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नौकरी कोई बिस्कुट नहीं, जो जेब से निकाल कर दे दूं, रिव्यू करके दी जाएगी: वीके सिंह
ब्यूरो/अमर उजाला, अमृतसर(पंजाब)
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Updated Thu, 05 Apr 2018 10:09 AM IST
नवजोत सिद्धू के साथ वीके सिंह
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कहीं भी, कभी भी।
केंद्रीय राज्य मंत्री वीके सिंह सोमवार दोपहर 2.20 बजे इराक में मारे गए 39 भारतीयों में से 38 की शवों के अवशेष लेकर श्री गुरु रामदास एयरपोर्ट पहुंचे। उन्होंने मृतकों के परिवारों के जख्मों पर मरहम लगाने के बजाए उनको पीड़ादायक कर दिया। उन्होंने कहा कि उनको नौकरी या आर्थिक सहायता देना फुटबाल का खेल नहीं है और न ही यह बिस्कुट बांटने जैसा है, जिसे मैं जेब में डालकर ले आता और बांट देता।
केंद्रीय राज्यमंत्री के इस बयान को उनके बगल में बैठे कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने संभाला। उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार हरेक परिवार के एक-एक सदस्य को योग्यता के मुताबिक नौकरी देगी। साथ ही पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। सिद्धू के इस बयान के बाद भी वीके सिंह ने पीड़ित परिवारों को केंद्र सरकार की ओर से सहायता देने के लिए एक भी शब्द नहीं निकला। उलटा उन्होंने पूरा कसूर मृतकों का ही निकाला कि वह अवैध ट्रेवल एजेंटों के जरिये इराक गए थे, जिस वजह से उनको खोजा नहीं जा सका।
केंद्रीय राज्यमंत्री वीके सिंह को इराक से दोपहर 1.30 पर एयरपोर्ट पर पहुंचना था, लेकिन उनका विमान देरी सेे 2.20 बजे पहुंचा। इससे पहले मृतकों के परिजनों ने फ्लाइंग क्लब के बाहर तब धरना लगाया, जब उनको कहा गया कि शवों के अवशेष सीधा शमशानघाट ले जाया जाएगा और परिजनों कोे नहीं दिखाया जाएगा। बाद में अमृतसर से सांसद गुरजीत सिंह औजला ने स्थिति को संभाला और सबको आश्वासन दिया कि अस्थियां उनके हवाले की जाएंगी।
मांग पर सौंपी जा रही डीएनए की रिपोर्ट : वीके सिंह
वीके सिंह ने कहा कि परिवार वालों की मांग पर उनको डीएनए की रिपोर्ट साथ सौंपी जा रही है। इराक की अंतरराष्ट्रीय स्तर की लेबोरेटरी ने डीएनए की जांच की है। इसमें यह पाया गया है कि अस्थियां एक साल से अधिक पुरानी हैं, अब वह दो साल या तीन साल पहले की हैं, यह कहना मुश्किल है। उन्होंने बताया कि इराक में उनको शवों के अवशेष सौंपते हुए कहा गया था कि इनको केमिकल लगाया हुआ है, जिसको खोला न जाए तो बेहतर होगा।
इसलिए पारिवारिक सदस्यों को इस सलाह से अवगत करवा दिया गया है। 39 भारतीयों के शव में से राजू यादव निवासी बिहार का डीएनए 70 फीसदी मैच कर गया है, अभी उनकी शवों के अवशेष रिलीज नहीं की गई हैं। वीके सिंह ने कहा कि कुछेक भारतीयों की हत्या गोली मारकर की गई है, जबकि बाकी के बारे में पता नहीं चल पाया है कि उनकी हत्या कैसे हुई है।
38 भारतीयों के शवों के अवशेष लेकर हिंडन एयरबेस से इराक रवाना होने से पूर्व विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि फिलहाल 38 शवों का अवशेष आएगा। चूंकि 39वें शव के डीएनए सहित अन्य जांच की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। ऐसे में इसके लिए बाद में प्रयास किया जाएगा। सिंह ने बताया कि परिजनों को किसी प्रकार का शक न हो, इसलिए शव सौंपते समय उन्हें सबूत भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने की थी पुष्टि
गौरतलब है कि बीते 20 मार्च करीब चार साल बाद इन भारतीयों के मारे जाने की पुष्टि संसद में की थी। दरअसल अगवा भारतीयों के मारे की पुष्टि के साथ ही भारत की ओर से मृतकों के अवशेष को लाए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। डीएनए मिलान सहित अन्य जांच पूरी होने के बाद बीते शनिवार को इराक की ओर से अवशेषों को ले जाने की हरी झंडी दी गई।
मौत की पुष्टि के बाद विवाद
अगवा भारतीयों की मौत की पुष्टि के बाद खासा सियासी विवाद हुआ। विपक्ष ने विदेश मंत्री पर लगातार चार साल तक गलतबयानी का आरोप लगाया। विदेश का सवाल था कि विदेश मंत्री को बताना चाहिए कि वह कौन से सूत्र थे, जिन्होंने इस मामले में सरकार को अंधेरे में रखा। गौरतलब है कि इस मामले में एक प्रत्यक्षदर्शी हरजीत मसीह ने उसी दौरान अगवा भारतीयों को मारे जाने की पुष्टि की थी।
जून 2014 में इराक के मोसुल में 39 भारतीय लापता हो गए थे।। 20 मार्च को केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में एक बड़ा बयान देते हुए यह जानकारी दी और बताया कि इराक में लापता सभी 39 भारतीय मारे गए हैं।
सभी भारतीयों को ISIS ने मारा था और एक पहाड़ पर सभी शवों को दफना दिया गया था। सरकार ने DNA सैंपल के जरिए सभी शवों की जांच करवाई है। 39 में से 38 शवों के डीएन सैंपल मैच कर गए हैं। मारे गए भारतीयों में 31 पंजाब, 4 हिमाचल और बाकी बिहार और बंगाल के थे। सभी शवों को वतन वापस लाया जाएगा।
साल 2014 में ही सभी नौजवान इराक की एक कंपनी में काम करने गए थे। 22 लोग पंजाब के थे। हरजीत मसीह नाम के एजेंट ने अपने दोस्त राजबीर के साथ मिलकर इन्हें इराक पहुंचाया था। वह खुद तो बचकर लौट आया, लेकिन बाकी सभी मारे गए।
बता दें कि 2014 में आईएस ने इराक पर कब्जा कर लिया था। इराक के मोसुल व तिकरित कस्बों में आतंकी संगठनों के कब्जे के बाद जिस कंपनी में ये नौजवान काम करते थे, वह कंपनी भी भाग खड़ी हुई। इस दौरान आईएसआईएस ने सभी भारतीयों को बंधक बना लिया। इन्हें मोसुल के किसी गांव की जेल में रखा गया और वहां उनसे मजदूरी कराई गई। 15 जून 2014 के बाद से इन सभी का कोई सुराग नहीं मिल रहा था।
इस बीच सभी युवकों को इराक ले जाने वाला युवक हरजीत मसीह भारत लौट आया। फिर एक युवक मनजिंदर सिंह की बहन गुरपिंदर कौर निवासी दसूहा ने उस पर आरोप लगाया कि हरजीत मसीह और उसके साथी राजबीर ने उसके भाई मनजिंदर सिंह और अन्य 8 युवकों से पैसे लेकर दुबई भेजने का वादा किया था। उसने उन्हें इराक भेज तो दिया, लेकिन उसके बाद से उनका कोई सुराग नहीं लगा है।
थाना फतेहगढ़ चूड़ियां के एसएचओ सुखइंदर सिंह ने इसकी जानकारी दी थी। गुरपिंदर कौर ने मसीह और उसके साथी के खिलाफ धोखाधड़ी और इमिग्रेशन एक्ट समेत कई धाराओं में केस दर्ज कराया। शिकायत के आधार पर पुलिस ने काला अफगाना से हरजीत मसीह को गिरफ्तार कर लिया था, जबकि उसका साथी फरार हो गया था।
मारे गए 39 भारतीयों में शामिल पंजाबी युवकों में होशियारपुर के कमलजीत सिंह व गुरदीप सिंह, अमृतसर जिले के निशान सिंह, मनजिन्द्र सिंह, जतिन्द्र सिंह, हरसिमरनजीत सिंह, सोनू, गुरचरण सिंह व रंजीत सिंह, बटाला के कंवलजीत सिंह, हरीश कुमार, मलकीत सिंह, गुरदासपुर जिले के राकेश, धर्मेन्द्र कुमार, कपूरथला जिले के गविन्द्र सिंह, जालंधर जिले के बलवंत राय, कुलविन्द्र सिंह, रुपलाल, सुरजीत सिंह, दविन्द्र सिंह, रविन्द्र कुमार, धुरी के प्रीतपाल शर्मा, हिमाचल प्रदेश के अमन कुमार, इंद्रजीत व संदीप कुमार, बिहार के संदीप आदि शामिल हैं।
केंद्रीय राज्य मंत्री वीके सिंह सोमवार दोपहर 2.20 बजे इराक में मारे गए 39 भारतीयों में से 38 की शवों के अवशेष लेकर श्री गुरु रामदास एयरपोर्ट पहुंचे। उन्होंने मृतकों के परिवारों के जख्मों पर मरहम लगाने के बजाए उनको पीड़ादायक कर दिया। उन्होंने कहा कि उनको नौकरी या आर्थिक सहायता देना फुटबाल का खेल नहीं है और न ही यह बिस्कुट बांटने जैसा है, जिसे मैं जेब में डालकर ले आता और बांट देता।
केंद्रीय राज्यमंत्री के इस बयान को उनके बगल में बैठे कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने संभाला। उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार हरेक परिवार के एक-एक सदस्य को योग्यता के मुताबिक नौकरी देगी। साथ ही पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। सिद्धू के इस बयान के बाद भी वीके सिंह ने पीड़ित परिवारों को केंद्र सरकार की ओर से सहायता देने के लिए एक भी शब्द नहीं निकला। उलटा उन्होंने पूरा कसूर मृतकों का ही निकाला कि वह अवैध ट्रेवल एजेंटों के जरिये इराक गए थे, जिस वजह से उनको खोजा नहीं जा सका।
केंद्रीय राज्यमंत्री वीके सिंह को इराक से दोपहर 1.30 पर एयरपोर्ट पर पहुंचना था, लेकिन उनका विमान देरी सेे 2.20 बजे पहुंचा। इससे पहले मृतकों के परिजनों ने फ्लाइंग क्लब के बाहर तब धरना लगाया, जब उनको कहा गया कि शवों के अवशेष सीधा शमशानघाट ले जाया जाएगा और परिजनों कोे नहीं दिखाया जाएगा। बाद में अमृतसर से सांसद गुरजीत सिंह औजला ने स्थिति को संभाला और सबको आश्वासन दिया कि अस्थियां उनके हवाले की जाएंगी।
मांग पर सौंपी जा रही डीएनए की रिपोर्ट : वीके सिंह
वीके सिंह ने कहा कि परिवार वालों की मांग पर उनको डीएनए की रिपोर्ट साथ सौंपी जा रही है। इराक की अंतरराष्ट्रीय स्तर की लेबोरेटरी ने डीएनए की जांच की है। इसमें यह पाया गया है कि अस्थियां एक साल से अधिक पुरानी हैं, अब वह दो साल या तीन साल पहले की हैं, यह कहना मुश्किल है। उन्होंने बताया कि इराक में उनको शवों के अवशेष सौंपते हुए कहा गया था कि इनको केमिकल लगाया हुआ है, जिसको खोला न जाए तो बेहतर होगा।
इसलिए पारिवारिक सदस्यों को इस सलाह से अवगत करवा दिया गया है। 39 भारतीयों के शव में से राजू यादव निवासी बिहार का डीएनए 70 फीसदी मैच कर गया है, अभी उनकी शवों के अवशेष रिलीज नहीं की गई हैं। वीके सिंह ने कहा कि कुछेक भारतीयों की हत्या गोली मारकर की गई है, जबकि बाकी के बारे में पता नहीं चल पाया है कि उनकी हत्या कैसे हुई है।
38 शव आए, 39वां बाद में आएगा
वी के सिंह
38 भारतीयों के शवों के अवशेष लेकर हिंडन एयरबेस से इराक रवाना होने से पूर्व विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि फिलहाल 38 शवों का अवशेष आएगा। चूंकि 39वें शव के डीएनए सहित अन्य जांच की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। ऐसे में इसके लिए बाद में प्रयास किया जाएगा। सिंह ने बताया कि परिजनों को किसी प्रकार का शक न हो, इसलिए शव सौंपते समय उन्हें सबूत भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने की थी पुष्टि
गौरतलब है कि बीते 20 मार्च करीब चार साल बाद इन भारतीयों के मारे जाने की पुष्टि संसद में की थी। दरअसल अगवा भारतीयों के मारे की पुष्टि के साथ ही भारत की ओर से मृतकों के अवशेष को लाए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। डीएनए मिलान सहित अन्य जांच पूरी होने के बाद बीते शनिवार को इराक की ओर से अवशेषों को ले जाने की हरी झंडी दी गई।
मौत की पुष्टि के बाद विवाद
अगवा भारतीयों की मौत की पुष्टि के बाद खासा सियासी विवाद हुआ। विपक्ष ने विदेश मंत्री पर लगातार चार साल तक गलतबयानी का आरोप लगाया। विदेश का सवाल था कि विदेश मंत्री को बताना चाहिए कि वह कौन से सूत्र थे, जिन्होंने इस मामले में सरकार को अंधेरे में रखा। गौरतलब है कि इस मामले में एक प्रत्यक्षदर्शी हरजीत मसीह ने उसी दौरान अगवा भारतीयों को मारे जाने की पुष्टि की थी।
20 मार्च को दी गई थी जानकारी
सुषमा स्वराज
जून 2014 में इराक के मोसुल में 39 भारतीय लापता हो गए थे।। 20 मार्च को केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में एक बड़ा बयान देते हुए यह जानकारी दी और बताया कि इराक में लापता सभी 39 भारतीय मारे गए हैं।
सभी भारतीयों को ISIS ने मारा था और एक पहाड़ पर सभी शवों को दफना दिया गया था। सरकार ने DNA सैंपल के जरिए सभी शवों की जांच करवाई है। 39 में से 38 शवों के डीएन सैंपल मैच कर गए हैं। मारे गए भारतीयों में 31 पंजाब, 4 हिमाचल और बाकी बिहार और बंगाल के थे। सभी शवों को वतन वापस लाया जाएगा।
साल 2014 में ही सभी नौजवान इराक की एक कंपनी में काम करने गए थे। 22 लोग पंजाब के थे। हरजीत मसीह नाम के एजेंट ने अपने दोस्त राजबीर के साथ मिलकर इन्हें इराक पहुंचाया था। वह खुद तो बचकर लौट आया, लेकिन बाकी सभी मारे गए।
15 जून 2014 के बाद से कोई सुराग नहीं लगा
इराक में भारतीयों की मौत के बाद बिलखते परिजन
बता दें कि 2014 में आईएस ने इराक पर कब्जा कर लिया था। इराक के मोसुल व तिकरित कस्बों में आतंकी संगठनों के कब्जे के बाद जिस कंपनी में ये नौजवान काम करते थे, वह कंपनी भी भाग खड़ी हुई। इस दौरान आईएसआईएस ने सभी भारतीयों को बंधक बना लिया। इन्हें मोसुल के किसी गांव की जेल में रखा गया और वहां उनसे मजदूरी कराई गई। 15 जून 2014 के बाद से इन सभी का कोई सुराग नहीं मिल रहा था।
इस बीच सभी युवकों को इराक ले जाने वाला युवक हरजीत मसीह भारत लौट आया। फिर एक युवक मनजिंदर सिंह की बहन गुरपिंदर कौर निवासी दसूहा ने उस पर आरोप लगाया कि हरजीत मसीह और उसके साथी राजबीर ने उसके भाई मनजिंदर सिंह और अन्य 8 युवकों से पैसे लेकर दुबई भेजने का वादा किया था। उसने उन्हें इराक भेज तो दिया, लेकिन उसके बाद से उनका कोई सुराग नहीं लगा है।
थाना फतेहगढ़ चूड़ियां के एसएचओ सुखइंदर सिंह ने इसकी जानकारी दी थी। गुरपिंदर कौर ने मसीह और उसके साथी के खिलाफ धोखाधड़ी और इमिग्रेशन एक्ट समेत कई धाराओं में केस दर्ज कराया। शिकायत के आधार पर पुलिस ने काला अफगाना से हरजीत मसीह को गिरफ्तार कर लिया था, जबकि उसका साथी फरार हो गया था।
मारे गए 39 भारतीयों में शामिल पंजाबी युवकों में होशियारपुर के कमलजीत सिंह व गुरदीप सिंह, अमृतसर जिले के निशान सिंह, मनजिन्द्र सिंह, जतिन्द्र सिंह, हरसिमरनजीत सिंह, सोनू, गुरचरण सिंह व रंजीत सिंह, बटाला के कंवलजीत सिंह, हरीश कुमार, मलकीत सिंह, गुरदासपुर जिले के राकेश, धर्मेन्द्र कुमार, कपूरथला जिले के गविन्द्र सिंह, जालंधर जिले के बलवंत राय, कुलविन्द्र सिंह, रुपलाल, सुरजीत सिंह, दविन्द्र सिंह, रविन्द्र कुमार, धुरी के प्रीतपाल शर्मा, हिमाचल प्रदेश के अमन कुमार, इंद्रजीत व संदीप कुमार, बिहार के संदीप आदि शामिल हैं।