कोरोनाकाल में जिन कर्मचारियों की नौकरी चली गई थी और उन्हें पहली अक्तूबर 2020 के बाद नई नौकरी मिली है तो उनके वेतन से पीएफ के पैसे नहीं कटेंगे। नियुक्ति के दो साल तक इस पैसे को ईपीएफओ खुद कर्मचारी के पीएफ खाते में जमा कराएगा। यह लाभ केवल उन कर्मचारियों को मिलेगा जिनका वेतन 15 हजार रुपए या इससे कम है। लॉकडाउन के कारण आर्थिक संकट से जूझ रहे कर्मचारियों और कंपनियों को राहत देते हुए सरकार ने आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना शुरू की है। जिसके तहत बिना पीएफ का पैसा काटे कर्मचारी को पूरे वेतन के साथ ईपीएफओ द्वारा पीएफ, पेंशन और बीमा का पूर्ण लाभ देने का निर्णय लिया गया है। योजना के दायरे में उन कर्मचारियों को भी शामिल किया है, जिनकी पहली बार नौकरी पहली अक्तूबर के बाद लगी है। करनाल स्थित कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के क्षेत्रीय कार्यालय के अंतर्गत आने वाले आठ जिलों की हजारों कंपनियों और यहां पहली अक्तूबर के बाद हुई नियुक्तियों का रिकॉर्ड विभाग ने मांगा है। ताकि हर पात्र कंपनी और कर्मचारी को इसका लाभ मिले।
एक हजार से कम कर्मचारी तो कंपनी को भी फायदा
योजना के अनुसार, यदि कंपनी में एक हजार से कम कर्मचारी हैं। तो कर्मचारी के पीएफ का कटने वाला 24 प्रतिशत भाग सरकार देगी। यदि कर्मचारियों की संख्या कंपनी में एक हजार से ज्यादा है, तो केवल कर्मचारी के हिस्से के कटने वाले 12 प्रतिशत पीएफ की राशि सरकार देगी। कंपनी को अपने हिस्से के 12 प्रतिशत खुद ही पहले की तरह जमा कराने होंगे। योजना का लाभ लेने के लिए कर्मचारी का वेतन 15 हजार रुपए से कम और कर्मचारियों के पास आधार से लिंक हुआ यूएएन होना जरूरी है।
योजना का लाभ देने के लिए विभाग ने एक विशेष सॉफ्टवेयर भी तैयार किया है। जिसमें कर्मचारी की ईसीआर अपलोड करने पर ही उनके खाते में खुद पीएफ के पैसे जमा हो जाएंगे। विभाग के प्रयास का मुख्य उद्देश्य है कि कोरोनाकाल में हुई बेरोजगारी कि भरपाई कर्मचारी को पूरी सैलरी देकर की जा सके। यदि कर्मचारियों की संख्या योजना के मानकों के अनुसार है तो कंपनी को भी इसका फायदा होगा।
-अमित सिंगला, क्षेत्रीय आयुक्त, ईपीएफओ करनाल
कोरोनाकाल में जिन कर्मचारियों की नौकरी चली गई थी और उन्हें पहली अक्तूबर 2020 के बाद नई नौकरी मिली है तो उनके वेतन से पीएफ के पैसे नहीं कटेंगे। नियुक्ति के दो साल तक इस पैसे को ईपीएफओ खुद कर्मचारी के पीएफ खाते में जमा कराएगा। यह लाभ केवल उन कर्मचारियों को मिलेगा जिनका वेतन 15 हजार रुपए या इससे कम है। लॉकडाउन के कारण आर्थिक संकट से जूझ रहे कर्मचारियों और कंपनियों को राहत देते हुए सरकार ने आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना शुरू की है। जिसके तहत बिना पीएफ का पैसा काटे कर्मचारी को पूरे वेतन के साथ ईपीएफओ द्वारा पीएफ, पेंशन और बीमा का पूर्ण लाभ देने का निर्णय लिया गया है। योजना के दायरे में उन कर्मचारियों को भी शामिल किया है, जिनकी पहली बार नौकरी पहली अक्तूबर के बाद लगी है। करनाल स्थित कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के क्षेत्रीय कार्यालय के अंतर्गत आने वाले आठ जिलों की हजारों कंपनियों और यहां पहली अक्तूबर के बाद हुई नियुक्तियों का रिकॉर्ड विभाग ने मांगा है। ताकि हर पात्र कंपनी और कर्मचारी को इसका लाभ मिले।
एक हजार से कम कर्मचारी तो कंपनी को भी फायदा
योजना के अनुसार, यदि कंपनी में एक हजार से कम कर्मचारी हैं। तो कर्मचारी के पीएफ का कटने वाला 24 प्रतिशत भाग सरकार देगी। यदि कर्मचारियों की संख्या कंपनी में एक हजार से ज्यादा है, तो केवल कर्मचारी के हिस्से के कटने वाले 12 प्रतिशत पीएफ की राशि सरकार देगी। कंपनी को अपने हिस्से के 12 प्रतिशत खुद ही पहले की तरह जमा कराने होंगे। योजना का लाभ लेने के लिए कर्मचारी का वेतन 15 हजार रुपए से कम और कर्मचारियों के पास आधार से लिंक हुआ यूएएन होना जरूरी है।
योजना का लाभ देने के लिए विभाग ने एक विशेष सॉफ्टवेयर भी तैयार किया है। जिसमें कर्मचारी की ईसीआर अपलोड करने पर ही उनके खाते में खुद पीएफ के पैसे जमा हो जाएंगे। विभाग के प्रयास का मुख्य उद्देश्य है कि कोरोनाकाल में हुई बेरोजगारी कि भरपाई कर्मचारी को पूरी सैलरी देकर की जा सके। यदि कर्मचारियों की संख्या योजना के मानकों के अनुसार है तो कंपनी को भी इसका फायदा होगा।
-अमित सिंगला, क्षेत्रीय आयुक्त, ईपीएफओ करनाल