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जिस उम्र में लोग अपनी चिंता में घुले जाते हैं, उस उम्र में एक शख्स ग़रीब बच्चों के लिए कभी स्टूल बनवाता है तो कभी कपड़े इकट्ठे करता है। जिस उम्र में लोग अपनी चिंता में घुले जाते हैं उस उम्र में एक शख्स ग़रीब बच्चों की चिंता में लगा हुआ है। बिना किसी स्वार्थ के। कभी उनके लिए स्टूल बनवाता है तो कभी कपड़े इकट्ठे करता है। मयूर विहार फेज-1 में ही रहने वाले 72 वर्षीय राम गोपाल गुप्ता न होते तो शायद बच्चे एक पेड़ के नीचे ही कड़ाके की ठंड में पढ़ रहे होते। लेकिन उन्होंने बच्चों के स्कूल को ही बदल दिया है।
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