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Uttarakhand News: Severe water crisis may Occur in hilly area More than 76 percent of 461 sources of water dry
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Uttarakhand: पहाड़ी इलाकों में भीषण जल संकट की आहट...461 स्रोतों का 76 प्रतिशत से ज्यादा पानी सूखा
आफताब अजमत, अमर उजाला, देहरादून
Published by: अलका त्यागी
Updated Sat, 04 Mar 2023 10:38 AM IST
सार
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Uttarakhand water crisis News: गढ़वाल विवि के प्रो. एमएस नेगी का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग का सबसे ज्यादा असर पेयजल स्रोतों पर पड़ रहा है। अगर यह सूख गए तो प्रदेश में पेयजल का बड़ा संकट पैदा हो जाएगा। इसके लिए हमें जंगलों की सुरक्षा करनी होगी।
गर्मियों की दस्तक के साथ ही उत्तराखंड में भीषण जल संकट के संकेत मिलने शुरू हो गए हैं। प्रदेश के 4624 गदेरे और झरनों में तेजी से पानी की कमी आने लगी है। इनमें से 461 पेयजल स्रोत तो ऐसे हैं, जिनमें 76 प्रतिशत से ज्यादा पानी कम हो गया है। पानी कम होने वाली स्रोतों में पौड़ी सबसे पहले स्थान पर है। जल संस्थान की ग्रीष्मकाल में पेयजल स्रोतों की ताजा रिपोर्ट से इसका खुलासा हुआ है।
जल संस्थान ने ग्रीष्मकाल के मद्देनजर पेयजल किल्लत के लिए सभी स्रोतों का प्राथमिक अध्ययन कराया है। इनमें से 10 फीसदी (461) पेयजल स्रोत ऐसे हैं, जिनमें 76 प्रतिशत से अधिक पानी सूख चुका है। अब इनसे इतना कम पानी आ रहा है कि आपूर्ति मुश्किल हो चुकी है। वहीं, 28 फीसदी(1290) पेयजल स्त्रोत ऐसे हैं, जिनमें 51 से 75 प्रतिशत तक पानी सूख चुका है।
इनसे जुड़ी आबादी के लिए भी पेयजल संकट पैदा होने लगा है। जबकि 62 फीसदी (2873) पेयजल स्त्रोत ऐसे हैं, जिनमें 50 प्रतिशत तक पानी खत्म हो चुका है। जल संस्थान पेयजल संकट की वैकल्पिक व्यवस्था बनाने में जुट गया है। सचिव पेयजल नितेश झा ने भी जल संस्थान को जरूरी आवश्यकताएं पूरी करने को कहा है।
किस जिले में कितने जल स्त्रोत, कितने प्रतिशत कम हुआ पानी
जिला
कुल स्रोत
76 प्रतिशत से ज्यादा कमी
51-75 प्रतिशत कमी
0-50 प्रतिशत कमी
देहरादून
142
43
62
37
पौड़ी
645
161
111
373
चमोली
436
36
179
221
रुद्रप्रयाग
313
05
108
200
नई टिहरी
627
77
114
436
उत्तरकाशी
415
63
248
104
नैनीताल
459
36
167
256
अल्मोड़ा
570
13
131
426
पिथौरागढ़
542
25
90
427
चंपावत
277
01
49
227
बागेश्वर
198
01
31
166
पेयजल संकट दूर करने के लिए मांगा आठ करोड़ बजट
सचिव पेयजल नितेश झा ने बताया कि आगामी यात्रा सीजन के मद्देनजर पेयजल आपूर्ति सुचारू रखने के लिए सरकार से आठ करोड़ का बजट मांगा गया है। इससे पेयजल लाइनों की मरम्मत, रखरखाव आदि का काम हो रहा है। वहीं, जल जीवन मिशन की योजनाएं कई जगहों पर शुरू होने से इस बार कुछ राहत रहने की भी उम्मीद जताई जा रही है।
विभाग के पास हैं 72 टैंकर
जल संस्थान के पास पेयजल आपूर्ति की वैकल्पिक व्यवस्था के तहत अपने 72 टैंकर हैं। जबकि जल संस्थान ने 219 किराए के टैंकर लिए हुए हैं। इनमें देहरादून में 14 अपने और 81 किराए के टैंकर शामिल हैं।
इस बार बढ़ेगा जल संकट : प्रो. नेगी
मीडिया से बातचीत में गढ़वाल विवि के भूगोल विभागाध्यक्ष प्रो. एमएस नेगी ने बताया कि इस बार गंभीर पेयजल संकट देखने को मिल सकता है। उनके शोधार्थी तीन साल से प्राकृतिक जल स्रोतों की निगरानी कर रहे हैं। वह लगातार देख रहे हैं कि पानी का स्राव लगातार कम होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग का सबसे ज्यादा असर पेयजल स्रोतों पर पड़ रहा है। अगर यह सूख गए तो प्रदेश में पेयजल का बड़ा संकट पैदा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हमें जंगलों की सुरक्षा करनी होगी। मिश्रित प्रजाति और स्थानीय प्रजाति के पेड़ लगाने होंगे।
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