न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Tue, 26 Oct 2021 01:44 PM IST
चंडीगढ़ पीजीआई में मंगलवार को ई-आफिस प्रणाली का शुभारंभ किया गया। पीजीआई निदेशक प्रो. जगतराम ने सेवा का उद्घाटन किया। इस सुविधा के शुरू हो जाने से अब पीजीआई भी दिल्ली एम्स की तर्ज पर काम करने वाला चिकित्सा संस्थान बन गया है। इस सुविधा के माध्यम से अब पीजीआई में पेपरलैस काम होगा जिससे प्रशासनिक कार्यों में फाइलों का अंबार नहीं लगेगा।
यह भी पढ़ें - जगी आस: 11 महीने से बंद टीकरी बॉर्डर खुलवाने के लिए हरियाणा सरकार और किसानों के बीच बातचीत शुरू
ऑन लाइन ही फाइलों को स्वीकृति मिलेगी। इससे लंबित फाइलों की संख्या समाप्त होने के साथ ही प्रक्रिया में पारदर्शिता से कार्य विलंब की स्थिति न के बराबर होगी। इतना ही नहीं फाइल दबाने, गुम होने या एक ही जगह महीनों अटके रहने की नौबत भी नहीं आएगी। वहीं पीजीआई में जगह-जगह लगा फाइलों का अंबार भी नहीं दिखेगा।
डीडीए कुमार गौरव ने बताया कि मौजूदा समय में एक फाइल को अप्रूवल मिलने में सामान्य तौर पर 7 दिन का समय लगता है। जबकि ई-ऑफिस के माध्यम से यह एक घंटे में हो जाएगा। इसके लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। उम्मीद है कि पीजीआई को इस सुविधा का भरपूर लाभ मिलेगा।
कहां-कहां है ई-ऑफिस
केन्द्रीय मंत्रिमंडल सचिवालय, मुख्यमंत्री कार्यालय महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु व त्रिपुरा के सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अलावा दिल्ली के एम्स।
ई ऑफिस के फायदे ही फायदे
- खर्च में कमी और सूचनाएं आसानी से ढूंढी जा सकती हैं।
- कम होती जगह के बीच पेपरलैस ऑफिस में फाइलों को रखने के लिए अलग से जगह की जरूरत नहीं होती। फाइलें कंप्यूटर में कैद रहती हैं।
- यह आसानी से पता किया जा सकेगा कि फाइल कहां और कितने समय से लंबित है।
- फाइल चोरी या आग लगने जैसी घटनाओं में भी सुरक्षित रहती हैं और सूचनाएं आसानी से बांटी जा सकती हैं।
- सर्वर से कनेक्ट होकर कहीं भी काम किया जा सकता है और पर्यावरण की रक्षा भी की जा सकती है।
- इधर-उधर घूमती हुई संबंधित कुर्सी तक देर से पहुंचने वाली फाइलें एक क्लिक से सेकेंड में पहुंच सकती हैं।
- अधिकारी-कर्मचारी अपने घर या अन्य स्थान से भी काम कर सकेंगे।
विस्तार
चंडीगढ़ पीजीआई में मंगलवार को ई-आफिस प्रणाली का शुभारंभ किया गया। पीजीआई निदेशक प्रो. जगतराम ने सेवा का उद्घाटन किया। इस सुविधा के शुरू हो जाने से अब पीजीआई भी दिल्ली एम्स की तर्ज पर काम करने वाला चिकित्सा संस्थान बन गया है। इस सुविधा के माध्यम से अब पीजीआई में पेपरलैस काम होगा जिससे प्रशासनिक कार्यों में फाइलों का अंबार नहीं लगेगा।
यह भी पढ़ें - जगी आस: 11 महीने से बंद टीकरी बॉर्डर खुलवाने के लिए हरियाणा सरकार और किसानों के बीच बातचीत शुरू
ऑन लाइन ही फाइलों को स्वीकृति मिलेगी। इससे लंबित फाइलों की संख्या समाप्त होने के साथ ही प्रक्रिया में पारदर्शिता से कार्य विलंब की स्थिति न के बराबर होगी। इतना ही नहीं फाइल दबाने, गुम होने या एक ही जगह महीनों अटके रहने की नौबत भी नहीं आएगी। वहीं पीजीआई में जगह-जगह लगा फाइलों का अंबार भी नहीं दिखेगा।
डीडीए कुमार गौरव ने बताया कि मौजूदा समय में एक फाइल को अप्रूवल मिलने में सामान्य तौर पर 7 दिन का समय लगता है। जबकि ई-ऑफिस के माध्यम से यह एक घंटे में हो जाएगा। इसके लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। उम्मीद है कि पीजीआई को इस सुविधा का भरपूर लाभ मिलेगा।
कहां-कहां है ई-ऑफिस
केन्द्रीय मंत्रिमंडल सचिवालय, मुख्यमंत्री कार्यालय महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु व त्रिपुरा के सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अलावा दिल्ली के एम्स।
ई ऑफिस के फायदे ही फायदे
- खर्च में कमी और सूचनाएं आसानी से ढूंढी जा सकती हैं।
- कम होती जगह के बीच पेपरलैस ऑफिस में फाइलों को रखने के लिए अलग से जगह की जरूरत नहीं होती। फाइलें कंप्यूटर में कैद रहती हैं।
- यह आसानी से पता किया जा सकेगा कि फाइल कहां और कितने समय से लंबित है।
- फाइल चोरी या आग लगने जैसी घटनाओं में भी सुरक्षित रहती हैं और सूचनाएं आसानी से बांटी जा सकती हैं।
- सर्वर से कनेक्ट होकर कहीं भी काम किया जा सकता है और पर्यावरण की रक्षा भी की जा सकती है।
- इधर-उधर घूमती हुई संबंधित कुर्सी तक देर से पहुंचने वाली फाइलें एक क्लिक से सेकेंड में पहुंच सकती हैं।
- अधिकारी-कर्मचारी अपने घर या अन्य स्थान से भी काम कर सकेंगे।
पीजीआई में ई-ऑफिस की सुविधा शुरू कर दी गई है। इससे एक ओर जहां पेपरलैस काम होगा वहीं दूसरी ओर ई फाइल से कार्य में पारदर्शिता आएगी। -कुमार गौरव, डीडीए पीजीआई