आरटीआई कानून लागू हुए एक दशक से भी ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन सूचना आयोगों में लंबित मामलों की संख्या में कमी नहीं आई है। 31 दिसंबर 2015 तक केंद्रीय सूचना आयोग और 15 राज्य सूचना आयोग में एक लाख 87 हजार 974 आरटीआई की अपील व शिकायतें लंबित थे। जबकि 31 दिसंबर 2013 में लंबित मामलों की संख्या एक लाख 62 हजार 175 थी।
आरटीआई के मामलों का अध्ययन करने वाले समूह रिसर्च असेसमेंट एंड एनालिसिस ग्रुप (राग) और सतर्क नागरिक संगठन ने 28 सूचना आयोगों में आरटीआई अपील व शिकायत के मामलों का अध्ययन किया। इनमें से सिर्फ 16 सूचना आयोगों के लंबित आंकड़ों का ब्योरा उनकी वेबसाइट पर मिल पाए।
बाकी 12 राज्य सूचना आयोगों के पेंडिंग केस का ब्योरा वेबसाइट पर नहीं मिले। इनमें से मध्यप्रदेश, झारखंड, बिहार जैसे बड़े राज्य के सूचना आयोग शामिल हैं। एनसीपीआरआई की को-कन्वीनर अंजली भारद्वाज ने बताया कि राज्यों में सूचना आयुक्तों की कमी और कार्यप्रणाली की सुस्ती बढ़ते लंबित मामलों की मुख्य वजह हैं।
रिपोर्ट से इस बात का भी खुलासा हुआ कि उपलब्ध संसाधनों और वर्तमान कार्यप्रणाली के हिसाब असम राज्य सूचना आयोग में अपीलों और शिकायतों के निपटारे में 30 साल तक का समय लग सकता है। जबकि प. बंगाल में 11 साल, केरल में सात साल, उत्तर प्रदेश में एक साल दो महीने का समय आरटीआई अपील के निपटारे में लग सकता है। उधर, दो साल पहले इस मामले में सबसे बदतर हालत मध्यप्रदेश की थी। जहां अपील निपटारे में 60 साल का समय लग रहा था।
लंबित मामले वाले सूचना आयोग -
राज्य - वर्ष 2015 - वर्ष 2013
उत्तर प्रदेश - 48,457 - 48,442
महाराष्ट्र - 31,671 - 32,390
कर्नाटक - 17,133 - 14,686
राजस्थान - 14,790 - 13,538
केंद्रीय सूचना आयोग 37,323 - 26,115