कोविड महामारी की दो लहरों ने स्कूली बच्चों के पठन-पाठन पर खासा असर डाला है। उन्हें अब स्कूल से ज्यादा ऑनलाइन शिक्षा-परीक्षा पसंद आ रही है। ऑफलाइन पढ़ाई व परीक्षा से वे कतराने लगे हैं। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के कारण अभिभावक भी बच्चों पर स्कूल जाने का दबाव नहीं बना रहे।
स्कूल शिक्षा विभाग के आंकड़ों से सामने आया है कि बच्चों की उपस्थिति शुरू के मुकाबले तो सुधरी पर निरंतर बढ़ने के बजाय 50 फीसदी तक आकर ठहर गई। नौवीं-बारहवीं के बच्चे दो माह बाद भी पचास फीसदी में से भी 45-50 प्रतिशत ही स्कूल पहुंच रहे हैं। चौथी से आठवीं के बच्चे 50 से 59 फीसदी के बीच अब तक स्कूल आए हैं।
चौथी से आठवीं के कुल 14425 स्कूलों के 1095303 बच्चों में से 547647 बच्चों को विभाग स्कूल बुला रहा है, लेकिन 10 सितंबर तक सर्वाधिक 59 फीसदी बच्चों ने ही उपस्थिति दर्ज कराई है। नौवीं से बारहवीं के 3366 स्कूलों में 788061 बच्चे हैं। इनमें से 394026 को स्कूल बुलाया जा रहा, लेकिन 177231 ही बीते दस सितंबर को पहुंचे। इन कक्षाओं के बच्चों की उपस्थिति 50 फीसदी से ऊपर नहीं जा पा रही।
ऑनलाइन परीक्षा में आ रहे ज्यादा नंबरों से बच्चे प्रभावित
शिक्षाविद बजीर सिंह का कहना है कि अब भी ऑनलाइन शिक्षा का विकल्प खुला होने के कारण अनेक अभिभावक, बच्चों को स्कूलों में नहीं भेज रहे। बच्चे ऑनलाइन परीक्षा में आ रहे अधिक नंबरों से भी प्रभावित हैं। घर से जैसे मर्जी पढ़ाई करो या परीक्षा दो, पूछने वाला कोई नहीं। ऑफलाइन परीक्षा शिक्षकों की मौजूदगी में होने के कारण नंबर कम आते हैं, जिससे बच्चे स्कूल का रुख कम कर रहे। उनके मन में यह बात आ गई है कि भौतिक रूप से स्कूल जाएंगे तो परीक्षा भी कक्षा में बैठकर देनी होगी, इसलिए ऑनलाइन पढ़ाई अच्छी है। इससे स्कूली शिक्षा का बहुत नुकसान हो रहा है।
ऑनलाइन पढ़ाई के अनेक नुकसान
शिक्षाविद सीएन भारती का कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों का मानसिक व बौद्धिक विकास रुका है। कोराना की तीसरी लहर की संभावना खत्म होने पर पूरी क्षमता के साथ बच्चों को स्कूल बुलाकर पूर्व की तरह पढ़ाई शुरू करनी चाहिए। अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल में पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करें।
शिक्षकों का टीकाकरण पूरा नहीं, खतरा भी बरकरार
अभिभावकों तरसेम, राकेश, धर्म सिंह, रमेश मलिक, पंकज यादव, विजेंद्र व सविता ने कहा कि कोरोना महामारी का खतरा पूरी तरह से टला नहीं है। शिक्षकों का टीकाकरण भी पूरा नहीं हुआ। जीवन की सुरक्षा पहले है। जैसे ही हालात पूरी तरह सामान्य होंगे, बच्चों को पहले की तरह स्कूल भेजेंगे।
उपस्थिति का दबाव नहीं, बढ़ रही संख्या : कंवर पाल
शिक्षा मंत्री कंवर पाल का कहना है कि धीरे-धीरे कोरोना मुक्त राज्य बनने की ओर बढ़ रहे हैं। तीसरी लहर नहीं आई तो प्रदेश में हालात बहुत जल्दी सामान्य हो जाएंगे। अभी बच्चों पर उपस्थिति का कोई दबाव नहीं है। स्कूलों में निरंतर संख्या बढ़ रही है। कोविड के दौरान बच्चों की पढ़ाई होनी चाहिए, चाहे ऑनलाइन हो या ऑफलाइन।
विस्तार
कोविड महामारी की दो लहरों ने स्कूली बच्चों के पठन-पाठन पर खासा असर डाला है। उन्हें अब स्कूल से ज्यादा ऑनलाइन शिक्षा-परीक्षा पसंद आ रही है। ऑफलाइन पढ़ाई व परीक्षा से वे कतराने लगे हैं। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के कारण अभिभावक भी बच्चों पर स्कूल जाने का दबाव नहीं बना रहे।
स्कूल शिक्षा विभाग के आंकड़ों से सामने आया है कि बच्चों की उपस्थिति शुरू के मुकाबले तो सुधरी पर निरंतर बढ़ने के बजाय 50 फीसदी तक आकर ठहर गई। नौवीं-बारहवीं के बच्चे दो माह बाद भी पचास फीसदी में से भी 45-50 प्रतिशत ही स्कूल पहुंच रहे हैं। चौथी से आठवीं के बच्चे 50 से 59 फीसदी के बीच अब तक स्कूल आए हैं।
चौथी से आठवीं के कुल 14425 स्कूलों के 1095303 बच्चों में से 547647 बच्चों को विभाग स्कूल बुला रहा है, लेकिन 10 सितंबर तक सर्वाधिक 59 फीसदी बच्चों ने ही उपस्थिति दर्ज कराई है। नौवीं से बारहवीं के 3366 स्कूलों में 788061 बच्चे हैं। इनमें से 394026 को स्कूल बुलाया जा रहा, लेकिन 177231 ही बीते दस सितंबर को पहुंचे। इन कक्षाओं के बच्चों की उपस्थिति 50 फीसदी से ऊपर नहीं जा पा रही।
ऑनलाइन परीक्षा में आ रहे ज्यादा नंबरों से बच्चे प्रभावित
शिक्षाविद बजीर सिंह का कहना है कि अब भी ऑनलाइन शिक्षा का विकल्प खुला होने के कारण अनेक अभिभावक, बच्चों को स्कूलों में नहीं भेज रहे। बच्चे ऑनलाइन परीक्षा में आ रहे अधिक नंबरों से भी प्रभावित हैं। घर से जैसे मर्जी पढ़ाई करो या परीक्षा दो, पूछने वाला कोई नहीं। ऑफलाइन परीक्षा शिक्षकों की मौजूदगी में होने के कारण नंबर कम आते हैं, जिससे बच्चे स्कूल का रुख कम कर रहे। उनके मन में यह बात आ गई है कि भौतिक रूप से स्कूल जाएंगे तो परीक्षा भी कक्षा में बैठकर देनी होगी, इसलिए ऑनलाइन पढ़ाई अच्छी है। इससे स्कूली शिक्षा का बहुत नुकसान हो रहा है।
ऑनलाइन पढ़ाई के अनेक नुकसान
शिक्षाविद सीएन भारती का कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों का मानसिक व बौद्धिक विकास रुका है। कोराना की तीसरी लहर की संभावना खत्म होने पर पूरी क्षमता के साथ बच्चों को स्कूल बुलाकर पूर्व की तरह पढ़ाई शुरू करनी चाहिए। अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल में पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करें।
शिक्षकों का टीकाकरण पूरा नहीं, खतरा भी बरकरार
अभिभावकों तरसेम, राकेश, धर्म सिंह, रमेश मलिक, पंकज यादव, विजेंद्र व सविता ने कहा कि कोरोना महामारी का खतरा पूरी तरह से टला नहीं है। शिक्षकों का टीकाकरण भी पूरा नहीं हुआ। जीवन की सुरक्षा पहले है। जैसे ही हालात पूरी तरह सामान्य होंगे, बच्चों को पहले की तरह स्कूल भेजेंगे।
उपस्थिति का दबाव नहीं, बढ़ रही संख्या : कंवर पाल
शिक्षा मंत्री कंवर पाल का कहना है कि धीरे-धीरे कोरोना मुक्त राज्य बनने की ओर बढ़ रहे हैं। तीसरी लहर नहीं आई तो प्रदेश में हालात बहुत जल्दी सामान्य हो जाएंगे। अभी बच्चों पर उपस्थिति का कोई दबाव नहीं है। स्कूलों में निरंतर संख्या बढ़ रही है। कोविड के दौरान बच्चों की पढ़ाई होनी चाहिए, चाहे ऑनलाइन हो या ऑफलाइन।