न्यूज डेस्क, अमर उजाला, देहरादून
Published by: अलका त्यागी
Updated Thu, 23 Sep 2021 11:56 PM IST
देहरादून में शक्तिमान प्रकरण कई दिनों तक भाजपा और गणेश जोशी के लिए गले की फांस बना रहा। गणेश जोशी, योगेंद्र रावत समेत पांच लोगों पर पुलिस के घोड़े शक्तिमान की टांग तोड़ने का आरोप लगा था। कुछ दिन उपचार के बाद शक्तिमान की मौत हो गई। उस दौरान कई दिनों तक यह मामला बेहद चर्चा में रहा। गणेश जोशी को कुछ दिन जेल में भी गुजारने पड़े।
मामला 14 मार्च 2016 का है, जब विधानसभा के पास भाजपा का विरोध प्रदर्शन चल रहा था। इसी दौरान पुलिस का घुड़सवार दस्ता वहां पहुंचा। आरोप था कि गणेश जोशी ने पुलिसकर्मी का डंडा छीनकर घोड़े शक्तिमान को डराया, जिस पर वह कुछ कदम पीछे हट गया।
शक्तिमान प्रकरण: अमेरिका से कृत्रिम पैर मंगवाने के बाद भी नहीं बची थी जान, जानें पूरा मामला जिसमें फंस गए थे भाजपा नेता
उसकी टांग मुड़कर टूट गई। वहीं पर गिरे घोड़े को लहूलुहान हालत में वेटनरी वैन से पुलिस लाइन पहुंचाया गया। बाद में घुड़सवार पुलिस के सिपाही रविंद्र सिंह की तहरीर पर गणेश जोशी और अन्य के खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया। 20 अप्रैल 2016 को पुलिस लाइन के अस्तबल में उपचार के दौरान शक्तिमान की मौत हो गई। यह पूरा प्रकरण कई दिन तक सुर्खियों में रहा। कांग्रेस व अन्य विरोधी दलों और पशु प्रेमियों ने इसको लेकर गणेश जोशी और भाजपा पर जमकर निशाना साधा।
14 मार्च 2016 : विधानसभा के पास भाजपा की रैली के दौरान शक्तिमान घायल हुआ। घोड़े के पिछले पैर में फ्रैक्चर हुआ।
15 मार्च 2016 : डॉक्टरों की टीम ने शक्तिमान के पैर का ऑपरेशन किया।
17 मार्च 2016 : पशु चिकित्सकों की टीम ने पैर काटने का फैसला किया। उसकी जगह एक कृत्रिम अंग लगाने का फैसला लिया गया।
19 मार्च 2016 : शक्तिमान का उपचार जारी रहा। सहारे की मदद से शक्तिमान को उठाया गया।
28 मार्च 2016 : विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने घाव की स्किन ग्राफ्टिंग की।
3 अप्रैल 2016 : घोड़ा घायल होने के बाद पहली बार अपने पैरों पर खड़ा हुआ।
10 अप्रैल 2016 : अमेरिका से मंगाया गया स्थाई कृत्रिम पैर फिट किया गया।
20 अप्रैल 2016 : शक्तिमान ने दम तोड़ दिया।
कार्यकर्ताओं ने आवास पर पहुंचकर दी बधाई
कार्यकर्ताओं ने गणेश जोशी को क्लीन चिट मिलने के बाद बृहस्पतिवार शाम को उनके आवास पर पहुंचकर बधाई दी। बड़ी संख्या में भाजपा पदाधिकारी, कार्यकर्ता और स्थानीय लोग उनके आवास पर पहुंचे और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि जोशी को अनावश्यक रूप से विवाद में घसीटा गया। कोर्ट का निर्णय आने के बाद उन्होंने खुशी जताई।
मैंने उस समय भी कहा था कि मैं निर्दोष हूं। मैंने कहा था कि अगर में दोषी हूं तो मुझे सजा मिलनी चाहिए और अगर मैं निर्दोष हूं तो मुझे न्याय मिलना चाहिए। इस पूरे प्रकरण में 2016 से 2021 तक मैंने और मेरे परिवार ने बहुत कुछ झेला है। कई लोगों और विरोधी दलों ने मुझे दोषी ठहरा दिया। आज बार एसोसिएशन के प्रयासों और सभी शुभचिंतकों के सहयोग की बदौलत मुझे न्याय मिला है।
- गणेश जोशी, कैबिनेट मंत्री
विस्तार
देहरादून में शक्तिमान प्रकरण कई दिनों तक भाजपा और गणेश जोशी के लिए गले की फांस बना रहा। गणेश जोशी, योगेंद्र रावत समेत पांच लोगों पर पुलिस के घोड़े शक्तिमान की टांग तोड़ने का आरोप लगा था। कुछ दिन उपचार के बाद शक्तिमान की मौत हो गई। उस दौरान कई दिनों तक यह मामला बेहद चर्चा में रहा। गणेश जोशी को कुछ दिन जेल में भी गुजारने पड़े।
मामला 14 मार्च 2016 का है, जब विधानसभा के पास भाजपा का विरोध प्रदर्शन चल रहा था। इसी दौरान पुलिस का घुड़सवार दस्ता वहां पहुंचा। आरोप था कि गणेश जोशी ने पुलिसकर्मी का डंडा छीनकर घोड़े शक्तिमान को डराया, जिस पर वह कुछ कदम पीछे हट गया।
शक्तिमान प्रकरण: अमेरिका से कृत्रिम पैर मंगवाने के बाद भी नहीं बची थी जान, जानें पूरा मामला जिसमें फंस गए थे भाजपा नेता
उसकी टांग मुड़कर टूट गई। वहीं पर गिरे घोड़े को लहूलुहान हालत में वेटनरी वैन से पुलिस लाइन पहुंचाया गया। बाद में घुड़सवार पुलिस के सिपाही रविंद्र सिंह की तहरीर पर गणेश जोशी और अन्य के खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया। 20 अप्रैल 2016 को पुलिस लाइन के अस्तबल में उपचार के दौरान शक्तिमान की मौत हो गई। यह पूरा प्रकरण कई दिन तक सुर्खियों में रहा। कांग्रेस व अन्य विरोधी दलों और पशु प्रेमियों ने इसको लेकर गणेश जोशी और भाजपा पर जमकर निशाना साधा।