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पंजाब सरकार ने मोबाइल भत्ता समाप्त करने के अपने फैसले से यू-टर्न ले लिया है। सरकार ने मोबाइल भत्ते में संशोधन करते हुए समाप्ति का फैसला वापस ले लिया है। नए संशोधन के तहत अब अधिकतम 500 और न्यूनतम 250 रुपये की राशि मोबाइल भत्ते के रूप में दी जाएगी। सरकार की ओर से यह आदेश वित्त विभाग के अंडर सेक्रेटरी हरविंदर सिंह ने दिए हैं।
कोरोना संकट के दौरान सरकार को हुए आर्थिक नुकसान को देखते हुए पंजाब सरकार ने सरकारी खर्चों में कटौती के तहत कर्मचारियों और अधिकारियों के मोबाइल भत्तों को समाप्त कर दिया था। इसके लिए 27 जुलाई को सरकार की ओर से आदेश जारी हुआ था। मोबाइल भत्ता समाप्त होने के बाद कर्मचारी यूनियनों ने सरकार के फैसले का विरोध किया था।
कर्मचारियों के विरोध को देखते हुए अब पंजाब सरकार ने फैसले पर यू-टर्न लेते हुए मोबाइल भत्ते में संशोधन कर फैसला वापस ले लिया है। वित्त विभाग के अंडर सेक्रेटरी हरविंदर सिंह ने कहा कि मोबाइल भत्ते की अधिकतम सीमा 500 रुपये और न्यूनतम सीमा 250 रुपये निर्धारित की गई है। ग्रुप ए के कर्मचारियों के लिए 500 रुपये, ग्रुप बी के लिए 300, ग्रुप सी और डी के लिए क्रमश: 250-250 रुपये तय किए गए हैं।
पंजाब सरकार ने स्मार्ट राशन कार्ड स्कीम से बाहर किए सभी लाभपात्रियों की फिर से तस्दीक करने की प्रक्रिया शुरू करने का फ़ैसला किया है, ताकि सभी योग्य व्यक्तियों को स्कीम का लाभ मुहैया करवाया जा सके। कैबिनेट के फ़ैसले के अनुसार 9,48,801 लाभपात्रियों (2,37,200 परिवार) की फिर से तस्दीक की प्रक्रिया के दौरान यदि यह पाया जाता है कि उनको अनुचित ढंग से या गलती से बाहर किया गया था, तो उन्हें फिर सूची में शामिल किया जाएगा।
आलू उत्पादकों की आय बढ़ाने को बीजों का होगा सर्टिफिकेशन
पंजाब सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए आलू उत्पादकों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से ऐरोपोनिकस /नेट हाउस सुविधाओं का प्रयोग करते टिशू कल्चर आधारित प्रौद्योगिकी के जरिए आलू के मानक बीज के उत्पादन और आलू के बीज व इसकी अगलों नस्लों की सर्टिफिकेशन का फ़ैसला लिया है।
कैबिनेट ने पंजाब टिशू कल्चर बेस्ड सीड पोटैटो बिल, 2020 को मंजूरी दे दी है ताकि जिससे आलू उत्पादकों की आलू के मानक बीज की मांग को पूरा किया जा सके और देश में राज्य को आलू बीज निर्यात हब के तौर पर विकसित किया जा सके। प्रवक्ता ने बताया कि इस समय राज्य में एक लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की खेती की जाती है, जिससे आलू के 4 लाख टन बीज की मांग पैदा हुई है। हालांकि, सेंट्रल पोटैटो रिसर्च इंस्टीट्यूट शिमला से आलू के मानक बीज की सप्लाई बहुत कम है। इस समय पर कुछ व्यापारी इस पर पंजाब के बीज का मार्का लगाकर ग़ैर-कानूनी ढंग से घटिया किस्म का आलू बीज सप्लाई कर रहे हैं।
पंजाब कैबिनेट ने पंजाब स्टेट विजिलेंस कमीशन ऑर्डिनेंस, 2020 को विधानसभा के अगले सत्र में बिल के तौर पर पेश करके कानून का रूप देने को मंजूरी दे दी है। सरकारी मुलाजिमों के बीच भ्रष्टाचार पर नकेल कसने और अधिक पारदर्शिता लाने के मकसद से बहु सदस्यीय आयोग की स्थापना को एक अध्यादेश के जरिए कैबिनेट ने मंजूरी दी थी।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान साल 2006 में इसी तरह के आयोग को स्थापित करने का रास्ता साफ किया था, जिसे 2007 में सत्ता में आने के बाद अकाली दल की सरकार ने रद्द कर दिया था। इस आयोग को एक आजाद संस्था के तौर पर स्थापित किया जाना था, जो विजिलेंस ब्यूरो और राज्य सरकार के सभी विभागों की कार्यप्रणाली पर नजर रखेगा ताकि एक साफ सुथरा, निष्पक्ष और पारदर्शी प्रशासन मुहैया करवाया जा सके।
आयोग में चेयरमैन के साथ दो सदस्य होंगे
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि इस आयोग में एक चेयरमैन और दो सदस्य होंगे। इनका कार्यकाल पांच वर्ष का होगा। पंजाब स्टेट विजिलेंस कमीशन, राज्य विजिलेंस ब्यूरो द्वारा की जा रही जांच-पड़ताल के अलावा विभिन्न सरकारी विभागों के पास कानूनी कार्रवाई संबंधी मंजूरी के लंबित पड़े मामलों की समीक्षा करेगा और सरकारी विभागों को विजिलेंस से संबंधित मामलों और जांच-पड़ताल संबंधी सलाह देगा। आयोग को यह भी अधिकार दिए गए हैं कि वह विजिलेंस ब्यूरो को अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए हिदायतें दें।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी की सिफारिशों पर होगा चयन
इस आयोग में बतौर चेयरपर्सन राज्य का चीफ विजिलेंस कमिश्नर शामिल होगा। यह उन व्यक्तियों में से होगा, जो हाईकोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर सेवा निभा चुके हैं या निभा रहे हैं। यह नियुक्तियां मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी की सिफारिशों पर की जाएंगी, जिसके बाकी सदस्यों में पंजाब विधानसभा के स्पीकर और मुख्यमंत्री के बाद मंत्रिमंडल के सबसे वरिष्ठ मंत्री शामिल होंगे।
पंजाब सरकार ने मोबाइल भत्ता समाप्त करने के अपने फैसले से यू-टर्न ले लिया है। सरकार ने मोबाइल भत्ते में संशोधन करते हुए समाप्ति का फैसला वापस ले लिया है। नए संशोधन के तहत अब अधिकतम 500 और न्यूनतम 250 रुपये की राशि मोबाइल भत्ते के रूप में दी जाएगी। सरकार की ओर से यह आदेश वित्त विभाग के अंडर सेक्रेटरी हरविंदर सिंह ने दिए हैं।
कोरोना संकट के दौरान सरकार को हुए आर्थिक नुकसान को देखते हुए पंजाब सरकार ने सरकारी खर्चों में कटौती के तहत कर्मचारियों और अधिकारियों के मोबाइल भत्तों को समाप्त कर दिया था। इसके लिए 27 जुलाई को सरकार की ओर से आदेश जारी हुआ था। मोबाइल भत्ता समाप्त होने के बाद कर्मचारी यूनियनों ने सरकार के फैसले का विरोध किया था।
कर्मचारियों के विरोध को देखते हुए अब पंजाब सरकार ने फैसले पर यू-टर्न लेते हुए मोबाइल भत्ते में संशोधन कर फैसला वापस ले लिया है। वित्त विभाग के अंडर सेक्रेटरी हरविंदर सिंह ने कहा कि मोबाइल भत्ते की अधिकतम सीमा 500 रुपये और न्यूनतम सीमा 250 रुपये निर्धारित की गई है। ग्रुप ए के कर्मचारियों के लिए 500 रुपये, ग्रुप बी के लिए 300, ग्रुप सी और डी के लिए क्रमश: 250-250 रुपये तय किए गए हैं।
स्मार्ट राशन कार्ड स्कीम से बाहर हुए लाभपात्रियों की फिर होगी जांच
पंजाब सरकार ने स्मार्ट राशन कार्ड स्कीम से बाहर किए सभी लाभपात्रियों की फिर से तस्दीक करने की प्रक्रिया शुरू करने का फ़ैसला किया है, ताकि सभी योग्य व्यक्तियों को स्कीम का लाभ मुहैया करवाया जा सके। कैबिनेट के फ़ैसले के अनुसार 9,48,801 लाभपात्रियों (2,37,200 परिवार) की फिर से तस्दीक की प्रक्रिया के दौरान यदि यह पाया जाता है कि उनको अनुचित ढंग से या गलती से बाहर किया गया था, तो उन्हें फिर सूची में शामिल किया जाएगा।
आलू उत्पादकों की आय बढ़ाने को बीजों का होगा सर्टिफिकेशन
पंजाब सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए आलू उत्पादकों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से ऐरोपोनिकस /नेट हाउस सुविधाओं का प्रयोग करते टिशू कल्चर आधारित प्रौद्योगिकी के जरिए आलू के मानक बीज के उत्पादन और आलू के बीज व इसकी अगलों नस्लों की सर्टिफिकेशन का फ़ैसला लिया है।
कैबिनेट ने पंजाब टिशू कल्चर बेस्ड सीड पोटैटो बिल, 2020 को मंजूरी दे दी है ताकि जिससे आलू उत्पादकों की आलू के मानक बीज की मांग को पूरा किया जा सके और देश में राज्य को आलू बीज निर्यात हब के तौर पर विकसित किया जा सके। प्रवक्ता ने बताया कि इस समय राज्य में एक लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की खेती की जाती है, जिससे आलू के 4 लाख टन बीज की मांग पैदा हुई है। हालांकि, सेंट्रल पोटैटो रिसर्च इंस्टीट्यूट शिमला से आलू के मानक बीज की सप्लाई बहुत कम है। इस समय पर कुछ व्यापारी इस पर पंजाब के बीज का मार्का लगाकर ग़ैर-कानूनी ढंग से घटिया किस्म का आलू बीज सप्लाई कर रहे हैं।
पंजाब स्टेट विजिलेंस कमीशन आर्डिनेंस को मंजूरी
पंजाब कैबिनेट ने पंजाब स्टेट विजिलेंस कमीशन ऑर्डिनेंस, 2020 को विधानसभा के अगले सत्र में बिल के तौर पर पेश करके कानून का रूप देने को मंजूरी दे दी है। सरकारी मुलाजिमों के बीच भ्रष्टाचार पर नकेल कसने और अधिक पारदर्शिता लाने के मकसद से बहु सदस्यीय आयोग की स्थापना को एक अध्यादेश के जरिए कैबिनेट ने मंजूरी दी थी।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान साल 2006 में इसी तरह के आयोग को स्थापित करने का रास्ता साफ किया था, जिसे 2007 में सत्ता में आने के बाद अकाली दल की सरकार ने रद्द कर दिया था। इस आयोग को एक आजाद संस्था के तौर पर स्थापित किया जाना था, जो विजिलेंस ब्यूरो और राज्य सरकार के सभी विभागों की कार्यप्रणाली पर नजर रखेगा ताकि एक साफ सुथरा, निष्पक्ष और पारदर्शी प्रशासन मुहैया करवाया जा सके।
आयोग में चेयरमैन के साथ दो सदस्य होंगे
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि इस आयोग में एक चेयरमैन और दो सदस्य होंगे। इनका कार्यकाल पांच वर्ष का होगा। पंजाब स्टेट विजिलेंस कमीशन, राज्य विजिलेंस ब्यूरो द्वारा की जा रही जांच-पड़ताल के अलावा विभिन्न सरकारी विभागों के पास कानूनी कार्रवाई संबंधी मंजूरी के लंबित पड़े मामलों की समीक्षा करेगा और सरकारी विभागों को विजिलेंस से संबंधित मामलों और जांच-पड़ताल संबंधी सलाह देगा। आयोग को यह भी अधिकार दिए गए हैं कि वह विजिलेंस ब्यूरो को अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए हिदायतें दें।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी की सिफारिशों पर होगा चयन
इस आयोग में बतौर चेयरपर्सन राज्य का चीफ विजिलेंस कमिश्नर शामिल होगा। यह उन व्यक्तियों में से होगा, जो हाईकोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर सेवा निभा चुके हैं या निभा रहे हैं। यह नियुक्तियां मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी की सिफारिशों पर की जाएंगी, जिसके बाकी सदस्यों में पंजाब विधानसभा के स्पीकर और मुख्यमंत्री के बाद मंत्रिमंडल के सबसे वरिष्ठ मंत्री शामिल होंगे।