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Exclusive: बीआरडी के मरीजों का SGPGI के डॉक्टर करेंगे इलाज, टेलीमेडिसिन के जरिए दे सकेंगे सलाह

नीरज मिश्रा, गोरखपुर। Published by: vivek shukla Updated Sun, 21 Aug 2022 06:59 AM IST
सार

बीआरडी कैंपस में बने 500 बेड के बाल रोग संस्थान का स्वास्थ्य महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा श्रुति सिंह ने हाल में ही निरीक्षण किया है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही बाल रोग संस्थान शुरू हो सकता है।

SGPGI doctors will treat BRD patients in Gorakhpur
सांकेतिक तस्वीर। - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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बीआरडी मेडिकल कॉलेज के मरीजों का इलाज एसजीपीजीआई के डॉक्टर भी करेंगे। सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर टेलीमेडिसिन के जरिए मरीजों से  जुड़ेंगे। इसका लाभ मरीजों को टेली आईसीयू प्रोजेक्ट के तहत मिलेगा। डॉक्टरों ने उम्मीद जताई है कि इस सुविधा के शुरू होने से गंभीर मरीजों को रेफर करने की जरूरत कम पड़ेगी।



बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 200 बेड के सुपर स्पेशियलिटी सेवा की शुरुआत हो चुकी है। अलग-अलग विभागों के 13 विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती भी हो चुकी है। न्यूरो सर्जन, यूरोलॉजी, आंको सर्जन, कार्डियोलॉजी जैसे विभाग शुरू हो गए हैं। इन विभागों में ऑपरेशन भी हो रहे हैं, लेकिन कई बार गंभीर मरीजों को हायर सेंटर रेफर करना पड़ता है। ऐसे तीन से चार केस प्रतिदिन आते हैं।


इसे देखते हुए शासन ने बीआरडी को एसजीपीजीआई के डॉक्टरों से जोड़ने की पहल की है। बीआरडी के डॉक्टर एसजीपीजीआई के डॉक्टरों की मदद लेकर गंभीर मरीजों का इलाज करेंगे। जरूरत के मुताबिक उन्हें वीडियो या ऑडियो कॉल के जरिए तत्काल कनेक्ट किया जाएगा। डॉक्टर मरीज की स्थिति के अनुसार सलाह देंगे।

जल्द शुरू हो सकता है बाल रोग संस्थान
बीआरडी कैंपस में बने 500 बेड के बाल रोग संस्थान का स्वास्थ्य महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा श्रुति सिंह ने हाल में ही निरीक्षण किया है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही बाल रोग संस्थान शुरू हो सकता है। यहां बच्चों की कार्डियक सहित अन्य सर्जरी की भी सुविधा मिलने की उम्मीद है। गंभीर बच्चों के इलाज में यहां भी एसजीपीजीआई के डॉक्टर मदद करेंगे।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ गणेश कुमार ने कहा कि बीआरडी के डॉक्टर टेलीमेडिसिन के जरिए एसजीपीजीआई के डॉक्टरों से जुड़ेंगे। इसकी तैयारी दोनों संस्थानों ने शुरू कर दी है। इस सुविधा से गंभीर मरीजों के इलाज में आसानी होगी। एसजीपीजीआई के सीनियर डॉक्टरों से मदद लेकर मरीजों का इलाज किया जाएगा। इससे मरीजों को रेफर करने की नौबत भी कम आएगी।

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