पंजाब में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले करतारपुर कॉरिडोर को खोलकर भाजपा ने मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है। अभी तक हिंदू वोटरों पर दावा करने वाली पार्टी इस फैसले के जरिए 58 प्रतिशत सिख वोटरों में भी पैठ बनाने का प्रयास करेगी। इस बार भाजपा पंजाब चुनाव में पहली बार अकेले किस्मत आजमा रही है। पुराने सहयोगी अकाली दल भाजपा का साथ छोड़ चुका है।
26 मार्च 2022 को पंजाब सरकार के पांच साल पूरे हो जाएंगे। सभी पार्टियां चुनावी तैयारियों में जुट गई हैं। भाजपा भी शिरोमणि अकाली दल से अलग होने के बाद राज्य में अपनी जमीन तलाश रही है। राज्य के भाजपा नेताओं के दो दिन के दिल्ली दौरे के बाद गुरुनानक देव जी के 552 वें प्रकाश पर्व के ठीक पहले करतारपुर गलियारे को बुधवार से खोलने का फैसला लिया गया। राजनीतिक विशेषज्ञ इसे पार्टी का मास्टर स्ट्रोक मान रहे हैं।
2011 में हुई जनगणना के अनुसार पंजाब में करीब 58 प्रतिशत आबादी सिखों की है। इस अहम फैसले से भाजपा सबसे अधिक सिख वोटरों में पैठ बनाने का प्रयास करेगी। राज्य में करीब 38 प्रतिशत हिंदू हैं, जिस पर भाजपा अपना दावा करती रही है। इस बार भाजपा पहली बार शिअद के बिना पंजाब की सियासी लड़ाई में उतरने जा रही है।
पाकिस्तान ने लगाया था प्रतिबंध
अगस्त में पाकिस्तान ने करतारपुर में भारत सहित 11 देशों की यात्रा पर प्रतिबंध लगाया था। डेल्टा वैरियंट के प्रकोप की वजह से पाकिस्तान ने 22 मई से लेकर 12 अगस्त तक भारत को सी कैटेगरी में डाल दिया था। 16 मार्च, 2020 को भारत और पाकिस्तान ने कोविड-19 को देखते हुए अस्थायी तौर पर करतारपुर साहिब की यात्रा पर प्रतिबंध लगाया था।
सिखों के लिए क्यों जरूरी है श्री करतारपुर साहिब
भारतीय सीमा से चार किलोमीटर दूर पाक स्थित गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब सिखों के लिए सबसे पवित्र तीर्थ स्थान है। गुरुनानक देव जी ने अपने अंतिम समय में इसे करतारपुर में बसाया था। यहीं उन्होंने अंतिम सांस भी ली थी। कहा यह भी जाता है कि गुरुनानक देव जी ने अपने जीवन के 17 साल यहां गुजारे थे।
विस्तार
पंजाब में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले करतारपुर कॉरिडोर को खोलकर भाजपा ने मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है। अभी तक हिंदू वोटरों पर दावा करने वाली पार्टी इस फैसले के जरिए 58 प्रतिशत सिख वोटरों में भी पैठ बनाने का प्रयास करेगी। इस बार भाजपा पंजाब चुनाव में पहली बार अकेले किस्मत आजमा रही है। पुराने सहयोगी अकाली दल भाजपा का साथ छोड़ चुका है।
26 मार्च 2022 को पंजाब सरकार के पांच साल पूरे हो जाएंगे। सभी पार्टियां चुनावी तैयारियों में जुट गई हैं। भाजपा भी शिरोमणि अकाली दल से अलग होने के बाद राज्य में अपनी जमीन तलाश रही है। राज्य के भाजपा नेताओं के दो दिन के दिल्ली दौरे के बाद गुरुनानक देव जी के 552 वें प्रकाश पर्व के ठीक पहले करतारपुर गलियारे को बुधवार से खोलने का फैसला लिया गया। राजनीतिक विशेषज्ञ इसे पार्टी का मास्टर स्ट्रोक मान रहे हैं।
2011 में हुई जनगणना के अनुसार पंजाब में करीब 58 प्रतिशत आबादी सिखों की है। इस अहम फैसले से भाजपा सबसे अधिक सिख वोटरों में पैठ बनाने का प्रयास करेगी। राज्य में करीब 38 प्रतिशत हिंदू हैं, जिस पर भाजपा अपना दावा करती रही है। इस बार भाजपा पहली बार शिअद के बिना पंजाब की सियासी लड़ाई में उतरने जा रही है।
पाकिस्तान ने लगाया था प्रतिबंध
अगस्त में पाकिस्तान ने करतारपुर में भारत सहित 11 देशों की यात्रा पर प्रतिबंध लगाया था। डेल्टा वैरियंट के प्रकोप की वजह से पाकिस्तान ने 22 मई से लेकर 12 अगस्त तक भारत को सी कैटेगरी में डाल दिया था। 16 मार्च, 2020 को भारत और पाकिस्तान ने कोविड-19 को देखते हुए अस्थायी तौर पर करतारपुर साहिब की यात्रा पर प्रतिबंध लगाया था।
सिखों के लिए क्यों जरूरी है श्री करतारपुर साहिब
भारतीय सीमा से चार किलोमीटर दूर पाक स्थित गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब सिखों के लिए सबसे पवित्र तीर्थ स्थान है। गुरुनानक देव जी ने अपने अंतिम समय में इसे करतारपुर में बसाया था। यहीं उन्होंने अंतिम सांस भी ली थी। कहा यह भी जाता है कि गुरुनानक देव जी ने अपने जीवन के 17 साल यहां गुजारे थे।