प्रदेश कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान और आला नेतृत्व को विश्वास में लेने के लिए चल रहा द्वंद्व गहरा गया है। पार्टी पदाधिकारियों में आपसी विश्वास के समीकरण के साथ ही क्षेत्र का समीकरण भी बदलता नजर आ रहा है। वर्तमान में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा की रेवाड़ी में बढ़ती आवाजाही ने राजनीति गलियारे में हलचल पैदा कर दी है। राजनीति के जानकार इसे आने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं।
रेवाड़ी विधानसभा क्षेत्र शुरू से ही कांग्रेस का गढ़ रहा है। इस विधानसभा चुनाव को छोड़ दें तो पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव लगातार छह बार यहां सेे विधायक रहे हैं। कैप्टन यादव के प्रभाव को देखकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने स्वयं को रेवाड़ी से दूर ही रखा। पिछले दिनों कांग्रेस में हुए घटनाक्रम के बाद हुड्डा ने रेवाड़ी में भी अपनी दिलचस्पी दिखानी शुरू की है। यही कारण है कि दोनों पिता-पुत्र रेवाड़ी को समय देने लगे हैं।
अहीरवाल में रहा है हुड्डा का प्रभाव
बात करें तो वर्ष 2004 और 2009 के विधानसभा चुनाव में अधिकांश अहीरवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री का प्रभाव रहा है। रेवाड़ी में कैप्टन अजय सिंह यादव के कद ने हमेशा से ही पूर्व मुख्यमंत्री को परेशान किया। यही कारण रहा कि उन्होंने रेवाड़ी से दूरी बनाए रखी। पिछले दिनों कैप्टन अजय सिंह यादव के लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद से स्थिति में बदलाव आया है।
रेवाड़ी में बढ़ाया दखल
पहले भूपेंद्र सिंह हुड्डा का दखल रेवाड़ी के बावल और कोसली विधानसभा तक रहता था। अब उन्होंने रेवाड़ी में भी अपना पूरा दखल देना शुरू कर दिया है। बात चाहे पूर्व चेयरमैन राजेंद्र ठेकेदार के यहां जाने की हो या रेवाड़ी में अनाज मंडी की। दोनों पिता-पुत्र ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।
पूर्व संसदीय सचिव और मंत्री की भी भूमिका
पूर्व संसदीय सचिव राव दान सिंह और पूर्व मंत्री चौै. जसवंत सिंह की रेवाड़ी में हुड्डा की बढ़ाई जा रही चाय में खास भूमिका देखी जा रही है। राव दान सिंह महेंद्रगढ़ से लगातार तीन बार विधायक रहे हैं। वहीं चौ. जसवंत भी बावल से विधायक रह चुके हैं। दोनों ही हुड्डा की रेवाड़ी में पैठ बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान और आला नेतृत्व को विश्वास में लेने के लिए चल रहा द्वंद्व गहरा गया है। पार्टी पदाधिकारियों में आपसी विश्वास के समीकरण के साथ ही क्षेत्र का समीकरण भी बदलता नजर आ रहा है। वर्तमान में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा की रेवाड़ी में बढ़ती आवाजाही ने राजनीति गलियारे में हलचल पैदा कर दी है। राजनीति के जानकार इसे आने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं।
रेवाड़ी विधानसभा क्षेत्र शुरू से ही कांग्रेस का गढ़ रहा है। इस विधानसभा चुनाव को छोड़ दें तो पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव लगातार छह बार यहां सेे विधायक रहे हैं। कैप्टन यादव के प्रभाव को देखकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने स्वयं को रेवाड़ी से दूर ही रखा। पिछले दिनों कांग्रेस में हुए घटनाक्रम के बाद हुड्डा ने रेवाड़ी में भी अपनी दिलचस्पी दिखानी शुरू की है। यही कारण है कि दोनों पिता-पुत्र रेवाड़ी को समय देने लगे हैं।
अहीरवाल में रहा है हुड्डा का प्रभाव
बात करें तो वर्ष 2004 और 2009 के विधानसभा चुनाव में अधिकांश अहीरवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री का प्रभाव रहा है। रेवाड़ी में कैप्टन अजय सिंह यादव के कद ने हमेशा से ही पूर्व मुख्यमंत्री को परेशान किया। यही कारण रहा कि उन्होंने रेवाड़ी से दूरी बनाए रखी। पिछले दिनों कैप्टन अजय सिंह यादव के लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद से स्थिति में बदलाव आया है।
रेवाड़ी में बढ़ाया दखल
पहले भूपेंद्र सिंह हुड्डा का दखल रेवाड़ी के बावल और कोसली विधानसभा तक रहता था। अब उन्होंने रेवाड़ी में भी अपना पूरा दखल देना शुरू कर दिया है। बात चाहे पूर्व चेयरमैन राजेंद्र ठेकेदार के यहां जाने की हो या रेवाड़ी में अनाज मंडी की। दोनों पिता-पुत्र ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।
पूर्व संसदीय सचिव और मंत्री की भी भूमिका
पूर्व संसदीय सचिव राव दान सिंह और पूर्व मंत्री चौै. जसवंत सिंह की रेवाड़ी में हुड्डा की बढ़ाई जा रही चाय में खास भूमिका देखी जा रही है। राव दान सिंह महेंद्रगढ़ से लगातार तीन बार विधायक रहे हैं। वहीं चौ. जसवंत भी बावल से विधायक रह चुके हैं। दोनों ही हुड्डा की रेवाड़ी में पैठ बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।