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जम्मू। हाईकोर्ट ने मुदसिर बशीर नाम के उम्मीदवार को बतौर मुंसिफ नियुक्त करने का आदेश दिया है। जस्टिस संजीव कुमार और विनोद चटर्जी कौल वाली खंडपीठ ने मुदसिर बशीर की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की।
कानून विभाग को आदेश दिया कि वह बशीर को बतौर मुंसिफ नियुक्त करे। मामला यह है कि 2018 में कानून विभाग ने 42 सिविल जजों के पदों पर नियुक्ति करने के लिए पब्लिक सर्विस कमीशन से कहा था। इसके बाद प्रक्रिया हुई। अपीलकर्ता बशीर का नाम भी आया, लेकिन उससे कम अंक वाले उम्मीदवार को चुन लिया गया, बशीर से कहा गया कि उसके वाइवे में नंबर कम हैं। हाईकोर्ट ने दोनों तरफ की दलीलें सुनने के बाद बशीर को उक्त पद पर योग्य बताया और कानून विभाग से कहा कि उसे मुंसिफ के तौर पर नियुक्त करे। चार हफ्तों के भीतर सरकार को इसे लेकर आदेश दिया गया है। जेएनएफ
पब्लिक सेफ्टी एक्ट 1978 को हाईकोर्ट में दी चुनौती
जम्मू। पब्लिक सेफ्टी एक्ट 1978 की धारा 18 की संवैधानिक वैधता को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट ने इस पर प्रदेश के मुख्य सचिव, कानून विभाग के सचिव से चार हफ्तों के भीतर जवाब मांगा है।
जस्टिस धीरज सिंह ठाकुर और जावेद इकबाल वाली खंडपीठ ने इस मामले से जुड़ी याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की। मुस्तफा हाजी की ओर से याचिका दायर की गई थी। दोनों तरफ की दलीलें सुनने के बाद मुख्य सचिव और कानून विभाग के सचिव को नोटिस दिया गया। चार हफ्तों के भीतर इसका जवाब देने को कहा गया है। एडवोकेट जुल्कर नैन शेख ने दलील दी कि पब्लिक सेफ्टी एक्ट 1978 भारतीय संविधान के आर्टिकल 22 (7) का उल्लंघन है। जब 370 हटा और प्रदेश से विशेष राज्य का दर्जा ले लिया गया तो उसी के साथ ही इस एक्ट की ताकत खत्म हो गई थी। पुनर्गठन होने के बाद यह एक्ट अब लागू नहीं रहा। केंद्र के सेफ्टी एक्ट में एक साल की सजा का प्रावधान है और प्रदेश के एक्ट में दो साल की सजा है। वहीं सरकार की तरफ से पेश हुए एडवोकेट जनरल डीसी रैना ने कोर्ट से इस मामले में जवाब देने के लिए वक्त मांगा और कोर्ट ने चार हफ्तों का समय दिया। एडवोकेट शेख ने यह भी कहा कि केंद्र के नेशनल सिक्योरिटी एक्ट और प्रदेश के पब्लिक सेफ्टी एक्ट एक साथ लागू होने में सीधा सीधा दोनों में विवाद है। जेएनएफ
जम्मू। हाईकोर्ट ने मुदसिर बशीर नाम के उम्मीदवार को बतौर मुंसिफ नियुक्त करने का आदेश दिया है। जस्टिस संजीव कुमार और विनोद चटर्जी कौल वाली खंडपीठ ने मुदसिर बशीर की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की।
कानून विभाग को आदेश दिया कि वह बशीर को बतौर मुंसिफ नियुक्त करे। मामला यह है कि 2018 में कानून विभाग ने 42 सिविल जजों के पदों पर नियुक्ति करने के लिए पब्लिक सर्विस कमीशन से कहा था। इसके बाद प्रक्रिया हुई। अपीलकर्ता बशीर का नाम भी आया, लेकिन उससे कम अंक वाले उम्मीदवार को चुन लिया गया, बशीर से कहा गया कि उसके वाइवे में नंबर कम हैं। हाईकोर्ट ने दोनों तरफ की दलीलें सुनने के बाद बशीर को उक्त पद पर योग्य बताया और कानून विभाग से कहा कि उसे मुंसिफ के तौर पर नियुक्त करे। चार हफ्तों के भीतर सरकार को इसे लेकर आदेश दिया गया है। जेएनएफ
पब्लिक सेफ्टी एक्ट 1978 को हाईकोर्ट में दी चुनौती
जम्मू। पब्लिक सेफ्टी एक्ट 1978 की धारा 18 की संवैधानिक वैधता को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट ने इस पर प्रदेश के मुख्य सचिव, कानून विभाग के सचिव से चार हफ्तों के भीतर जवाब मांगा है।
जस्टिस धीरज सिंह ठाकुर और जावेद इकबाल वाली खंडपीठ ने इस मामले से जुड़ी याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की। मुस्तफा हाजी की ओर से याचिका दायर की गई थी। दोनों तरफ की दलीलें सुनने के बाद मुख्य सचिव और कानून विभाग के सचिव को नोटिस दिया गया। चार हफ्तों के भीतर इसका जवाब देने को कहा गया है। एडवोकेट जुल्कर नैन शेख ने दलील दी कि पब्लिक सेफ्टी एक्ट 1978 भारतीय संविधान के आर्टिकल 22 (7) का उल्लंघन है। जब 370 हटा और प्रदेश से विशेष राज्य का दर्जा ले लिया गया तो उसी के साथ ही इस एक्ट की ताकत खत्म हो गई थी। पुनर्गठन होने के बाद यह एक्ट अब लागू नहीं रहा। केंद्र के सेफ्टी एक्ट में एक साल की सजा का प्रावधान है और प्रदेश के एक्ट में दो साल की सजा है। वहीं सरकार की तरफ से पेश हुए एडवोकेट जनरल डीसी रैना ने कोर्ट से इस मामले में जवाब देने के लिए वक्त मांगा और कोर्ट ने चार हफ्तों का समय दिया। एडवोकेट शेख ने यह भी कहा कि केंद्र के नेशनल सिक्योरिटी एक्ट और प्रदेश के पब्लिक सेफ्टी एक्ट एक साथ लागू होने में सीधा सीधा दोनों में विवाद है। जेएनएफ