राहुल श्रीवास्तव
मिर्जापुर। हार्डकोर नक्सली लालब्रत कोल करीब 11 साल तक पुलिस रिकार्ड में मृत रहा। वर्ष 2001 में उसे मडि़हान के भवानीपुर गांव में हुई मुठभेड़ में मार गिराने का दावा किया गया था। चार साल पहले तत्कालीन एसपी बीडी पाल्सन ने अपनी पुस्तक नक्सलवाद क्रांति या अपराध नामक किताब में भी मारे जाने की पुष्टि की है। अब सवाल यह उठता है कि अगर मारा गया व्यक्ति लालब्रत कोल नहीं था तो वह शव किसका था। डीआईजी मुकेश बाबू शुक्ला से कहा कि घटना की जांच करा कर सच्चाई का पता लगाया जाएग्रा।
आठ मार्च वर्ष 2001 को मडि़हान थाना क्षेत्र के भवानीपुर गांव में एक व्यक्ति के लड़के की शादी के बाद बारात वापस आई थी। इसके उपलक्ष्य में रात में दावत हुई। इस दावत में 15-16 सशस्त्र नक्सली भी शरीक हुए। शराब और मीट की दावत खाने के बाद रात में वहीं रुक गए। पुलिस रिकार्ड की मानें तो गांव की कुछ महिलाओं के साथ व्यभिचार भी किया गया। इसके बाद नक्सलियों का होलिका दहन के रोज नौ मार्च को दिन में रुककर रात में नाच गाने व खाने पीने का कार्यक्रम तय हुआ था। गांव के कुछ लोगों ने साहस जुटाकर पुलिस को खबर कर दी। पुलिस व पीएसी के जवानों ने दिन में ही घेराबंदी कर दी। इसके बाद हुई मुठभेड़ में 15 नक्सली व क्रास फायरिंग में रिश्तेदारी में आया एक लड़का मारा गया था। मुठभेड़ मेें मारे गए नक्सलियों की फेहरिस्त में नक्सली लालब्रत कोल के भी मारे जाने की पुष्टि पुलिस ने की थी। बाद में मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल ने शिनाख्त झूठी होने की शिकायत की तो इसकी सीबीआई जांच शुरू हो गई। सीबीआई की संस्तुति पर ही मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मियों के आउट आफ टर्न प्रमोशन को उस वक्त रोक भी दिया गया था। मुठभेड़ में मडि़हान के तत्कालीन एसओ दिलीप सिंह व सक्तेशगढ़ पुलिस चौकी का एक सिपाही नामवर सिंह घायल हुआ था।
वर्ष 2008 में इस जनपद में अपनी तैनाती के दौरान तत्कालीन पुलिस अधीक्षक बीडी पाल्सन ने भी भवानीपुर मुठभेड़ में नक्सली लालब्रत कोल के मारे जाने की पुष्टि की थी। यह पुष्टि उन्होंने पुलिस विभाग की तरफ से प्रकाशित की गई नक्सलवाद क्रांति या अपराध नामक किताब में की है। इस किताब के पृष्ठ संख्या 26 में कई बार लालव्रत के मारे जाने की बात कही गई है। किताब के मुख्य पृष्ठ के बाद वाले पेज पर एसपी व एएसपी आपरेशन का नाम लिखा हुआ है।
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लालब्रत कोल के मरने की पुष्टि ग्रामीणों ने की थी, पुलिस ने नहीं
मुठभेड़ का नेतृत्व करने वाले तत्कालीन एएसपी और अब गाजीपुर के एसपी डीके चौधरी ने बताया कि वर्ष 2001 में मिर्जापुर में हुए एक एनकाउंटर के मामले में पुलिस ने नहीं बल्कि ग्रामीणों ने मारे गए बदमाश की शिनाख्त नक्सली लालब्रत कोल के रूप में की थी लेकिन बाद में मारा गया बदमाश कोई और निकला। इस मामले की जांच करने के बाद सीबीआई ने एनकाउंटर को सही करार दिया।
तो क्या इन मामलों की विवेचना अब फिर से होगी
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केस एक: 14 फरवरी वर्ष 2000 को मडि़हान के सरसों गांव निवासी उमाशंकर यादव द्वारा खरीदी गई जमीन पर लगी मड़ई को आग के हवाले कर मारपीट की गई। इसमें लालब्रत कोल, देवनाथ समेत करीब दो दर्जन नक्सलियों का चालान किया गया था।
केस दो: चुनार कोतवाली क्षेत्र के जौगढ़ गांव निवासी मुन्नालाल की एसबीबीएल गन मडि़हना के सरसों क्षेत्र में 15 फरवरी वर्ष 2000 को रास्ते में छीन ली गई थी। विवेचना में लालब्रत कोल, देवनाथ कोल, बाबूलाल व पंकज उर्फ पप्पू समेत करीब एक दर्जन नक्सलियों को नामजद किया गया।
केस तीन: सोनभद्र जनपद के करमा थाना क्षेत्र के खेराडीह गांव निवासी कमरु पुत्र जफीर खेराडीह जंगल में शिकार करने गया था। चंदनपुर खोराडीह के एमसीसी की नौगढ़ यूनिट के देवनाथ कोल, लालब्रत कोल आदि सात नक्सलियों ने कमरु नामक युवक की हत्या कर उसकी एसबीबीएल बंदूक लूट ली थी। पुलिस ने अपनी विवेचना में लिखा कि इस घटना से जुड़े नक्सली नौ मार्च वर्ष 2001 को भवानीपुर मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं।
केस चार: दो मार्च वर्ष 2001 को विजय सिंह मौर्या निवासी नागनार हरैया थाना अहरौरा को खेत पर से नक्सली लालब्रत कोल और उसके साथी अपहृत कर लिए गए थे। 25 हजार रुपये फिरौती की रकम लेने के बाद ही विजय को छोड़ा गया था। अपहरण का मामला अहरौरा थाने में दर्ज किया गया।
केस पांच: दस सितंबर वर्ष 2000 को वट गांव थाना अहरौरा निवासी श्रीराम किशोर सिंह व लोहरा गांव निवासी विफ्फन को भी देवनाथ व लालव्रत कोल अपने साथियों संग एक लाख की फिरौती के लिए अपहृत कर लिया गया था। यह मुकदमा भी अहरौरा थाने में दर्ज कराया गया। भवानीपुर मुठभेड़ कांड के बाद पुलिस ने रिपोर्ट लगाया कि अपहरण में शामिल नक्सली पुलिस मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं।
केस छह: तेरह फरवरी वर्ष 2001 को बैजनाथ निवासी बिजुरही थाना चुनार 90 बकरियां लेकर जंगल में चराने गया था। उसे नक्सलियों ने गला घोंटकर मार डाला था और बकरियां लूट ली थीं। चुनार थाने में हत्या व लूट का मुकदमा दर्ज हुआ। विवेचना में नक्सली देवनाथ, लालव्रत, नारायण, साधु, त्यागी आदि नौ नक्सलियों का नाम प्रकाश में आया। पुलिस रिपोर्ट में कहा गया कि सभी नक्सली भवानीपुर मुठभेड़ में मारे गए। अंतिम रिपोर्ट प्रेषित कर विवेचना समाप्त कर दी गई।