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भारत के जन-जन में बसने वाली है संस्कृतभाषा
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ललितपुर। संस्कृत भारती कानपुर प्रांत के संयोजन में ऑनलाइन गूगल मीट के जरिए संस्कृत परिवार सम्मेलन आयोजित हुआ। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि भारत के जन-जन में बसने वाली भाषा संस्कृत है।
संस्कृत भारती के कानपुर प्रांत के उपाध्यक्ष डॉ. ओमप्रकाश शास्त्री ने कहा कि संस्कृत को जनभाषा बनाने के उद्देश्य से संस्कृत परिवार बनाने का लक्ष्य तय किया गया है। प्रथम चरण में जिले के 21 परिवारों का चयन कर संस्कृत सम्भाषण के माध्यम से प्रशिक्षित करते हुए उन्हें संस्कृत बोलना सिखाया जाएगा। परिवार के सभी सदस्य आपस में संस्कृत में बातचीत करेंगे एवं ऐसे परिवार को संस्कृत गृहम कहा जाएगा। संस्कृत परिवार बनाने का मुख्य उद्देश्य घर-घर में संस्कृत का वातावरण बनाना है। संस्कृत भारती के प्रांत संगठन मंत्री श्रीप्रकाश झा ने कहा कि भारतीय संस्कृति, संस्कारों तथा नैतिक मूल्यों की रक्षा के लिए आवश्यक है। हम सभी संस्कृत भाषा का दैनिक जीवन में प्रयोग अवश्य करें। संस्कृत भारती के जिला मंत्री डॉ. जगदीश प्रसाद शर्मा ने कहा कि संस्कृत विशुद्ध वैज्ञानिक भाषा है, इसमें ज्योतिष वास्तु धर्म दर्शन एवं विज्ञान का भंडार भरा पड़ा है। हम सभी को अनिवार्य रूप से संस्कृत का ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। उन्होंने चयनित परिवारों को ऑनलाइन एक घंटे का सरलतम संस्कृत संभाषण का प्रशिक्षण दिया। सम्मेलन में डॉ. जनक किशोरी शर्मा, अन्नपूर्णा शास्त्री, डॉ. प्रीति सीरोठिया, संगीता उपाध्याय, राम तिवारी, मुक्ता दुबे, रचना रिछारिया, संगीता देवलिया, अनीता गोस्वामी, रानी नायक, डॉ संध्या गुप्ता, डॉ दीपक पाठक, सजन कुमार शर्मा, डॉ. रामकुमार रिछारिया, मनोज तिवारी, जयशंकर प्रसाद द्विवेदी, दुर्गाप्रसाद वर्मा, प्रताप नारायण गुप्ता, रामदेवलिया, कमलेश गोस्वामी, संदीप नायक, दीपक चतुर्वेदी, पंकज चतुर्वेदी, शिक्षा रिछारिया, रुचि पस्तोर, शिवा यादव, पूजा यादव, शारदा पाल, रोहित मिश्रा, आरव पाठक आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। संचालन आरएसएस के जिला बौद्धिक प्रमुख डॉ ह्दयनारायण उपाध्याय ने किया। विभाग प्रचार प्रमुख मनोज तिवारी ने सभी का आभार व्यक्त किया।
ललितपुर। संस्कृत भारती कानपुर प्रांत के संयोजन में ऑनलाइन गूगल मीट के जरिए संस्कृत परिवार सम्मेलन आयोजित हुआ। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि भारत के जन-जन में बसने वाली भाषा संस्कृत है।
संस्कृत भारती के कानपुर प्रांत के उपाध्यक्ष डॉ. ओमप्रकाश शास्त्री ने कहा कि संस्कृत को जनभाषा बनाने के उद्देश्य से संस्कृत परिवार बनाने का लक्ष्य तय किया गया है। प्रथम चरण में जिले के 21 परिवारों का चयन कर संस्कृत सम्भाषण के माध्यम से प्रशिक्षित करते हुए उन्हें संस्कृत बोलना सिखाया जाएगा। परिवार के सभी सदस्य आपस में संस्कृत में बातचीत करेंगे एवं ऐसे परिवार को संस्कृत गृहम कहा जाएगा। संस्कृत परिवार बनाने का मुख्य उद्देश्य घर-घर में संस्कृत का वातावरण बनाना है। संस्कृत भारती के प्रांत संगठन मंत्री श्रीप्रकाश झा ने कहा कि भारतीय संस्कृति, संस्कारों तथा नैतिक मूल्यों की रक्षा के लिए आवश्यक है। हम सभी संस्कृत भाषा का दैनिक जीवन में प्रयोग अवश्य करें। संस्कृत भारती के जिला मंत्री डॉ. जगदीश प्रसाद शर्मा ने कहा कि संस्कृत विशुद्ध वैज्ञानिक भाषा है, इसमें ज्योतिष वास्तु धर्म दर्शन एवं विज्ञान का भंडार भरा पड़ा है। हम सभी को अनिवार्य रूप से संस्कृत का ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। उन्होंने चयनित परिवारों को ऑनलाइन एक घंटे का सरलतम संस्कृत संभाषण का प्रशिक्षण दिया। सम्मेलन में डॉ. जनक किशोरी शर्मा, अन्नपूर्णा शास्त्री, डॉ. प्रीति सीरोठिया, संगीता उपाध्याय, राम तिवारी, मुक्ता दुबे, रचना रिछारिया, संगीता देवलिया, अनीता गोस्वामी, रानी नायक, डॉ संध्या गुप्ता, डॉ दीपक पाठक, सजन कुमार शर्मा, डॉ. रामकुमार रिछारिया, मनोज तिवारी, जयशंकर प्रसाद द्विवेदी, दुर्गाप्रसाद वर्मा, प्रताप नारायण गुप्ता, रामदेवलिया, कमलेश गोस्वामी, संदीप नायक, दीपक चतुर्वेदी, पंकज चतुर्वेदी, शिक्षा रिछारिया, रुचि पस्तोर, शिवा यादव, पूजा यादव, शारदा पाल, रोहित मिश्रा, आरव पाठक आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। संचालन आरएसएस के जिला बौद्धिक प्रमुख डॉ ह्दयनारायण उपाध्याय ने किया। विभाग प्रचार प्रमुख मनोज तिवारी ने सभी का आभार व्यक्त किया।