दिल्ली के कृष्णा नगर निवासी सुरभि भले ही आज इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनके अंग आज भी जीवित हैं। निधन के बाद परिजनों की सूझबूझ से उनके अंगदान हुए और आठ जरूरतमंद लोगों में प्रत्यारोपित किए गए। सुरभि के सिर पर पांचवीं मंजिल से एक पत्थर आ गिरा था जिससे उसका ब्रेन डेड हो गया था, लेकिन आज उनके परिजनों को सुरभि पर गर्व है।
सुरभि जैसे सैकड़ों केस बुधवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के अंगदान समारोह में देखने को मिले। अंगदान करने वालों के लिए एम्स ने बुधवार को विशेष कार्यक्रम आयोजित किया था जिसमें स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, बॉक्सर मैरी कोम, केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू भी मौजूद थे। इस मौके पर करीब 51 अंगदाताओं को सम्मानित किया।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा कि अंगदान सबसे बड़ा दान है क्योंकि इसकी मदद से इंसान कई लोगों को जीवनदान देता हैं। इसलिए इस दुनिया को अलविदा कहने से पहले यदि हम अंगदान से किसी दूसरे को जिंदगी दे जाएं तो इससे बड़ा पुण्य कुछ और नहीं हो सकता।
नेपाल के मूल निवासी रामबहादुर ने कार्यक्रम में बताया कि उनके इकलौते बेटे अर्जुन का एक सड़क हादसे में निधन हो गया था। उसके ब्रेन डेड होने के बाद डॉक्टरों ने जब अंगदान के बारे में बताया तो पहले पूरा परिवार सहम उठा। कुछ देर विचार किया तो एहसास हुआ कि अर्जुन भले ही खुद अपनी जिंदगी नहीं जी पाया लेकिन उसकी वजह से कई लोग अपनी जिंदगी जी सकते हैं। बस फिर क्या था पूरे परिवार ने प्रतिज्ञा ली और अर्जुन के दिल व आंखों को दान किया गया।
यूपी के बागपत निवासी मनोज ने बताया कि पिछले साल उन्हें हार्ट अटैक आने के बाद जब एम्स लाया गया तो पता चला कि उनका दिल बहुत कमजोर है। उसके काम करने की क्षमता बेहद कम है। डॉक्टरों ने कुछ और परेशानियां भी बताईं।
डॉक्टरों ने कहा कि हृदय प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्प है। यह सुन पूरा परिवार सदमे में था और सबसे बड़ी परेशानी थी दिल की कमी। डॉक्टरों ने जब बताया कि देश में अंगदान करने वालों की कितनी कमी और लंबी प्रतीक्षा सूची है तो पूरा परिवार टूट गया था। हर कोई बस भगवान से मनौती मांगता था कि उन्हें एक दिल मिल जाए।
हालांकि यह बड़ा अजीब भी था कि हम किसी की मौत मांग रहे हैं लेकिन परिजनों के पास भी कोई दूसरा विकल्प नहीं था। मनोज बताते हैं कि जब उन्हें दिल मिला तो उसके बाद का एहसास और खुशी शब्दों में बयान नहीं की जा सकती। आज भी पूरा परिवार और वह खुद उस व्यक्ति की पूजा करते हैं जिसका दिल उनके शरीर में धड़क रहा है।
इस मौके पर दिग्गज बॉक्सर मैरी कोम ने कहा कि अंगदान करने वाले परिवारों की कहानियां प्रेरित करने लायक हैं। इन बहादुर परिवारों को उनका सलाम, दुख की घड़ी में इन लोगों ने अपने सीने पर पत्थर रखकर जो निर्णय लिया उसका खिलखिलाता रूप आज वह इस कार्यक्रम में देख रही हैं।
वह अपनी खुशी शब्दों में जाहिर नहीं कर सकतीं। वहीं केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि असली खिलाड़ी अंगदान करने वाले हैं जिन्होंने न सिर्फ लोगों की जान बचाई है बल्कि अंगदान की कमी को दूर कर उन्होंने करोड़ों परिवारों को भी ऐसा करने के लिए संदेश दिया है।
दिल्ली के कृष्णा नगर निवासी सुरभि भले ही आज इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनके अंग आज भी जीवित हैं। निधन के बाद परिजनों की सूझबूझ से उनके अंगदान हुए और आठ जरूरतमंद लोगों में प्रत्यारोपित किए गए। सुरभि के सिर पर पांचवीं मंजिल से एक पत्थर आ गिरा था जिससे उसका ब्रेन डेड हो गया था, लेकिन आज उनके परिजनों को सुरभि पर गर्व है।
सुरभि जैसे सैकड़ों केस बुधवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के अंगदान समारोह में देखने को मिले। अंगदान करने वालों के लिए एम्स ने बुधवार को विशेष कार्यक्रम आयोजित किया था जिसमें स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, बॉक्सर मैरी कोम, केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू भी मौजूद थे। इस मौके पर करीब 51 अंगदाताओं को सम्मानित किया।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा कि अंगदान सबसे बड़ा दान है क्योंकि इसकी मदद से इंसान कई लोगों को जीवनदान देता हैं। इसलिए इस दुनिया को अलविदा कहने से पहले यदि हम अंगदान से किसी दूसरे को जिंदगी दे जाएं तो इससे बड़ा पुण्य कुछ और नहीं हो सकता।
नेपाल के मूल निवासी रामबहादुर ने कार्यक्रम में बताया कि उनके इकलौते बेटे अर्जुन का एक सड़क हादसे में निधन हो गया था। उसके ब्रेन डेड होने के बाद डॉक्टरों ने जब अंगदान के बारे में बताया तो पहले पूरा परिवार सहम उठा। कुछ देर विचार किया तो एहसास हुआ कि अर्जुन भले ही खुद अपनी जिंदगी नहीं जी पाया लेकिन उसकी वजह से कई लोग अपनी जिंदगी जी सकते हैं। बस फिर क्या था पूरे परिवार ने प्रतिज्ञा ली और अर्जुन के दिल व आंखों को दान किया गया।
यूपी के बागपत निवासी मनोज ने बताया कि पिछले साल उन्हें हार्ट अटैक आने के बाद जब एम्स लाया गया तो पता चला कि उनका दिल बहुत कमजोर है। उसके काम करने की क्षमता बेहद कम है। डॉक्टरों ने कुछ और परेशानियां भी बताईं।
डॉक्टरों ने कहा कि हृदय प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्प है। यह सुन पूरा परिवार सदमे में था और सबसे बड़ी परेशानी थी दिल की कमी। डॉक्टरों ने जब बताया कि देश में अंगदान करने वालों की कितनी कमी और लंबी प्रतीक्षा सूची है तो पूरा परिवार टूट गया था। हर कोई बस भगवान से मनौती मांगता था कि उन्हें एक दिल मिल जाए।
हालांकि यह बड़ा अजीब भी था कि हम किसी की मौत मांग रहे हैं लेकिन परिजनों के पास भी कोई दूसरा विकल्प नहीं था। मनोज बताते हैं कि जब उन्हें दिल मिला तो उसके बाद का एहसास और खुशी शब्दों में बयान नहीं की जा सकती। आज भी पूरा परिवार और वह खुद उस व्यक्ति की पूजा करते हैं जिसका दिल उनके शरीर में धड़क रहा है।
बहादुर परिवारों को मैरी कोम का सलाम
इस मौके पर दिग्गज बॉक्सर मैरी कोम ने कहा कि अंगदान करने वाले परिवारों की कहानियां प्रेरित करने लायक हैं। इन बहादुर परिवारों को उनका सलाम, दुख की घड़ी में इन लोगों ने अपने सीने पर पत्थर रखकर जो निर्णय लिया उसका खिलखिलाता रूप आज वह इस कार्यक्रम में देख रही हैं।
वह अपनी खुशी शब्दों में जाहिर नहीं कर सकतीं। वहीं केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि असली खिलाड़ी अंगदान करने वाले हैं जिन्होंने न सिर्फ लोगों की जान बचाई है बल्कि अंगदान की कमी को दूर कर उन्होंने करोड़ों परिवारों को भी ऐसा करने के लिए संदेश दिया है।