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बेरी। कृषि कानूनों के विरोध में क्षेत्र से बड़ी संख्या में किसान दिल्ली टीकरी और ढांसा बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं। बुधवार को डीघल टोल प्लाजा पर भारतीय किसान यूनियन के महासचिव डिंपी अहलावत के नेतृत्व में किसानों ने कृषि कानूनों की प्रतियां जलाईं। किसानों ने कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की।
डिंपी अहलावत ने कहा कि सरकार किसान विरोधी कानूनों को वापस ले। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल खरीद सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा कृषि कानूनों पर भले ही उच्चतम न्यायालय ने रोक लगाकर चार सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है, मगर मगर किसान इससे खुश नही हैं। कृषि कानूनों को पूरी तरह से रद्द नहीं होने तक आंदोलन जारी रहेगा। वे ट्रैक्टरों के साथ 26 जनवरी को दिल्ली भी कूच करेंगे।
युवा किसान बिजेंद्र ने कहा कि यह सरकार की सोची-समझी साजिश है। अदालत की ओर से गठित चार सदस्यीय कमेटी में तीन सदस्य तो पहले ही कृषि कानूनों का समर्थन कर चुके हैं। ऐसे में कमेटी का कोई औचित्य ही नही है। पूर्व सरपंच मागेंराम का कहना है कि हमें तो सिर्फ तीनों कृषि कानून वापस करवाने हैं। जिसके लिए किसान आज अपने खेत छोड़कर सड़कों पर रात बिता रहे हैं। हम घर से यह कहकर निकले थे कि कानून वापस होने तक मोर्चा नहीं छोड़ेंगे।
बेरी। कृषि कानूनों के विरोध में क्षेत्र से बड़ी संख्या में किसान दिल्ली टीकरी और ढांसा बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं। बुधवार को डीघल टोल प्लाजा पर भारतीय किसान यूनियन के महासचिव डिंपी अहलावत के नेतृत्व में किसानों ने कृषि कानूनों की प्रतियां जलाईं। किसानों ने कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की।
डिंपी अहलावत ने कहा कि सरकार किसान विरोधी कानूनों को वापस ले। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल खरीद सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा कृषि कानूनों पर भले ही उच्चतम न्यायालय ने रोक लगाकर चार सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है, मगर मगर किसान इससे खुश नही हैं। कृषि कानूनों को पूरी तरह से रद्द नहीं होने तक आंदोलन जारी रहेगा। वे ट्रैक्टरों के साथ 26 जनवरी को दिल्ली भी कूच करेंगे।
युवा किसान बिजेंद्र ने कहा कि यह सरकार की सोची-समझी साजिश है। अदालत की ओर से गठित चार सदस्यीय कमेटी में तीन सदस्य तो पहले ही कृषि कानूनों का समर्थन कर चुके हैं। ऐसे में कमेटी का कोई औचित्य ही नही है। पूर्व सरपंच मागेंराम का कहना है कि हमें तो सिर्फ तीनों कृषि कानून वापस करवाने हैं। जिसके लिए किसान आज अपने खेत छोड़कर सड़कों पर रात बिता रहे हैं। हम घर से यह कहकर निकले थे कि कानून वापस होने तक मोर्चा नहीं छोड़ेंगे।