बेरोजगार युवाओं को समझाते वित्त मंत्री डॉ हसीब द्राबू के वायरल वीडियो में सरकारी खजाने पर मुलाजिमों की तनख्वाह के अत्यधिक बोझ के तर्क चर्चा का विषय बन गए हैं। वीडियो में द्राबू कुछ बेरोजगार युवाओं को सरकार की माली हालत का हवाला देकर कहते दिखाई दे रहे हैं कि अब सरकारी नौकरियों की गुंजाइश नहीं बची है, हालांकि वीडियो की सत्यता प्रमाणित नहीं हो सकी है।
कथित स्टिंग ऑपरेशन में युवाओं का एक प्रतिनिधिमंडल द्राबू से कह रहा है कि वे रियासत की साठ फीसदी अर्थव्यवस्था का आधार बन सकते हैं यदि उनके सुझाव मान लिए जाएं। इस पर द्राबू कहते नजर आ रहे हैं कि वे अर्थव्यवस्था के बारे में उनसे ज्यादा जानते हैं। द्राबू सलाह देते हैं, बेहतर होगा युवा चार से पांच का समूह तैयार करें, सरकार उन्हें मोबाइल वैन उपलब्ध कराएगी।
पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) की तर्ज पर युवाओं को काम दिया जा सकता है। वे समझाते हैं कि बिहार राज्य जम्मू-कश्मीर से पांच गुना बड़ा है लेकिन वहां पर केवल 4 लाख सरकारी मुलाजिम हैं। इसकी तुलना में जम्मू-कश्मीर में 4.75 लाख मुलाजिम हैं।
वे इन मुलाजिमों को बिना काम के 22 हजार करोड़ का वेतन दे रहे हैं। ऐसे में आप भी नौकरी पाने के बाद क्या करने वाले हो वे, जानते हैं। द्राबू कहते हैं, जम्मू-कश्मीर की 1.25 करोड़ की आबादी में मुलाजिमों की इतनी बड़ी जमात में नई भर्ती करने की गुंजायश नहीं है।
इस वीडियो को बेरोजगार वेटनरी डाक्टरों के प्रतिनिधिमंडल से जोड़कर देखा जा रहा है। वायरल वीडियो को लेकर वित्त मंत्री से बात करनी चाही लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।
बेरोजगार युवाओं को समझाते वित्त मंत्री डॉ हसीब द्राबू के वायरल वीडियो में सरकारी खजाने पर मुलाजिमों की तनख्वाह के अत्यधिक बोझ के तर्क चर्चा का विषय बन गए हैं। वीडियो में द्राबू कुछ बेरोजगार युवाओं को सरकार की माली हालत का हवाला देकर कहते दिखाई दे रहे हैं कि अब सरकारी नौकरियों की गुंजाइश नहीं बची है, हालांकि वीडियो की सत्यता प्रमाणित नहीं हो सकी है।
कथित स्टिंग ऑपरेशन में युवाओं का एक प्रतिनिधिमंडल द्राबू से कह रहा है कि वे रियासत की साठ फीसदी अर्थव्यवस्था का आधार बन सकते हैं यदि उनके सुझाव मान लिए जाएं। इस पर द्राबू कहते नजर आ रहे हैं कि वे अर्थव्यवस्था के बारे में उनसे ज्यादा जानते हैं। द्राबू सलाह देते हैं, बेहतर होगा युवा चार से पांच का समूह तैयार करें, सरकार उन्हें मोबाइल वैन उपलब्ध कराएगी।
पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) की तर्ज पर युवाओं को काम दिया जा सकता है। वे समझाते हैं कि बिहार राज्य जम्मू-कश्मीर से पांच गुना बड़ा है लेकिन वहां पर केवल 4 लाख सरकारी मुलाजिम हैं। इसकी तुलना में जम्मू-कश्मीर में 4.75 लाख मुलाजिम हैं।