के अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाल नहीं हुई तो विधानसभा चुनाव में प्रदेश सरकार को सबक सिखाएंगे।
सिर पर सफेद टोपी लगाए शिक्षक व कर्मचारियों से खचाखच भरे ईको गार्डन में ‘चाहे जो मजबूरी हो, हमारी मांगे पूरी हो’, ‘जाति धर्म का भेद मिटाओ, पुरानी पेंशन बहाल कराओ’, ‘पुरानी पेंशन अधिकार है, बुढ़ापे का आधार है’ जैसे नारे गूंज रहे थे। डॉ. शर्मा ने कहा कि पहले सरकारें कर्मचारियों व शिक्षकों की समस्याओं को सुनकर उनके निराकरण का प्रयास करती थी, लेकिन यह पहली सरकार है, जो कर्मचारियों के लंबे संघर्ष से हासिल उपलब्धियों व अधिकारों को छीन रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते का 10 हजार करोड़ का भुगतान रोका हुआ है। एक दर्जन से अधिक भत्ते खत्म कर दिए है। बेसिक शिक्षा में प्रधानाध्यापकों के हजारों पद समाप्त कर दिए हैं। पिछले पांच वर्ष के कार्यकाल में एक भी शिक्षक को पदोन्नति नहीं दी गई है। शिक्षामित्र व अनुदेशकों को भुखमरी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया गया है। आंगनबाड़ियों व रसोइया भी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं।
वहीं, मंच के प्रधान महासचिव सुशील त्रिपाठी ने कहा कि सरकार कर्मचारियों के साथ सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है। इस महारैली ने यह साबित कर दिया कि शिक्षकों व कर्मचारियों में सरकार के प्रति बहुत आक्रोश है।
इसके खामियाजा सरकार को आने वाले विधानसभा चुनाव में चुकाना पड़ सकता है। विधान परिषद सदस्य ध्रुव कुमार त्रिपाठी, सुरेश त्रिपाठी और डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ के महासचिव जीएन सिंह सहित अन्य कर्मचारी, शिक्षक और अधिकारी संगठनों के पदाधिकारियों ने भी महारैली को संबोधित किया।
सत्ता पलटने में भी सक्षम है मंच
उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर हरिकिशोर तिवारी ने कहा कि संविदा कर्मियों को नियमित नहीं किया जा रहा है। वहीं, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष हेम सिंह पुंडीर ने कहा कि पुरानी पेंशन कर्मचारियों और शिक्षकों का अधिकार है।
सरकार लगातार कर्मचारियों और शिक्षकों के खिलाफ निर्णय ले रही है। तो उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के महामंत्री संजय सिंह ने सवाल उठाया कि जब विधायक और सांसद को पांच साल के कार्यकाल पर पेंशन मिलती है। तब कर्मचारियों, अधिकारियों और शिक्षकों को 30-35 सालों की सेवा के बाद भी पेंशन क्यों नहीं दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो मंच सत्ता पलटने में भी सक्षम है।
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