कांग्रेस नेता सुनील जाखड़ ने लखीमपुर खीरी में हुए बवाल के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को जिम्मेदार बताया है। जाखड़ ने ट्वीट किया कि मनोहर लाल का बयान और लखीमपुर खीरी के बवाल को अलग-अलग घटना के रूप में नहीं देखा जा सकता है। हैरानी की बात यह है कि कुछ लोगों ने पहले से ही लोकप्रिय नेता बनने के लिए सीएम हरियाणा की सलाह का पालन करना शुरू कर दिया है।जाखड़ ने लिखा कि अपने 'हथियारों के आह्वान' में मनोहर लाल ने भाजपा के असली रंग को उजागर किया है। उम्मीद है सुप्रीम कोर्ट संज्ञान ले रहा है।
वहीं एक अन्य ट्वीट में जाखड़ ने लिखा कि जैसे 3 अक्तूबर, 1977 को इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी जनता पार्टी की सरकार की बर्बादी साबित हुई, वैसे ही तीन अक्तूबर, 2021 को प्रियंका गांधी की गिरफ्तारी भाजपा सरकार के अंत की शुरुआत है।
पंजाब के सभी सियासी दल एक साथ लखीमपुर जाएं: जाखड़
सुनील जाखड़ ने पंजाब के मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस प्रधान से अपील की है कि वह लखीमपुर खीरी में संघर्ष कर रहे किसानों के कातिलों के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए पंजाब के अन्य सियासी दलों को साथ लेकर लखीमपुर खीरी जाएं। इसके साथ ही उन्होंने संघर्षरत किसानों से भी अपील की है कि वह इस मुश्किल समय में संयम बनाए रखें क्योंकि भाजपा सरकार आंदोलन को असफल करने के लिए उन्माद फैला रही है।
जाखड़ ने कहा कि यह समय सभी सियासी दलों को मतभेद भुलकर संघर्ष कर रहे किसानों के साथ खड़े होने का है ताकि भाजपा सरकार की जानलेवा कार्रवाई को रोका जा सके। वह पंजाब ही था जहां के लोगों ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ सबसे पहले आवाज बुलंद की थी। इस वजह से अब हमारा फर्ज बनता है कि हम किसानों का डटकर साथ दें।
जाखड़ ने कहा कि बेशक हमारी केंद्रीय लीडरशिप लखीमपुर खीरी जा रही है लेकिन पंजाब की लीडरशिप की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह पंजाब की सभी पार्टियों को साथ लेकर किसानों के साथ खड़ी हों। इससे पहले भी सैकड़ों किसान इस आंदोलन के दौरान अपनी शहादत दे चुके हैं लेकिन भाजपा सरकार पूरी तरह पूंजीपतियों के हाथों में खेल रही है। जाखड़ ने कहा कि लखीमपुर में जिस तरह भाजपा के नेताओं ने किसानों पर वाहन चढ़ाकर उन्हें मारा है, इस घटना ने पूरे देश में शोक की लहर ला दी है।
यह भी पढ़ें- किसानों की मौत पर बवाल: यूपी पुलिस ने पंजाब सरकार से किया आग्रह, किसी को न आने दें लखीमपुर खीरी
मनोहर लाल ने दी थी शठे शाठयम समाचरेत कहावत का उदाहरण
दरअसल लखीमपुर खीरी में रविवार को हुए बवाल के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल का एक विवादास्पद बयान चर्चा में आ गया है। किसानों के मामले में मुख्यमंत्री ने शठे शाठयम समाचरेत की कहावत का उदाहरण देते हुए उन्होंने डंडे उठाने की बात कही है।
सीएम के इस बयान के बाद हरियाणा में भी विपक्ष आक्रामक हो गया है। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने इस मामले में ट्वीट कर आपत्ति दर्ज की है। जबकि सरकार की ओर से इस बयान को आधा अधूरा बताया गया है। सरकार की ओर से जारी वीडियो में सीएम ने यह भी कहा है कि जोश के साथ अनुशासन को बना के रखना है।
यह था मामला
मुख्यमंत्री ने वीडियो में कहा है कि कुछ नए किसानों के संगठन उभर रहे हैं, उनको अब प्रोत्साहन देना पड़ेगा। उनको आगे लाना पड़ेगा खासकर उत्तर और पश्चिम हरियाणा में, दक्षिण हरियाणा में यह समस्या ज्यादा नहीं है, लेकिन उत्तर पश्चिम हरियाणा के हर जिले में अपने 500 या 700 किसान या फिर एक हजार लोग खड़े करो, उनको वालंटियर बनाओ। फिर जगह-जगह शठे शाठयम समाचरेत... की बात कहते हुए सीएम ने सामने बैठे लोगों से पूछा इसका क्या मतलब है। जिसके बाद भीड़ से आवाज आती है कि जैसे को तैसा। यहां यह भी कहा गया है कि उठा लो डंडे। जब डंडे उठाओगे तो जेल जाने की परवाह मत करो, दो चार महीने रह आओगे तो बड़े लीडर अपने आप बन जाओगे।
कांग्रेस नेता सुनील जाखड़ ने लखीमपुर खीरी में हुए बवाल के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को जिम्मेदार बताया है। जाखड़ ने ट्वीट किया कि मनोहर लाल का बयान और लखीमपुर खीरी के बवाल को अलग-अलग घटना के रूप में नहीं देखा जा सकता है। हैरानी की बात यह है कि कुछ लोगों ने पहले से ही लोकप्रिय नेता बनने के लिए सीएम हरियाणा की सलाह का पालन करना शुरू कर दिया है।जाखड़ ने लिखा कि अपने 'हथियारों के आह्वान' में मनोहर लाल ने भाजपा के असली रंग को उजागर किया है। उम्मीद है सुप्रीम कोर्ट संज्ञान ले रहा है।
वहीं एक अन्य ट्वीट में जाखड़ ने लिखा कि जैसे 3 अक्तूबर, 1977 को इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी जनता पार्टी की सरकार की बर्बादी साबित हुई, वैसे ही तीन अक्तूबर, 2021 को प्रियंका गांधी की गिरफ्तारी भाजपा सरकार के अंत की शुरुआत है।
पंजाब के सभी सियासी दल एक साथ लखीमपुर जाएं: जाखड़
सुनील जाखड़ ने पंजाब के मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस प्रधान से अपील की है कि वह लखीमपुर खीरी में संघर्ष कर रहे किसानों के कातिलों के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए पंजाब के अन्य सियासी दलों को साथ लेकर लखीमपुर खीरी जाएं। इसके साथ ही उन्होंने संघर्षरत किसानों से भी अपील की है कि वह इस मुश्किल समय में संयम बनाए रखें क्योंकि भाजपा सरकार आंदोलन को असफल करने के लिए उन्माद फैला रही है।
जाखड़ ने कहा कि यह समय सभी सियासी दलों को मतभेद भुलकर संघर्ष कर रहे किसानों के साथ खड़े होने का है ताकि भाजपा सरकार की जानलेवा कार्रवाई को रोका जा सके। वह पंजाब ही था जहां के लोगों ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ सबसे पहले आवाज बुलंद की थी। इस वजह से अब हमारा फर्ज बनता है कि हम किसानों का डटकर साथ दें।
जाखड़ ने कहा कि बेशक हमारी केंद्रीय लीडरशिप लखीमपुर खीरी जा रही है लेकिन पंजाब की लीडरशिप की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह पंजाब की सभी पार्टियों को साथ लेकर किसानों के साथ खड़ी हों। इससे पहले भी सैकड़ों किसान इस आंदोलन के दौरान अपनी शहादत दे चुके हैं लेकिन भाजपा सरकार पूरी तरह पूंजीपतियों के हाथों में खेल रही है। जाखड़ ने कहा कि लखीमपुर में जिस तरह भाजपा के नेताओं ने किसानों पर वाहन चढ़ाकर उन्हें मारा है, इस घटना ने पूरे देश में शोक की लहर ला दी है।
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मनोहर लाल ने दी थी शठे शाठयम समाचरेत कहावत का उदाहरण
दरअसल लखीमपुर खीरी में रविवार को हुए बवाल के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल का एक विवादास्पद बयान चर्चा में आ गया है। किसानों के मामले में मुख्यमंत्री ने शठे शाठयम समाचरेत की कहावत का उदाहरण देते हुए उन्होंने डंडे उठाने की बात कही है।
सीएम के इस बयान के बाद हरियाणा में भी विपक्ष आक्रामक हो गया है। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने इस मामले में ट्वीट कर आपत्ति दर्ज की है। जबकि सरकार की ओर से इस बयान को आधा अधूरा बताया गया है। सरकार की ओर से जारी वीडियो में सीएम ने यह भी कहा है कि जोश के साथ अनुशासन को बना के रखना है।
यह था मामला
मुख्यमंत्री ने वीडियो में कहा है कि कुछ नए किसानों के संगठन उभर रहे हैं, उनको अब प्रोत्साहन देना पड़ेगा। उनको आगे लाना पड़ेगा खासकर उत्तर और पश्चिम हरियाणा में, दक्षिण हरियाणा में यह समस्या ज्यादा नहीं है, लेकिन उत्तर पश्चिम हरियाणा के हर जिले में अपने 500 या 700 किसान या फिर एक हजार लोग खड़े करो, उनको वालंटियर बनाओ। फिर जगह-जगह शठे शाठयम समाचरेत... की बात कहते हुए सीएम ने सामने बैठे लोगों से पूछा इसका क्या मतलब है। जिसके बाद भीड़ से आवाज आती है कि जैसे को तैसा। यहां यह भी कहा गया है कि उठा लो डंडे। जब डंडे उठाओगे तो जेल जाने की परवाह मत करो, दो चार महीने रह आओगे तो बड़े लीडर अपने आप बन जाओगे।