न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जम्मू
Published by: प्रशांत कुमार
Updated Fri, 23 Jul 2021 04:17 PM IST
पांच अगस्त 2019 के बाद से ही एक के बाद एक कानून अवैध तरीके से थोपने का सिलसिला जारी है। इन कानूनों से फायदे या नुकसान अभी व्यक्तिगत या सामुदायिक फायदों पर तो चर्चा की जा सकती है, लेकिन असल मुद्दा यह है कि ऐसे कानून कौन ला रहा है और क्यों ला रहा है। इसी पर पीडीपी को ऐतराज भी है और पार्टी सवाल भी उठाती रहेगी। यह बात पीडीपी के प्रवक्ता सुहैल बुखारी ने कही।
वहीं, इकजुट जम्मू के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट अंकुर शर्मा ने डोमिसाल नियमों में नए संशोधन का स्वागत करते हुए कहा कि इससे प्रदेश की आधी आबादी के साथ इंसाफ हुआ है। इस मामले में सरकार देर से जागी, लेकिन दुरुस्त कदम उठाया गया है। उनका कहना है कि अनुच्छेद 370 व 35ए के रहते जम्मू-कश्मीर में सत्ता में रहे कश्मीरियों की मानसिकता का प्रभाव रहा और इसका खामियाजा महिलाओं को भुगतना पड़ा। हालांकि, एडवोकेट अंकुर शर्मा का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में पांच फीसदी नौकरी सरकारी क्षेत्र में हैं और 95 फीसदी नौकरियां निजी क्षेत्र में हैं। ऐसे में सरकार को निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करना चाहिए।
महिलाओं को सभी अधिकार मिलें : राणा
नेकां के संभागीय अध्यक्ष देवेंद्र सिंह राणा का कहना है कि उनकी सरकार के कार्यकाल के दौरान उन्होंने विधानसभा फ्लोर में बहस के दौरान 35-ए में संशोधन लाकर स्टेट सब्जेक्ट कानून के तहत महिलाओं को पुरुषों की समान सभी अधिकार देने की मांग की थी। जम्मू-कश्मीर की महिलाओं को सभी अधिकार दिए जाने चाहिए।
विस्तार
पांच अगस्त 2019 के बाद से ही एक के बाद एक कानून अवैध तरीके से थोपने का सिलसिला जारी है। इन कानूनों से फायदे या नुकसान अभी व्यक्तिगत या सामुदायिक फायदों पर तो चर्चा की जा सकती है, लेकिन असल मुद्दा यह है कि ऐसे कानून कौन ला रहा है और क्यों ला रहा है। इसी पर पीडीपी को ऐतराज भी है और पार्टी सवाल भी उठाती रहेगी। यह बात पीडीपी के प्रवक्ता सुहैल बुखारी ने कही।
वहीं, इकजुट जम्मू के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट अंकुर शर्मा ने डोमिसाल नियमों में नए संशोधन का स्वागत करते हुए कहा कि इससे प्रदेश की आधी आबादी के साथ इंसाफ हुआ है। इस मामले में सरकार देर से जागी, लेकिन दुरुस्त कदम उठाया गया है। उनका कहना है कि अनुच्छेद 370 व 35ए के रहते जम्मू-कश्मीर में सत्ता में रहे कश्मीरियों की मानसिकता का प्रभाव रहा और इसका खामियाजा महिलाओं को भुगतना पड़ा। हालांकि, एडवोकेट अंकुर शर्मा का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में पांच फीसदी नौकरी सरकारी क्षेत्र में हैं और 95 फीसदी नौकरियां निजी क्षेत्र में हैं। ऐसे में सरकार को निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करना चाहिए।
महिलाओं को सभी अधिकार मिलें : राणा
नेकां के संभागीय अध्यक्ष देवेंद्र सिंह राणा का कहना है कि उनकी सरकार के कार्यकाल के दौरान उन्होंने विधानसभा फ्लोर में बहस के दौरान 35-ए में संशोधन लाकर स्टेट सब्जेक्ट कानून के तहत महिलाओं को पुरुषों की समान सभी अधिकार देने की मांग की थी। जम्मू-कश्मीर की महिलाओं को सभी अधिकार दिए जाने चाहिए।