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Gorakhpur: बिजली निगम में चार लोगों पर कूटरचित दस्तावेजों के सहारे नौकरी का आरोप पाया गया सही, दर्ज हुआ मुकदमा

संवाद न्यूज एजेंसी गोरखपुर। Published by: vivek shukla Updated Fri, 03 Feb 2023 04:14 PM IST
सार

रिपोर्ट में कहा कि इन सभी ने नियुक्ति आदेश के दस्तावेज में कूटरचना कर श्रमिक पद पर कार्यभार ग्रहण किया। कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से नौकरी देने पर सीई कार्यालय भी संदेह के दायरे में है। क्योंकि सीई दफ्तर ने दर्जनों बार कूटरचित नियुक्त आदेश पर रिमाइनडर भेज कर कार्मिकों की नियुक्त करने को कहा है।

Job allegations on four people in Electricity Corporation found correct with help of forged documents
FIR - फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार

बिजली निगम में 4 लोगों की कूटरचित नियुक्ति होने के बाद सेवा समाप्त कर दी थी। सभी पर मुकदमा दर्ज किया गया। एमडी ऑफिस से कूटरचित नियुक्ति वक्त तैनाती बाबू की डिटेल मांगी गई थी। मुख्य अभियंता कार्यालय से रिपोर्ट भेज दी गई। इसमें बताया गया है कि जांच दल की तरफ से मांगी गई सूचना के अनुसार, चारों कर्मियों की कूटरचित नियुक्ति के वक्त एस के गुप्ता वरिष्ठ कार्यकारी सहायक की भूमिका में थे। जांच समिति के मुख्य अभियंता को जांच रिपोर्ट भेज दी गई है।



दरअसल, कूटरचित नियुक्ति आदेश के बूते बिजली निगम में चार लोगों की नियुक्ति की गई थी। इसमें पड़रौना खंड में राधेश्याम के  साथ अन्य तीन साथी श्रमिकों माधुरी श्रीवास्तव, सुधीर सिंह व योगेंद्र यादव की नियुक्ति की गई थी। इन श्रमिकों के कूटरचित नियुक्ति आदेश की पुष्टी दो एक्सईएन व एक लेखाकार की जांच टीम ने की थी।


रिपोर्ट में कहा कि इन सभी ने नियुक्ति आदेश के दस्तावेज में कूटरचना कर श्रमिक पद पर कार्यभार ग्रहण किया। कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से नौकरी देने पर सीई कार्यालय भी संदेह के दायरे में है। क्योंकि सीई दफ्तर ने दर्जनों बार कूटरचित नियुक्त आदेश पर रिमाइनडर भेज कर कार्मिकों की नियुक्त करने को कहा है।

पूरे मामले में तत्कालीन मुख्य अभियंता एके सिंह के निर्देश पर मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई की गई। इसकी जांच के लिए एक टीम का गठन भी एमडी, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम ने किया था। इसी टीम के जांच अधिकारी लगभग चार माह बाद फिर से मामले की जांच तेज की है।

इसी संबंध में तत्कालीन समय की पत्रावलियों की जिम्मेदारी संभालने वाले कर्मचारी की जानकारी मांगी गई थी। मुख्य अभियंता आशु कालिया ने बताया कि कूटरचित नियुक्ति मामले में जांच अधिकारी ने जो सूचना मांगी थी, उसे जांच परख कर भेज दी गई है।

 

मामला ठंडा पड़ गया

सितंबर- अक्तूबर के समय तत्कालीन प्रबंध निदेशक ने बिजली निगम में कूटरचित तरीके से सेंध लगने के मामले को काफी गंभीरता से लिया था। लगातार उनकी द्वारा तत्कालीन मुख्य अभियंता एके सिंह द्वारा निगरानी करवाते हुए कार्रवाई करवाई जा रही थी। लेकिन, अचानक से प्रबंध निदेशक और मुख्य अभियंता का कार्यकाल पूरा होने के बाद मामले फिर से ठंडे बस्ते में चला गया। लेकिन, एक बार फिर से जांच अधिकारी द्वारा पत्रावलियां और अन्य सूचनाएं मांगे पर मुख्य अभियंता द्वारा खुद से भेजी जाने वाली रिपोर्ट को खुद जांच परख कर भेज रहे।

बिलिंग एजेंसी पर चेयरमैन से गड़बड़ी का लगाया आरोप
बिजली निगम की बिलिंग कंपनी के शिकायत शहर के एक उपभोक्ता ने चेयरमैन से की है। उन्होंने मामले की जांच कर 15 दिन में रिपोर्ट तलब की है। आरोप है कि एजेंसी के पांच स्थानीय अधिकारी कम खपत का बिल बनाकर कारपोरेशन को राजस्व की क्षति पहुंचा रहे हैं। इसके बदले प्रतिमाह इनके द्वारा उपभोक्ताओं से अलग अलग दर पर सुविधा शुल्क लिया जाता है।

इसकी जांच के लिए मुख्य अभियंता ने अधीक्षण अभियंता को पत्र लिखा था। अधीक्षण अभियंता ने बिलिंग एजेंसी का मामला बताकर जांच नहीं कर पाने में असमर्थता जताई। मुख्य अभियंता आशु कालिया ने कहा कि अभी किसी को जांच नहीं दी गई है। जांच के लिए अधीक्षण अभियंता को मामला दिया गया था। बिलिंग एजेंसी अपने कर्मचारियों पर निजी स्तर पर कार्रवाई करे। बिलिंग में लापरवाही होने पर हर माह बिलिंग एजेंसी के भुगतान से कटौती की जाती है।
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