पंजाब विधानसभा चुनाव-2022 से करीब छह माह पहले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के प्रमुख सलाहकार प्रशांत किशोर ने अपना पद छोड़ने की इच्छा जताई है। प्रशांत किशोर ने कैप्टन को लिखा- सार्वजनिक जीवन में सक्रिय भूमिका से अस्थायी अवकाश लेने के अपने फैसले के मद्देनजर आपके प्रधान सलाहकार के रूप में जिम्मेदारियां संभालने में सक्षम नहीं हूं।
आपसे अनुरोध करता हूं कि मुझे इस जिम्मेदारी से मुक्त किया जाए। माना जा रहा है कि प्रशांत ने पंजाब कांग्रेस की मौजूदा हालत को देखते हुए दो कारणों से कैप्टन से सलाहकार के रूप में काम करने से इनकार किया है। एक तरफ से राज्य कांग्रेस दो धड़ों में बंट गई है और दोनों धड़े अपने-अपने ढंग से काम करने लगे हैं। इस कारण प्रशांत किशोर अपनी रणनीति को लागू नहीं करा सकेंगे।
दूसरा मुख्य कारण यह है कि सिद्धू को प्रदेश प्रधान का पद दिलाने में प्रशांत ने अहम भूमिका निभाई थी। पार्टी सूत्रों का कहना है कि सिद्धू के नाम पर पार्टी आलाकमान को मनाने का काम प्रशांत किशोर ने ही किया था, जो कैप्टन को पसंद नहीं आया है। इसके चलते कैप्टन इन दिनों प्रशांत से नाराज हैं और उनसे मिलने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे।
2017 के चुनाव में प्रशांत ने कैप्टन के लिए चुनाव रणनीति तैयार कर पंजाब में कांग्रेस के लिए 10 साल का सत्ता का सूखा दूर करने में अहम भूमिका निभाई थी। अब प्रशांत किशोर के इस्तीफे की खबरों ने पंजाब की सियासत में फिर से नई चर्चाएं शुरू कर दी हैं।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, सिद्धू के प्रदेश प्रधान बनने के बाद प्रशांत किशोर ने पंजाब कांग्रेस के बजाय सोनिया गांधी के दरबार में पैठ बनाने में सफलता हासिल कर ली है। वह इन दिनों कांग्रेस आलाकमान को सलाह देने का काम करने लगे हैं, हालांकि सलाहकार के रूप में उनके नाम का एलान नहीं हुआ है। ऐसे में प्रशांत के लिए अब कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए सलाहकार के तौर पर काम करना संभव नहीं रह गया। प्रशांत किशोर 2024 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को मजबूत करने के लिए पार्टी के साथ काम कर सकते हैं।
एक रुपये वेतन पर कैबिनेट रैंक के साथ हुई थी नियुक्त
कैप्टन ने 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में प्रशांत की सेवाएं लेने के लिए उन्हें एक रुपये के वेतन पर कैबिनेट रैंक के साथ प्रधान सलाहकार नियुक्त किया था। इस नियुक्ति के बाद कुछ ही दिन सक्रिय रहे प्रशांत उस समय से कैप्टन सरकार से दूरी बनाए हुए थे, जब उन्होंने विधायकों को चंडीगढ़ बुलाकर पूछताछ की थी और मौजूदा विधायकों में से कौन-कौन दोबारा टिकट दिए जाने लायक हैं, के बारे में कैप्टन को रिपोर्ट सौंपी थी।
प्रशांत के इस कदम के बाद कांग्रेस विधायकों में भारी नाराजगी फैल गई थी, जिसे देखते हुए खुद कैप्टन को आगे आकर स्पष्टीकरण देना पड़ा था। इसके बाद प्रशांत किशोर ने पंजाब कांग्रेस के नेताओं से दूरी बना ली और केवल मुख्यमंत्री तक ही खुद को सीमित कर लिया था। प्रशांत को कैबिनेट रैंक के तहत वह सभी सुविधाएं मुहैया कराई गई थी, जो इस रैंक के मंत्रियों आदि को मिलती हैं। उन्हें पंजाब सिविल सचिवालय में एक कमरा और स्टाफ भी अलॉट किया गया था, लेकिन वह एक दिन भी अपने कार्यालय में नहीं बैठे।
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पंजाब विधानसभा चुनाव-2022 से करीब छह माह पहले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के प्रमुख सलाहकार प्रशांत किशोर ने अपना पद छोड़ने की इच्छा जताई है। प्रशांत किशोर ने कैप्टन को लिखा- सार्वजनिक जीवन में सक्रिय भूमिका से अस्थायी अवकाश लेने के अपने फैसले के मद्देनजर आपके प्रधान सलाहकार के रूप में जिम्मेदारियां संभालने में सक्षम नहीं हूं।
आपसे अनुरोध करता हूं कि मुझे इस जिम्मेदारी से मुक्त किया जाए। माना जा रहा है कि प्रशांत ने पंजाब कांग्रेस की मौजूदा हालत को देखते हुए दो कारणों से कैप्टन से सलाहकार के रूप में काम करने से इनकार किया है। एक तरफ से राज्य कांग्रेस दो धड़ों में बंट गई है और दोनों धड़े अपने-अपने ढंग से काम करने लगे हैं। इस कारण प्रशांत किशोर अपनी रणनीति को लागू नहीं करा सकेंगे।
दूसरा मुख्य कारण यह है कि सिद्धू को प्रदेश प्रधान का पद दिलाने में प्रशांत ने अहम भूमिका निभाई थी। पार्टी सूत्रों का कहना है कि सिद्धू के नाम पर पार्टी आलाकमान को मनाने का काम प्रशांत किशोर ने ही किया था, जो कैप्टन को पसंद नहीं आया है। इसके चलते कैप्टन इन दिनों प्रशांत से नाराज हैं और उनसे मिलने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे।
2017 के चुनाव में प्रशांत ने कैप्टन के लिए चुनाव रणनीति तैयार कर पंजाब में कांग्रेस के लिए 10 साल का सत्ता का सूखा दूर करने में अहम भूमिका निभाई थी। अब प्रशांत किशोर के इस्तीफे की खबरों ने पंजाब की सियासत में फिर से नई चर्चाएं शुरू कर दी हैं।