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दीन इंसान के लिए नेमत है, जमहत नहीं : सादिक
अमर उजाला ब्यूरो/ मुजफ्फरनगर
Published by:
Updated Thu, 26 Jan 2017 01:02 AM IST
खादरवाला में मजलिस को खिताब फरमाते शिया धर्मगुरु मौलाना डॉ कल्बे सादिक।
- फोटो : अमर उजाला
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कहीं भी, कभी भी।
मौलाना डॉ कल्बे सादिक ने कहा कि मजहब और दीनी तौर पर शिया-सुन्नी सगे भाई हैं। पैगम्बर-ए-इस्लाम की राह पर चलकर जिंदगी को कामयाब बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दीन इंसान के लिए नेमत है, जेहमत नहीं है। दीन के साथ ही दुनियावी तालीम भी जरूरी है।
खालापार के खादरवाला में महरूम हैदर अब्बास के मजलिस-ए-चेहल्लुम में खिताब फरमाते हुए मौलाना कल्बे सादिक ने कहा कि दीन के रास्ते पर चलने वाला इंसान किसी का हक नहीं मारता है। दीन में कोई विरोधाभास नहीं है, केवल दिलों में फितूर छुपा है। अक्ल के लिए इल्म (ज्ञान) जरुरी है। इसके बिना अच्छे-बुरे का फर्क मालूम नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि इल्म के बिना किसी मसले की गहराई और उसका हल नहीं तलाशा जा सकता है।
गरीबी इंसान की सबसे बड़ी दुश्मन है, लेकिन पढ़ा-लिखा इंसान कभी गरीब नहीं होता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से मजहब-ए-इस्लाम में दीनी तालीम को महत्वपूर्ण बताया है, उतना ही अब दुनियावी तालीम जरुरी है। उन्होंने कहा कि दीन-ए-इस्लाम में शिया-सुन्नी भाई हैं। आपस में इत्तेफाक दूरियां कम नहीं, बढ़ता है। वहीं, तीन तलाक पर कहा कि कुरआन-ए-पाक, हदीम में तीन तलाक का कहीं भी जिक्र नहीं है। निकाह जिंदगी का मजबूत बंधन है।
इसे तोडऩे वाला और तुड़वाने वाला दोनों ही दीन की नजर में गुनहगार ठहराए गए हैं। उन्होंने बेटियों को तकनीकी तालीम दिलाए जाने के साथ आपस में इत्तेहाद का फलसफा पढ़ाया। पैगम्बर-ए-इस्लाम हजूर साहब के बताए रास्ते पर चलकर दुनियावी और आखिरत की जिंदगी को कामयाब बनाया जा सकता है। मजलिस में हसन अली संभलहेड़ा ने भी खिताब फरमाया। खलील आरफी, जमाल आरफी, अबुजर, रेगम अब्बास, कमर अब्बास आदि मौजूद रहे।
मौलाना डॉ कल्बे सादिक ने कहा कि मजहब और दीनी तौर पर शिया-सुन्नी सगे भाई हैं। पैगम्बर-ए-इस्लाम की राह पर चलकर जिंदगी को कामयाब बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दीन इंसान के लिए नेमत है, जेहमत नहीं है। दीन के साथ ही दुनियावी तालीम भी जरूरी है।
खालापार के खादरवाला में महरूम हैदर अब्बास के मजलिस-ए-चेहल्लुम में खिताब फरमाते हुए मौलाना कल्बे सादिक ने कहा कि दीन के रास्ते पर चलने वाला इंसान किसी का हक नहीं मारता है। दीन में कोई विरोधाभास नहीं है, केवल दिलों में फितूर छुपा है। अक्ल के लिए इल्म (ज्ञान) जरुरी है। इसके बिना अच्छे-बुरे का फर्क मालूम नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि इल्म के बिना किसी मसले की गहराई और उसका हल नहीं तलाशा जा सकता है।
गरीबी इंसान की सबसे बड़ी दुश्मन है, लेकिन पढ़ा-लिखा इंसान कभी गरीब नहीं होता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से मजहब-ए-इस्लाम में दीनी तालीम को महत्वपूर्ण बताया है, उतना ही अब दुनियावी तालीम जरुरी है। उन्होंने कहा कि दीन-ए-इस्लाम में शिया-सुन्नी भाई हैं। आपस में इत्तेफाक दूरियां कम नहीं, बढ़ता है। वहीं, तीन तलाक पर कहा कि कुरआन-ए-पाक, हदीम में तीन तलाक का कहीं भी जिक्र नहीं है। निकाह जिंदगी का मजबूत बंधन है।
इसे तोडऩे वाला और तुड़वाने वाला दोनों ही दीन की नजर में गुनहगार ठहराए गए हैं। उन्होंने बेटियों को तकनीकी तालीम दिलाए जाने के साथ आपस में इत्तेहाद का फलसफा पढ़ाया। पैगम्बर-ए-इस्लाम हजूर साहब के बताए रास्ते पर चलकर दुनियावी और आखिरत की जिंदगी को कामयाब बनाया जा सकता है। मजलिस में हसन अली संभलहेड़ा ने भी खिताब फरमाया। खलील आरफी, जमाल आरफी, अबुजर, रेगम अब्बास, कमर अब्बास आदि मौजूद रहे।