अमित शर्मा, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Mon, 12 Oct 2020 01:25 PM IST
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कोरोना काल में संक्रमण से बचने के लिए लोग मंदिर जाने से बच रहे हैं। सरकार और मंदिर प्रशासन भी सीमित संख्या में लोगों से मंदिर पहुंचने की अपील कर रहे हैं। ऐसे समय में जब भक्त मंदिर नहीं पहुंच पा रहे हैं, माता दुर्गा स्वयं भक्तों को दर्शन देने के लिए उनके द्वार पर पहुंचेंगी।
राजधानी दिल्ली के प्रसिद्ध झंडेवालान मंदिर से इस वर्ष आठ विशेष रथ प्रतिदिन निकलेंगे और राजधानी क्षेत्र के अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर लोगों को माता के दर्शन कराएंगे। रथ पर झंडेवालान मंदिर की छवि, माता की छवि और इसकी सेवा में लगे सेवादार शामिल होंगे। रथों का दर्शन कर लोग प्रसाद भी प्राप्त कर सकेंगे।
जानकारी के अनुसार झंडेवालान मंदिर से सात रथ दिल्ली के सात लोकसभा क्षेत्रों में रोज जाकर लोगों को मातारानी झंडेवालान के दर्शन कराएंगे। एक रथ नोएडा के अलग-अलग क्षेत्रों में भेजा जाएगा। रथ के विभिन्न क्षेत्रों में जाने का रूट क्षेत्र के गणमान्य लोग निश्चित करेंगे।
झंडेवालान मंदिर के प्रशासक नन्द कुमार सेठी ने अमर उजाला को बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते इस नवरात्रों में 65 वर्ष की आयु से ज्यादा उम्र के भक्तों को मंदिर में प्रवेश नहीं मिलेगा। इसी प्रकार 10 साल की उम्र से छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को भी मंदिर में दर्शन की अनुमति नहीं होगी।
मंदिर के सेवादार भी जिनकी उम्र 65 वर्ष से ऊपर है, मंदिर की बजाय घर से ही सेवा कार्य करेंगे। झंडेवालान मंदिर से ज्योति ले जाने की वर्षों पुरानी परंपरा को निभाया जाएगा। नवरात्रि के तीन दिन पूर्व से लोग माता के द्वार से ज्योति ले जा सकेंगे। इसके लिए केवल चार लोगों को ही मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा।
शनिवार से शुरू हो रहे नवरात्रों में झंडेवालान मंदिर में दर्शन के लिए विशेष व्यवस्था रहेगी। प्रवेश द्वार और मुख्य मंदिर के प्रवेश के बाहर दो जगहों पर लोगों के हाथ धुलने, सैनिटाइजेशन की सुविधा रहेगी। भक्तों को मंदिर में बैठकर भंडारा प्रसाद की सुविधा नहीं मिलेगी। उन्हें पैकेट बंद प्रसाद मिलेगा जिसे वे अपने साथ ले जा सकेंगे।
बिड़ला मंदिर के प्रमुख प्रशासक विनोद कुमार मिश्रा ने अमर उजाला को बताया कि इस वर्ष मंदिर में केवल दर्शन की सुविधा उपलब्ध रहेगी। भक्तों को नारियल चढ़ाने की अनुमति होगी, लेकिन उन्हें केवल पैकेट बन्द प्रसाद ही मिलेगा। मंदिर में कथा-प्रवचन सुनने का आनंद भक्तों को इस बार नहीं मिल सकेगा।
सार
- राजधानी के प्रमुख मंदिरों में दर्शन की रहेगी व्यवस्था
- कोरोना संक्रमण से बचने को रखी जायेगी पूरी सावधानी
- रथों पर सवार मातारानी खुद दर्शन देने जाएंगी लोगों के द्वार
विस्तार
कोरोना काल में संक्रमण से बचने के लिए लोग मंदिर जाने से बच रहे हैं। सरकार और मंदिर प्रशासन भी सीमित संख्या में लोगों से मंदिर पहुंचने की अपील कर रहे हैं। ऐसे समय में जब भक्त मंदिर नहीं पहुंच पा रहे हैं, माता दुर्गा स्वयं भक्तों को दर्शन देने के लिए उनके द्वार पर पहुंचेंगी।
राजधानी दिल्ली के प्रसिद्ध झंडेवालान मंदिर से इस वर्ष आठ विशेष रथ प्रतिदिन निकलेंगे और राजधानी क्षेत्र के अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर लोगों को माता के दर्शन कराएंगे। रथ पर झंडेवालान मंदिर की छवि, माता की छवि और इसकी सेवा में लगे सेवादार शामिल होंगे। रथों का दर्शन कर लोग प्रसाद भी प्राप्त कर सकेंगे।
जानकारी के अनुसार झंडेवालान मंदिर से सात रथ दिल्ली के सात लोकसभा क्षेत्रों में रोज जाकर लोगों को मातारानी झंडेवालान के दर्शन कराएंगे। एक रथ नोएडा के अलग-अलग क्षेत्रों में भेजा जाएगा। रथ के विभिन्न क्षेत्रों में जाने का रूट क्षेत्र के गणमान्य लोग निश्चित करेंगे।
झंडेवालान मंदिर के प्रशासक नन्द कुमार सेठी ने अमर उजाला को बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते इस नवरात्रों में 65 वर्ष की आयु से ज्यादा उम्र के भक्तों को मंदिर में प्रवेश नहीं मिलेगा। इसी प्रकार 10 साल की उम्र से छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को भी मंदिर में दर्शन की अनुमति नहीं होगी।
मंदिर के सेवादार भी जिनकी उम्र 65 वर्ष से ऊपर है, मंदिर की बजाय घर से ही सेवा कार्य करेंगे। झंडेवालान मंदिर से ज्योति ले जाने की वर्षों पुरानी परंपरा को निभाया जाएगा। नवरात्रि के तीन दिन पूर्व से लोग माता के द्वार से ज्योति ले जा सकेंगे। इसके लिए केवल चार लोगों को ही मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा।
शनिवार से शुरू हो रहे नवरात्रों में झंडेवालान मंदिर में दर्शन के लिए विशेष व्यवस्था रहेगी। प्रवेश द्वार और मुख्य मंदिर के प्रवेश के बाहर दो जगहों पर लोगों के हाथ धुलने, सैनिटाइजेशन की सुविधा रहेगी। भक्तों को मंदिर में बैठकर भंडारा प्रसाद की सुविधा नहीं मिलेगी। उन्हें पैकेट बंद प्रसाद मिलेगा जिसे वे अपने साथ ले जा सकेंगे।
बिड़ला मंदिर के प्रमुख प्रशासक विनोद कुमार मिश्रा ने अमर उजाला को बताया कि इस वर्ष मंदिर में केवल दर्शन की सुविधा उपलब्ध रहेगी। भक्तों को नारियल चढ़ाने की अनुमति होगी, लेकिन उन्हें केवल पैकेट बन्द प्रसाद ही मिलेगा। मंदिर में कथा-प्रवचन सुनने का आनंद भक्तों को इस बार नहीं मिल सकेगा।