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MBBS Study in Uttarakhand After becoming a doctor for Rs 50,000 many broke bond by paying a fine
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Uttarakhand: 50 हजार में बने डॉक्टर, जुर्माना देकर तोड़ा पहाड़ों से नाता, इस बेरुखी के बाद अब सरकार सख्त
भूपेंद्र राणा, अमर उजाला, देहरादून
Published by: रेनू सकलानी
Updated Sat, 04 Mar 2023 11:03 AM IST
सार
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पहाड़ के प्रति डॉक्टरों की बेरुखी के बाद सरकार बॉन्ड की शर्त को और सख्त बनाने जा रही है। बॉन्ड तोड़ने वाले ऐसे डॉक्टरों से सरकार दो करोड़ रुपये तक जुर्माना वसूलने की तैयारी में हैं। प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों के अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की उपलब्धता के लिए सरकार ने मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं के लिए बॉन्ड व्यवस्था लागू की थी।
प्रदेश में 50 हजार रुपये में डॉक्टर बनने के बाद कइयों ने जुर्माना देकर पहाड़ से नाता तोड़ लिया। बॉन्ड की शर्त के हिसाब से मेडिकल की पढ़ाई पूरी होने के बाद ऐसे डॉक्टरों को पहाड़ में सेवाएं देनी थीं। लेकिन उन्होंने जुर्माना देकर बॉन्ड तोड़ने का विकल्प चुना।
ऐसे डॉक्टरों की संख्या अब तक 193 हो चुकी है। पहाड़ के प्रति डॉक्टरों की इस बेरुखी के बाद सरकार बॉन्ड की शर्त को और सख्त बनाने जा रही है। बॉन्ड तोड़ने वाले ऐसे डॉक्टरों से सरकार दो करोड़ रुपये तक जुर्माना वसूलने की तैयारी में हैं।प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों के अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की उपलब्धता के लिए सरकार ने मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं के लिए बॉन्ड व्यवस्था लागू की थी। इसमें सस्ती फीस पर एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए छात्रों से बॉन्ड भराया जाता है।
बॉन्ड की शर्तें यह हैं कि पढ़ाई पूरी होने के बाद डॉक्टरों को पांच साल तक पहाड़ में सेवाएं देनी होती हैं, लेकिन पढ़ाई पूरी होने के बाद बॉन्ड धारी डॉक्टर पहाड़ों में सेवाएं देने से इनकार करते हैं। यहां तक की विभाग की ओर से तैनाती देने बाद अस्पतालों से गायब हो जाते हैं। बॉन्ड तोड़ने पर सरकार ने कार्रवाई की तो डॉक्टर लाखों रुपये जमा करने को तैयार हो गए।
श्रीनगर और अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में बॉन्ड की व्यवस्था
बॉन्ड धारी डॉक्टरों के पहाड़ों में जाने से इन्कार करने पर सरकार दून और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में बॉन्ड व्यवस्था को समाप्त कर दिया है। वर्तमान में राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर और अल्मोड़ा में एमबीबीएस पढ़ाई के लिए बॉन्ड की व्यवस्था है। बॉन्ड भरने वाले डॉक्टरों से सरकार 50 हजार फीस लेती है। जबकि बिना बॉन्ड वाले डॉक्टरों की फीस चार लाख तक होती है।
सरकार सख्त, बॉन्ड तोड़ने पर होगी दो करोड़ की वसूली
बॉन्ड व्यवस्था में एमबीबीएस, पीजी और यूजी की पढ़ाई सस्ती दरों की जाती है। पूर्व में बॉन्ड की शर्तों का पालन न करने वाले डॉक्टरों से पूरी फीस की वसूली की जाती थी। इसमें एमबीबीएस डॉक्टरों से 20 से 25 लाख और पीजी बॉन्ड धारक से एक करोड़ की वसूली की जाती है। अब सरकार ने जुर्माने के रूप में दो करोड़ वसूलने की तैयारी कर रही है।
नोटिस देने के बाद ड्यूटी पर नहीं लौटेबॉन्ड धारी डॉक्टरों को सरकार की ओर से स्वास्थ्य विभाग की ओर से नोटिस जारी किए गए। बावजूद इसके वे ड्यूटी पर नहीं लौटे। इसके बाद सरकार ने मेडिकल कॉलेजों के माध्यम से डॉक्टरों को आरसी जारी कर वसूली की कार्रवाई की है।
33 लाख तक भरा जुर्माना
श्रीनगर मेडिकल कॉलेज से बॉन्ड व्यवस्था से मेडिकल की पढ़ाई करने वाले दो डॉक्टर ने बॉन्ड तोड़ने के लिए 33-33 लाख तक जुर्माना भरा है।
बॉन्ड तोड़ने वाले डॉक्टरों पर सरकार सख्ती बरती रही है। अब यदि कोई डॉक्टर बॉन्ड की शर्तों का पालन नहीं करता है तो उससे दो करोड़ तक वसूली की जाएगी बॉन्ड व्यवस्था के तहत मेडिकल की पढ़ाई करने वाले डॉक्टर को पांच साल पहाड़ में सेवाएं देना अनिवार्य है। -डॉ. धन सिंह रावत, स्वास्थ्य मंत्री
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