पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
चंडीगढ़। करोड़ों की कर चोरी मामले में फंसे पंजाब के तीन आबकारी एवं कराधान अधिकारियों को बड़ा झटका देते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि रैकेट का पता लगाने के लिए हिरासत में जांच बेहद आवश्यक है।
हाईकोर्ट ने जमानत याचिका खारिज करते हुए इन अधिकारियों की वह दलील भी खारिज कर दी कि उनके खिलाफ जांच और कार्रवाई से पहले सेक्शन-17 ए के तहत संबंधित अथॉरिटी से इजाजत नहीं ली गई। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में सेक्शन-17 ए लागू नहीं होता। सेक्शन-17 ए को सरकारी अधिकारियों की ओर से नेक कार्य करते हुए सुरक्षा प्रदान करने के लिए लागू किया जाता है। सरकारी अधिकारी यदि आपराधिक कार्य में सम्मलित होता है तो उस स्थिति में पूर्व अनुमति अनिवार्य नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा कि यहां घोटाला करोड़ों का है और ऐसे में हिरासत में होने वाली जांच से पता चल सकेगा कि घोटाला कितना बड़ा है और इसमें कौन-कौन शामिल है। यदि जमानत दे दी गई तो जांच प्रभावित हो सकती है।
21 अगस्त, 2020 को विजिलेंस ब्यूरो ने आबकारी एवं कराधान विभाग के 12 अधिकारियों व 4 अन्य पर एफआईआर दर्ज की थी। इन पर ट्रांसपोर्ट्स से मिलीभगत कर करोड़ों के सरकारी पैसे के गबन का आरोप है। इसी मामले में जमानत के लिए अधिकारियों ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। पंजाब सरकार ने कहा कि इन सभी के खिलाफ विजिलेंस के पास पर्याप्त सबूत हैं। हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार की सभी दलीलों को स्वीकार कर जमानत याचिकाएं खारिज कर दी।
चंडीगढ़। करोड़ों की कर चोरी मामले में फंसे पंजाब के तीन आबकारी एवं कराधान अधिकारियों को बड़ा झटका देते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि रैकेट का पता लगाने के लिए हिरासत में जांच बेहद आवश्यक है।
हाईकोर्ट ने जमानत याचिका खारिज करते हुए इन अधिकारियों की वह दलील भी खारिज कर दी कि उनके खिलाफ जांच और कार्रवाई से पहले सेक्शन-17 ए के तहत संबंधित अथॉरिटी से इजाजत नहीं ली गई। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में सेक्शन-17 ए लागू नहीं होता। सेक्शन-17 ए को सरकारी अधिकारियों की ओर से नेक कार्य करते हुए सुरक्षा प्रदान करने के लिए लागू किया जाता है। सरकारी अधिकारी यदि आपराधिक कार्य में सम्मलित होता है तो उस स्थिति में पूर्व अनुमति अनिवार्य नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा कि यहां घोटाला करोड़ों का है और ऐसे में हिरासत में होने वाली जांच से पता चल सकेगा कि घोटाला कितना बड़ा है और इसमें कौन-कौन शामिल है। यदि जमानत दे दी गई तो जांच प्रभावित हो सकती है।
21 अगस्त, 2020 को विजिलेंस ब्यूरो ने आबकारी एवं कराधान विभाग के 12 अधिकारियों व 4 अन्य पर एफआईआर दर्ज की थी। इन पर ट्रांसपोर्ट्स से मिलीभगत कर करोड़ों के सरकारी पैसे के गबन का आरोप है। इसी मामले में जमानत के लिए अधिकारियों ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। पंजाब सरकार ने कहा कि इन सभी के खिलाफ विजिलेंस के पास पर्याप्त सबूत हैं। हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार की सभी दलीलों को स्वीकार कर जमानत याचिकाएं खारिज कर दी।