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यूपी के उन्नाव जिले से भाजपा सांसद साक्षी महाराज को लखनऊ स्थित सीबीआई कोर्ट ने फरार घोषित कर दिया है। सीबीआई के वकील आरके यादव के मुताबिक, बाबरी ध्वंस मामले में साक्षी महाराज के साथ एक अन्य सांसद के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था।
यादव ने बताया कि महाराज को इसी मामले में फरार घोषित किया गया है। मुमकिन है कि गिरफ्तारी से बचने की फिराक में साक्षी महाराज अंडरग्राउंड हो गए हैं। कोर्ट में पेश न होने के कारण या पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर ही उन्हें फरार करार दिया गया है।
अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले की सुनवाई के दौरान 15 जुलाई को कोर्ट में हाजिर न होने पर गोंडा से भाजपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह, उन्नाव
से भाजपा सांसद साक्षी महाराज सहित छह आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट
जारी किया गया था।
विशेष न्यायाधीश शशिमौलि तिवारी ने मामले की सुनवाई के लिए 19 जुलाई की तारीख तय की थी। सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने आखिरकार साक्षी महाराज को फरार घोषित कर दिया।
इससे
पहले, मामले की सुनवाई के समय इंडियन एक्सप्रेस के फोटोग्राफर प्रवीण जैन
तथा रोहतक निवासी विजेंद्र सिंह अपनी गवाही दर्ज कराने के लिए कोर्ट में
हाजिर थे जबकि सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह और साक्षी महाराज के अलावा पवन
पांडेय, अमरनाथ, विजयभान गोयल तथा रामचंद्र खत्री कोर्ट में हाजिर नहीं
हुए थे।
15 जुलाई को अदालत में पेश न होने के लिए दोनों सांसदों की ओर से लगाई गई अर्जी दी गई थी। हालांकि, सुनवाई के समय इनके अधिवक्ता भी कोर्ट में हाजिर नहीं थे।
इस पर विशेष कोर्ट ने आरोपियों की हाजिरी माफ करने की मांग वाली अर्जी खारिज करते हुए इनके खिलाफ वारंट जारी कर दिया था।
वहीं
इसी मामले के आरोपी फैजाबाद के तत्कालीन डीएम आरएन श्रीवास्तव सहित अन्य
आरोपियों के वकील कोर्ट में हाजिर हुए तथा हाजिरी माफी की अर्जी दी जिसे
कोर्ट ने मंजूर कर लिया था।
मामले में सरकार की ओर से नियुक्त वकील
रामकुमार यादव ने बताया कि आरोपियों के वकील के कोर्ट में हाजिर न होने की
वजह से गवाहों की गवाही दर्ज नहीं की जा सकी और उन्हें वापस भेज दिया गया था।
अभियोजन के अनुसार सीबीआई ने मामले में 49 आरोपियों के खिलाफ 4
अक्तूबर 1993 को चार्जशीट लगाई थी। विशेष न्यायालय ने शिवसेना नेता बाला
साहेब ठाकरे, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, रामविलास वेदांती, महंत
अवेद्यनाथ सहित 13 आरोपियों को मामले से आरोपमुक्त कर दिया था।
वहीं
विशेष कोर्ट के इस आदेश की हाईकोर्ट से पुष्टि हो जाने के बाद सीबीआई ने
सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश के खिलाफ एसएलपी दाखिल की थी।
इस मामले
में आरोपित किए गए अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली
मनोहर जोशी, विष्णु हरि डालमिया, विनय कटियार, उमा भारती तथा साध्वी ऋतंभरा
पर लगाए गए आरोपों की मजिस्ट्रेटी ट्रायल होनी थी, इसलिए इन आरोपियों के
मामले रायबरेली की विशेष कोर्ट में स्थानांतरित कर दिए गए।
लखनऊ में
कुल 28 आरोपियों की सुनवाई चल रही है जबकि सीबीआई द्वारा आरोपित किए गए 49
आरोपियों में से 10 आरोपियों की मृत्यु हो चुकी है।
यूपी के उन्नाव जिले से भाजपा सांसद साक्षी महाराज को लखनऊ स्थित सीबीआई कोर्ट ने फरार घोषित कर दिया है। सीबीआई के वकील आरके यादव के मुताबिक, बाबरी ध्वंस मामले में साक्षी महाराज के साथ एक अन्य सांसद के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था।
यादव ने बताया कि महाराज को इसी मामले में फरार घोषित किया गया है। मुमकिन है कि गिरफ्तारी से बचने की फिराक में साक्षी महाराज अंडरग्राउंड हो गए हैं। कोर्ट में पेश न होने के कारण या पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर ही उन्हें फरार करार दिया गया है।
पहले भी नहीं हुए थे कोर्ट में पेश
अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले की सुनवाई के दौरान 15 जुलाई को कोर्ट में हाजिर न होने पर गोंडा से भाजपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह, उन्नाव
से भाजपा सांसद साक्षी महाराज सहित छह आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट
जारी किया गया था।
विशेष न्यायाधीश शशिमौलि तिवारी ने मामले की सुनवाई के लिए 19 जुलाई की तारीख तय की थी। सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने आखिरकार साक्षी महाराज को फरार घोषित कर दिया।
इससे
पहले, मामले की सुनवाई के समय इंडियन एक्सप्रेस के फोटोग्राफर प्रवीण जैन
तथा रोहतक निवासी विजेंद्र सिंह अपनी गवाही दर्ज कराने के लिए कोर्ट में
हाजिर थे जबकि सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह और साक्षी महाराज के अलावा पवन
पांडेय, अमरनाथ, विजयभान गोयल तथा रामचंद्र खत्री कोर्ट में हाजिर नहीं
हुए थे।
लगाई थी हाजिरी माफ करने की अपील
15 जुलाई को अदालत में पेश न होने के लिए दोनों सांसदों की ओर से लगाई गई अर्जी दी गई थी। हालांकि, सुनवाई के समय इनके अधिवक्ता भी कोर्ट में हाजिर नहीं थे।
इस पर विशेष कोर्ट ने आरोपियों की हाजिरी माफ करने की मांग वाली अर्जी खारिज करते हुए इनके खिलाफ वारंट जारी कर दिया था।
वहीं
इसी मामले के आरोपी फैजाबाद के तत्कालीन डीएम आरएन श्रीवास्तव सहित अन्य
आरोपियों के वकील कोर्ट में हाजिर हुए तथा हाजिरी माफी की अर्जी दी जिसे
कोर्ट ने मंजूर कर लिया था।
मामले में सरकार की ओर से नियुक्त वकील
रामकुमार यादव ने बताया कि आरोपियों के वकील के कोर्ट में हाजिर न होने की
वजह से गवाहों की गवाही दर्ज नहीं की जा सकी और उन्हें वापस भेज दिया गया था।
1993 से चल रहा है मामला
अभियोजन के अनुसार सीबीआई ने मामले में 49 आरोपियों के खिलाफ 4
अक्तूबर 1993 को चार्जशीट लगाई थी। विशेष न्यायालय ने शिवसेना नेता बाला
साहेब ठाकरे, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, रामविलास वेदांती, महंत
अवेद्यनाथ सहित 13 आरोपियों को मामले से आरोपमुक्त कर दिया था।
वहीं
विशेष कोर्ट के इस आदेश की हाईकोर्ट से पुष्टि हो जाने के बाद सीबीआई ने
सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश के खिलाफ एसएलपी दाखिल की थी।
इस मामले
में आरोपित किए गए अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली
मनोहर जोशी, विष्णु हरि डालमिया, विनय कटियार, उमा भारती तथा साध्वी ऋतंभरा
पर लगाए गए आरोपों की मजिस्ट्रेटी ट्रायल होनी थी, इसलिए इन आरोपियों के
मामले रायबरेली की विशेष कोर्ट में स्थानांतरित कर दिए गए।
लखनऊ में
कुल 28 आरोपियों की सुनवाई चल रही है जबकि सीबीआई द्वारा आरोपित किए गए 49
आरोपियों में से 10 आरोपियों की मृत्यु हो चुकी है।