अर्जेंटीना में सूखे के कारण सोयाबीन की फसल बर्बाद होने और लेबर हड़ताल का असर अब भारत में खाद्य तेलों पर दिखने लगा है। हरियाणा के करनाल ही नहीं बल्कि पूरे देश में पिछले दो महीने से खाद्य तेलों के दामों में भारी उछाल आया है। सरसों के तेल व रिफाइंड ऑयल के दामों में 25 से 40 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी देखी जा रही है, जिसका असर हर घर की रसोई के स्वाद पर देखा जा रहा है, क्योंकि थोक भाव के साथ ही खाद्य तेलों के फुटकर दामों में भी इजाफा हो गया है।
हैफेड केंद्र के संचालक वीरेंद्र सिंह ने बताया कि सरसों का तेल 143 रुपये प्रति किलो पहुंच गया है। वहीं सोयाबीन तेल का प्रति 15 लीटर के टिन का भाव 1100-1200 से 1815 रुपये तक पहुंच गया है। खास बात यह है कि बाजार में ब्रांडेड कंपनियां भी अपने ब्रांड का प्रति लीटर व प्रति टिन तेल अलग अलग भाव में बेच रही हैं। दूसरी ओर देखा जा रहा है कि किसानों का ध्यान भी तिलहनी फसलों से हट रहा है, जबकि खाद्य तेल की आवश्यकता तो हर घर को है, इसलिए खपत लगातार बढ़ती जा रही है। खाद्य तेलों की महंगाई का असर कहीं न कहीं रसोई पर पड़ने लगा है जो आम आदमी के घर के बजट को प्रभावित कर रहा है।
करनाल के खाद्य तेल व्यापारी व पूर्व डिप्टी मेयर मनोज बाधवा बताते हैं कि इंटरनेशनल मार्केट में सोयाबीन रिफाइंड तेल में बड़ी तेजी आ गई है। भारत में सूरजमुखी का तेल अर्जेंटीना व रशिया से, सोयाबीन तेल अर्जेंटीना, ब्राजील व अमेरिका से आयात करता है। अर्जेंटीना सबसे बड़ा निर्यातक देश है। खाद्य तेलों की मांग तो आबादी के अनुसार ही होती है, यही कारण है कि चीन के बाद भारत सबसे बड़ा आयातक भी है। इन दिनों इंटरनेशनल मार्केट में डिमांड अधिक है, लेकिन उपलब्धता कम होने के कारण खाद्य तेलों के भाव में पिछले दो महीने के दौरान 25 से 40 प्रतिशत तक वृद्धि हो गई है। मूंगफली के तेल में 40 व बिनोले के तेल के भाव में 30 फीसदी तक की वृद्धि हो गई है। सूरजमुखी के तेल की भी यही स्थिति है।
बीएल एग्रो के प्रबंध निदेशक घनश्याम खंडेलवाल बताते हैं कि अर्जेंटीना ऐसा देश है जो पूरी दुनिया को कुल आपूर्ति का 80 प्रतिशत सोयाबीन तेल निर्यात करता है। ब्राजील व अमेरिका से ही भारत में सोयाबीन तेल आता है। वहां पर सूखा पड़ने से फसल बर्बाद हो गई है। इस कारण पहले से ही तेजी की संभावना थी, कुछ तेजी आई भी थी लेकिन वहां लेबर हड़ताल हो जाने के कारण अचानक भावों में भारी उछाल आ गया है। अर्जेंटीना में 127 जहाज खड़े हैं, जो लेबर हड़ताल के कारण लोड नहीं हो पा रहे हैं।
अर्जेंटीना में सूखे के कारण सोयाबीन की फसल बर्बाद होने और लेबर हड़ताल का असर अब भारत में खाद्य तेलों पर दिखने लगा है। हरियाणा के करनाल ही नहीं बल्कि पूरे देश में पिछले दो महीने से खाद्य तेलों के दामों में भारी उछाल आया है। सरसों के तेल व रिफाइंड ऑयल के दामों में 25 से 40 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी देखी जा रही है, जिसका असर हर घर की रसोई के स्वाद पर देखा जा रहा है, क्योंकि थोक भाव के साथ ही खाद्य तेलों के फुटकर दामों में भी इजाफा हो गया है।
हैफेड केंद्र के संचालक वीरेंद्र सिंह ने बताया कि सरसों का तेल 143 रुपये प्रति किलो पहुंच गया है। वहीं सोयाबीन तेल का प्रति 15 लीटर के टिन का भाव 1100-1200 से 1815 रुपये तक पहुंच गया है। खास बात यह है कि बाजार में ब्रांडेड कंपनियां भी अपने ब्रांड का प्रति लीटर व प्रति टिन तेल अलग अलग भाव में बेच रही हैं। दूसरी ओर देखा जा रहा है कि किसानों का ध्यान भी तिलहनी फसलों से हट रहा है, जबकि खाद्य तेल की आवश्यकता तो हर घर को है, इसलिए खपत लगातार बढ़ती जा रही है। खाद्य तेलों की महंगाई का असर कहीं न कहीं रसोई पर पड़ने लगा है जो आम आदमी के घर के बजट को प्रभावित कर रहा है।
करनाल के खाद्य तेल व्यापारी व पूर्व डिप्टी मेयर मनोज बाधवा बताते हैं कि इंटरनेशनल मार्केट में सोयाबीन रिफाइंड तेल में बड़ी तेजी आ गई है। भारत में सूरजमुखी का तेल अर्जेंटीना व रशिया से, सोयाबीन तेल अर्जेंटीना, ब्राजील व अमेरिका से आयात करता है। अर्जेंटीना सबसे बड़ा निर्यातक देश है। खाद्य तेलों की मांग तो आबादी के अनुसार ही होती है, यही कारण है कि चीन के बाद भारत सबसे बड़ा आयातक भी है। इन दिनों इंटरनेशनल मार्केट में डिमांड अधिक है, लेकिन उपलब्धता कम होने के कारण खाद्य तेलों के भाव में पिछले दो महीने के दौरान 25 से 40 प्रतिशत तक वृद्धि हो गई है। मूंगफली के तेल में 40 व बिनोले के तेल के भाव में 30 फीसदी तक की वृद्धि हो गई है। सूरजमुखी के तेल की भी यही स्थिति है।
बीएल एग्रो के प्रबंध निदेशक घनश्याम खंडेलवाल बताते हैं कि अर्जेंटीना ऐसा देश है जो पूरी दुनिया को कुल आपूर्ति का 80 प्रतिशत सोयाबीन तेल निर्यात करता है। ब्राजील व अमेरिका से ही भारत में सोयाबीन तेल आता है। वहां पर सूखा पड़ने से फसल बर्बाद हो गई है। इस कारण पहले से ही तेजी की संभावना थी, कुछ तेजी आई भी थी लेकिन वहां लेबर हड़ताल हो जाने के कारण अचानक भावों में भारी उछाल आ गया है। अर्जेंटीना में 127 जहाज खड़े हैं, जो लेबर हड़ताल के कारण लोड नहीं हो पा रहे हैं।