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उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू के सलाहकार फारूक खान ने कहा है कि कोरोना की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन तीन मई के बाद भी एक साथ नहीं खोला जाएगा। उन्होंने कहा कि सबसे पहले उन्हीं इलाकों में छूट दी जाएगी, जहां हालात ठीक होंगे।
जिले में कोरोना से बचाव के लिए किए गए इंतजामों का जायजा लेने आए खान ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि लॉकडाउन खोलने के मामले में विश्लेषक अपना काम करेंगे। देखा जाएगा कि किस स्थान पर लॉकडाउन खोला जा सकता है और वहां कितनी छूट दी जानी चाहिए।
हर स्थान की अपनी जरूरत होती है और उसी के अनुसार लॉकडाउन भी खुलेगा। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में कोरोना के सामूहिक परीक्षण को लेकर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। फिलहाल, जिला स्तर पर टेस्टिंग हो रही है।
वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए केंद्र शासित प्रदेश में हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ दिन-रात काम कर रहा है। पुलिस ने भी कड़ी मेहनत के साथ स्थिति को संभाला हुआ है।
सलाहकार ने कहा कि प्रदेश में सात लाख से ज्यादा पंजीकृत श्रमिकों के खाते में करीब 15 दिन पहले एक-एक हजार रुपये जमा कर दिए गए थे। आने वाले दिनों में और भी राशि जमा करवाई जाएगी।
जम्मू-कश्मीर के रहने वाले 67 हजार से ज्यादा मजदूर बाहरी राज्यों में फंसे हुए हैं और उनकी भी मदद का प्रयास किया जा रहा है। उनके नाम व नंबर की सूची सरकार के पास पहुंच चुकी है।
उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू के सलाहकार फारूक खान ने कहा है कि कोरोना की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन तीन मई के बाद भी एक साथ नहीं खोला जाएगा। उन्होंने कहा कि सबसे पहले उन्हीं इलाकों में छूट दी जाएगी, जहां हालात ठीक होंगे।
जिले में कोरोना से बचाव के लिए किए गए इंतजामों का जायजा लेने आए खान ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि लॉकडाउन खोलने के मामले में विश्लेषक अपना काम करेंगे। देखा जाएगा कि किस स्थान पर लॉकडाउन खोला जा सकता है और वहां कितनी छूट दी जानी चाहिए।
हर स्थान की अपनी जरूरत होती है और उसी के अनुसार लॉकडाउन भी खुलेगा। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में कोरोना के सामूहिक परीक्षण को लेकर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। फिलहाल, जिला स्तर पर टेस्टिंग हो रही है।
वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए केंद्र शासित प्रदेश में हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ दिन-रात काम कर रहा है। पुलिस ने भी कड़ी मेहनत के साथ स्थिति को संभाला हुआ है।
सलाहकार ने कहा कि प्रदेश में सात लाख से ज्यादा पंजीकृत श्रमिकों के खाते में करीब 15 दिन पहले एक-एक हजार रुपये जमा कर दिए गए थे। आने वाले दिनों में और भी राशि जमा करवाई जाएगी।
जम्मू-कश्मीर के रहने वाले 67 हजार से ज्यादा मजदूर बाहरी राज्यों में फंसे हुए हैं और उनकी भी मदद का प्रयास किया जा रहा है। उनके नाम व नंबर की सूची सरकार के पास पहुंच चुकी है।