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यमुनानगर। वाहनों के फर्जी पंजीकरण मामले में एसआईटी ने आरोपी अमित और राजेंद्र को मंगलवार को फिर से कोर्ट में पेश कर पांच-पांच दिन के रिमांड की मांग की। जिस पर कोर्ट ने उन्हें तीन दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। जांच अधिकारियों का कहना है कि अकेले जगाधरी एसडीएम कार्यालय में कई हजार फाइलों में हेराफेरी करने का शक है। जिसमें हरियाणा सरकार को कई करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान पहुंचाया गया है। इससे ना सिर्फ हरियाणा सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ बल्कि जिस राज्य से गाड़ियां ली जाती थी। वहां भी राजस्व का नुकसान पहुंचाया गया है। इसके अलावा गाड़ी की कीमत भी कम दिखाई जाती थी। गिरफ्तारी के दौरान पूछताछ में एक आरोपी ने एक हजार के करीब फाइल बताई है। जिनमें फर्जी रजिस्ट्रेशन हुआ है। लेकिन सही संख्या डाटा इकट्ठा किए जाने के बाद सामने आएगी। जांच अधिकारी राकेश मटोरिया ने बताया कि इस मामले में गठित एसआईटी बहुत तेजी से जांच कर रही है। यह लोग फाइनेंस कंपनियों के द्वारा नीलाम की गई गाड़ियों को खरीदते थे और उनके फर्जी बिल बनाए जाते थे। दरअसल गाड़ियों के फर्जी रजिस्ट्रेशन का खेल उस समय सामने आया जब सिरसा पुलिस ने सुनील चितकारा नाम के व्यक्ति को गिरफ्तार किया। जो जगाधरी रजिस्ट्रेशन कार्यालय से गाड़ियां रजिस्टर्ड करवा कर बेचता था। धीरे-धीरे परतें खुलने लगी और पता चला कि बिलासपुर का वाहन रजिस्ट्रेशन कार्यालय भी इसमें शामिल है। अभी तक तीन गिरफ्तारियां हुई हैं और लोगों कई लोगों की गिरफ्तारियां बाकी है। पहले सिरसा पुलिस ने इस केस के मास्टर माइंड सुनील चितकारा को रिमांड पर लेकर पूछताछ की थी। अब यमुनानगर पुलिस ने उसे दस दिन के रिमांड पर लिया है।
जांच अधिकारी ने ये भी बताया कि हरियाणा ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों तक इनका जाल फैला हुआ था और ये लोग नीलामी की गाड़ियां खरीदकर फर्जी कागजातों पर रजिस्ट्रेशन करवाते थे। फिर इन गाड़ियों को हरियाणा और अन्य प्रदेशों में भी बेच देते थे। यह बड़ा फजीवाड़ा हो सकता है। एक आरोपी अमित से सिरसा पुलिस 25 लाख रुपये की रिकवरी भी कर चुकी है। वहीं यमुनानगर पुलिस ने संजीव से 25 हजार और राजेंद्र से एक लाख रुपये की रिकवरी की है। हालांकि अभी यह जांच लंबी चल सकती है।
यमुनानगर। वाहनों के फर्जी पंजीकरण मामले में एसआईटी ने आरोपी अमित और राजेंद्र को मंगलवार को फिर से कोर्ट में पेश कर पांच-पांच दिन के रिमांड की मांग की। जिस पर कोर्ट ने उन्हें तीन दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। जांच अधिकारियों का कहना है कि अकेले जगाधरी एसडीएम कार्यालय में कई हजार फाइलों में हेराफेरी करने का शक है। जिसमें हरियाणा सरकार को कई करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान पहुंचाया गया है। इससे ना सिर्फ हरियाणा सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ बल्कि जिस राज्य से गाड़ियां ली जाती थी। वहां भी राजस्व का नुकसान पहुंचाया गया है। इसके अलावा गाड़ी की कीमत भी कम दिखाई जाती थी। गिरफ्तारी के दौरान पूछताछ में एक आरोपी ने एक हजार के करीब फाइल बताई है। जिनमें फर्जी रजिस्ट्रेशन हुआ है। लेकिन सही संख्या डाटा इकट्ठा किए जाने के बाद सामने आएगी। जांच अधिकारी राकेश मटोरिया ने बताया कि इस मामले में गठित एसआईटी बहुत तेजी से जांच कर रही है। यह लोग फाइनेंस कंपनियों के द्वारा नीलाम की गई गाड़ियों को खरीदते थे और उनके फर्जी बिल बनाए जाते थे। दरअसल गाड़ियों के फर्जी रजिस्ट्रेशन का खेल उस समय सामने आया जब सिरसा पुलिस ने सुनील चितकारा नाम के व्यक्ति को गिरफ्तार किया। जो जगाधरी रजिस्ट्रेशन कार्यालय से गाड़ियां रजिस्टर्ड करवा कर बेचता था। धीरे-धीरे परतें खुलने लगी और पता चला कि बिलासपुर का वाहन रजिस्ट्रेशन कार्यालय भी इसमें शामिल है। अभी तक तीन गिरफ्तारियां हुई हैं और लोगों कई लोगों की गिरफ्तारियां बाकी है। पहले सिरसा पुलिस ने इस केस के मास्टर माइंड सुनील चितकारा को रिमांड पर लेकर पूछताछ की थी। अब यमुनानगर पुलिस ने उसे दस दिन के रिमांड पर लिया है।
जांच अधिकारी ने ये भी बताया कि हरियाणा ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों तक इनका जाल फैला हुआ था और ये लोग नीलामी की गाड़ियां खरीदकर फर्जी कागजातों पर रजिस्ट्रेशन करवाते थे। फिर इन गाड़ियों को हरियाणा और अन्य प्रदेशों में भी बेच देते थे। यह बड़ा फजीवाड़ा हो सकता है। एक आरोपी अमित से सिरसा पुलिस 25 लाख रुपये की रिकवरी भी कर चुकी है। वहीं यमुनानगर पुलिस ने संजीव से 25 हजार और राजेंद्र से एक लाख रुपये की रिकवरी की है। हालांकि अभी यह जांच लंबी चल सकती है।