दिल्ली की जिला अदालतों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर समय-समय पर हाईकोर्ट में याचिका दायर होती रही है। ऐसे ही एक मामले में पिछले साल सितंबर में हाईकोर्ट रजिस्ट्री ने भी अदालत को बताया था कि सुरक्षा की बढ़ती जरूरत के चलते रोहिणी कोर्ट परिसर में पुलिस की तैनाती बढ़ाने की जरूरत है। इतना ही नहीं कोर्ट परिसर में पर्याप्त संख्या में कैमरे लगाने की जरूरत है। यह मामला अभी लंबित है और कैमरों की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव दिल्ली सरकार के पास लंबित है। हाईकोर्ट ने मामले में चिंताई है और संभवत: इस याचिका पर सोमवार को सुनवाई होगी।
हाईकोर्ट रजिस्ट्री ने हाईकोर्ट के समक्ष सात जिला अदालतों में सुरक्षा बढ़ाने की मांग वाली याचिका के संबंध में यह जवाब दायर किया था। यह मामला रोहिणी अदालत के बिल्डिंग मैंटेनेंस कमेटी ने उठाया था और कमेटी ने सीसीटीवी कैमरे लगाने की मंजूरी दे दी थी। यह मामला दिल्ली सरकार की प्रशासनिक मंजूरी और वित्तीय मंजूरी के लिए भेजा गया था। यह सरकार के पास अभी भी लंबित है और इस संबंध में बार-बार रिमाइंडर भेजने के बावजूद अभी तक सरकार का कोई जवाब नहीं आया।
4 सितंबर को दायर हुआ था हलफनामा
यह हलफनामा 4 सितंबर, 2020 को दायर किया गया था, जिसमें पिछली कई घटनाओं का हवाला देते हुए अदालतों के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपायों की मांग वाली जनहित याचिका के जवाब में दायर किया गया था। कुंवर गंगेश सिंह की ओर से दायर याचिका में पिछले कुछ वर्षों में देखी गई घटनाओं को कम करने के लिए दिल्ली भर में विभिन्न जिला अदालतों की सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश देने की मांग की गई थी।
अधिवक्ता ऋचा सिंह के माध्यम से दायर याचिका में इसे लागू करने के साथ-साथ सख्त नियम और नियमन की भी मांग की गई थी, जिसमें कहा गया था कि अदालत परिसर में मौजूद सभी लोगों की सुरक्षा के लिए यह जरूरी है कि सुरक्षा तंत्र को सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली उच्च न्यायालय के समकक्ष लाया जाए। याचिका के जवाब में दिल्ली हाईकोर्ट रजिस्ट्री ने कहा था कि सात जिला अदालतों में से सिर्फ द्वारका में ही हाईकोर्ट की तरह पास सिस्टम था। बाकी अदालतों में यह मामला अभी विचाराधीन था।
फिलहाल यह मामला उच्च न्यायालय में लंबित है क्योंकि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर केवल अत्यावश्यक मामलों की सुनवाई की जा रही है। शुक्रवार की घटना के तुरंत बाद वकीलों ने कहा कि वे अपनी सुरक्षा के लिए डरे हुए हैं दिल्ली हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद से पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी कर जवाब मांगने का आग्रह किया। जस्टिस प्रसाद ने मामले पर चिंता जताते हुए कहा हमें हाईकोर्ट के नाते पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि चीजें सही हों। संभव: वे मामले पर सोमवार को सुनवाई करेंगे।
विस्तार
दिल्ली की जिला अदालतों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर समय-समय पर हाईकोर्ट में याचिका दायर होती रही है। ऐसे ही एक मामले में पिछले साल सितंबर में हाईकोर्ट रजिस्ट्री ने भी अदालत को बताया था कि सुरक्षा की बढ़ती जरूरत के चलते रोहिणी कोर्ट परिसर में पुलिस की तैनाती बढ़ाने की जरूरत है। इतना ही नहीं कोर्ट परिसर में पर्याप्त संख्या में कैमरे लगाने की जरूरत है। यह मामला अभी लंबित है और कैमरों की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव दिल्ली सरकार के पास लंबित है। हाईकोर्ट ने मामले में चिंताई है और संभवत: इस याचिका पर सोमवार को सुनवाई होगी।
हाईकोर्ट रजिस्ट्री ने हाईकोर्ट के समक्ष सात जिला अदालतों में सुरक्षा बढ़ाने की मांग वाली याचिका के संबंध में यह जवाब दायर किया था। यह मामला रोहिणी अदालत के बिल्डिंग मैंटेनेंस कमेटी ने उठाया था और कमेटी ने सीसीटीवी कैमरे लगाने की मंजूरी दे दी थी। यह मामला दिल्ली सरकार की प्रशासनिक मंजूरी और वित्तीय मंजूरी के लिए भेजा गया था। यह सरकार के पास अभी भी लंबित है और इस संबंध में बार-बार रिमाइंडर भेजने के बावजूद अभी तक सरकार का कोई जवाब नहीं आया।
4 सितंबर को दायर हुआ था हलफनामा
यह हलफनामा 4 सितंबर, 2020 को दायर किया गया था, जिसमें पिछली कई घटनाओं का हवाला देते हुए अदालतों के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपायों की मांग वाली जनहित याचिका के जवाब में दायर किया गया था। कुंवर गंगेश सिंह की ओर से दायर याचिका में पिछले कुछ वर्षों में देखी गई घटनाओं को कम करने के लिए दिल्ली भर में विभिन्न जिला अदालतों की सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश देने की मांग की गई थी।
अधिवक्ता ऋचा सिंह के माध्यम से दायर याचिका में इसे लागू करने के साथ-साथ सख्त नियम और नियमन की भी मांग की गई थी, जिसमें कहा गया था कि अदालत परिसर में मौजूद सभी लोगों की सुरक्षा के लिए यह जरूरी है कि सुरक्षा तंत्र को सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली उच्च न्यायालय के समकक्ष लाया जाए। याचिका के जवाब में दिल्ली हाईकोर्ट रजिस्ट्री ने कहा था कि सात जिला अदालतों में से सिर्फ द्वारका में ही हाईकोर्ट की तरह पास सिस्टम था। बाकी अदालतों में यह मामला अभी विचाराधीन था।
फिलहाल यह मामला उच्च न्यायालय में लंबित है क्योंकि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर केवल अत्यावश्यक मामलों की सुनवाई की जा रही है। शुक्रवार की घटना के तुरंत बाद वकीलों ने कहा कि वे अपनी सुरक्षा के लिए डरे हुए हैं दिल्ली हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद से पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी कर जवाब मांगने का आग्रह किया। जस्टिस प्रसाद ने मामले पर चिंता जताते हुए कहा हमें हाईकोर्ट के नाते पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि चीजें सही हों। संभव: वे मामले पर सोमवार को सुनवाई करेंगे।