एफसीआई गोदाम नेवादा पूरी तरह से कारोबारियों ने हाइजैक कर रखा है। यहां पर उनके इशारे के बगैर पत्ता नहीं हिल सकता। स्थिति यह है कि कोटेदार दो-दो महीने का राशन बेच लेते हैं। मामले की शिकायत के बाद जांच भी होती है। मगर कार्डधारकों की गवाही होने के बाद भी मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है। इस काले कारोबार से जुड़े कोटेदार, एमआई, आपूर्ति निरीक्षक गरीबों का निवाला बेचकर मौज उड़ा रहे हैं तो सूखे की मार झेल रहा गरीब दाने-दाने को मोहताज है।
नेवादा गोदाम सरांय अकिल कस्बा और तिल्हापुर मोड़ बाजार से महज आठ किलोमीटर दूरी पर स्थित है। इन दोनों स्थानों पर गल्ला व्यापारियों की लंबी फौज है। इनमें से कुछ कारोबारियों की नजर किसान के अनाज की जगह खाद्य सुरक्षा अधिनियम के राशन पर रहती है। इसके चलते उन्होंने गोदाम के पूरे सिस्टम को हाइजैक कर रखा है। कहने को गोदाम से तो कोटेदारों को राशन दिया जाता है पर असलियत कुछ और है। सूत्रों का कहना है कि गोदाम में सक्रिय आधा दर्जन डीलर पूरी तरह से हावी हैं। वह हर माह सभी कोटेदारों से कुछ प्रतिशत गेहूं और चावल लेते हैं। लेकिन दर्जनभर कोटेदारों का पूरा का पूरा गल्ला उठा लेते हैं।
इसके एवज में वह कोटेदार, एमआई, आपूर्ति निरीक्षक की जेब गरम करते हैं। पूरा का पूरा राशन बेचने के बाद संबंधित गांव का कोटेदार यह कहकर कार्डधारकों को चुप करा देता है कि पैसा जमा है अभी उठान नहीं हुआ। ऐसा करते-करते महीना बीत जाता है। लोगों का आरोप है कि रामपुर गांव के कोटेदार बड़े लाल यादव ने मई और जून का गल्ला वितरित नहीं किया। कार्डधारकों को यह बता दिया कि उठान ही नहीं हो पा रहा है। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम का खाद्यान्न कितना सुरक्षित है।
खाद्य सुरक्षा अधिनियम के खाद्यान्न की कालाबाजारी के तार कहीं न कहीं तहसील प्रशासन से भी जुड़े रहते हैं। ग्रामीणों की शिकायत पर तहसील प्रशासन पहले तो आपूर्ति निरीक्षक को जांच सौंप देते हैं। लेकिन मामला ज्यादा टेढ़ा होने पर नायब तहसीलदार को भेज दिया जाता है। ग्रामीणों के सामने जांच कर शिकायत को प्रमाणित भी किया जाता है। लौटने के बाद जांच रिपोर्ट देने पर कोई कार्रवाई नहीं होती। माना जा रहा है कि यहां भी गोदाम के डीलरों का सिक्का चलता है। ऐसा ही कुछ रामपुर ग्रामसभा के कोटे की जांच में हुआ। लगभग 20 दिन पहले यहां राशन वितरण न करने की शिकायत पर जांच हुई। जांच में गांव के पप्पू तिवारी, पुनिया देवी, बचुल, विश्राम, राजपति समेत 25 लोगों ने बयान दर्ज कराया कि उन्हें दो माह से राशन नहीं मिला। लेकिन आज तक कोटेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।
एफसीआई गोदाम नेवादा से संबद्ध कोटेदारों के खिलाफ आए दिन तहसील चायल में शिकायतें हो रही हैं। एक-एक गांव की शिकायत लोगों ने दस-दस बार कर रखा है। शिकायत के बाद अधिकारी जांच करने तो गांव पहुंचते हैं पर शिकायतकर्ताओं को संतुष्ट नहीं कर पाते। गुणवत्तापूर्ण निस्तारण न होने की वजह से ग्रामीणों द्वारा की जाने वाली शिकायतें कम होने का नाम नहीं ले रहीं है। उधर जांच के बाद भी ग्रामीणों का शिकायतें करने अफसरों के पास पहुंचना इस बात की ओर साफ इशारा कर रहा है कि गड़बड़ी जरूर है। ब
मैंने अभी हाल ही में चार्ज संभाला है। गोदाम में सक्रिय रैकेट के बारे में जानकारी नहीं है। यदि ऐसा है तो इसकी जांच कर रैकेट का भंडाफोड़ किया जाएगा। हर हाल में राशन की कालाबाजारी पर अंकुश लगाएंगे।
दीपक, सप्लाई इंस्पेक्टर चायल
एफसीआई गोदाम नेवादा पूरी तरह से कारोबारियों ने हाइजैक कर रखा है। यहां पर उनके इशारे के बगैर पत्ता नहीं हिल सकता। स्थिति यह है कि कोटेदार दो-दो महीने का राशन बेच लेते हैं। मामले की शिकायत के बाद जांच भी होती है। मगर कार्डधारकों की गवाही होने के बाद भी मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है। इस काले कारोबार से जुड़े कोटेदार, एमआई, आपूर्ति निरीक्षक गरीबों का निवाला बेचकर मौज उड़ा रहे हैं तो सूखे की मार झेल रहा गरीब दाने-दाने को मोहताज है।
नेवादा गोदाम सरांय अकिल कस्बा और तिल्हापुर मोड़ बाजार से महज आठ किलोमीटर दूरी पर स्थित है। इन दोनों स्थानों पर गल्ला व्यापारियों की लंबी फौज है। इनमें से कुछ कारोबारियों की नजर किसान के अनाज की जगह खाद्य सुरक्षा अधिनियम के राशन पर रहती है। इसके चलते उन्होंने गोदाम के पूरे सिस्टम को हाइजैक कर रखा है। कहने को गोदाम से तो कोटेदारों को राशन दिया जाता है पर असलियत कुछ और है। सूत्रों का कहना है कि गोदाम में सक्रिय आधा दर्जन डीलर पूरी तरह से हावी हैं। वह हर माह सभी कोटेदारों से कुछ प्रतिशत गेहूं और चावल लेते हैं। लेकिन दर्जनभर कोटेदारों का पूरा का पूरा गल्ला उठा लेते हैं।
इसके एवज में वह कोटेदार, एमआई, आपूर्ति निरीक्षक की जेब गरम करते हैं। पूरा का पूरा राशन बेचने के बाद संबंधित गांव का कोटेदार यह कहकर कार्डधारकों को चुप करा देता है कि पैसा जमा है अभी उठान नहीं हुआ। ऐसा करते-करते महीना बीत जाता है। लोगों का आरोप है कि रामपुर गांव के कोटेदार बड़े लाल यादव ने मई और जून का गल्ला वितरित नहीं किया। कार्डधारकों को यह बता दिया कि उठान ही नहीं हो पा रहा है। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम का खाद्यान्न कितना सुरक्षित है।
खाद्य सुरक्षा अधिनियम के खाद्यान्न की कालाबाजारी के तार कहीं न कहीं तहसील प्रशासन से भी जुड़े रहते हैं। ग्रामीणों की शिकायत पर तहसील प्रशासन पहले तो आपूर्ति निरीक्षक को जांच सौंप देते हैं। लेकिन मामला ज्यादा टेढ़ा होने पर नायब तहसीलदार को भेज दिया जाता है। ग्रामीणों के सामने जांच कर शिकायत को प्रमाणित भी किया जाता है। लौटने के बाद जांच रिपोर्ट देने पर कोई कार्रवाई नहीं होती। माना जा रहा है कि यहां भी गोदाम के डीलरों का सिक्का चलता है। ऐसा ही कुछ रामपुर ग्रामसभा के कोटे की जांच में हुआ। लगभग 20 दिन पहले यहां राशन वितरण न करने की शिकायत पर जांच हुई। जांच में गांव के पप्पू तिवारी, पुनिया देवी, बचुल, विश्राम, राजपति समेत 25 लोगों ने बयान दर्ज कराया कि उन्हें दो माह से राशन नहीं मिला। लेकिन आज तक कोटेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।
एफसीआई गोदाम नेवादा से संबद्ध कोटेदारों के खिलाफ आए दिन तहसील चायल में शिकायतें हो रही हैं। एक-एक गांव की शिकायत लोगों ने दस-दस बार कर रखा है। शिकायत के बाद अधिकारी जांच करने तो गांव पहुंचते हैं पर शिकायतकर्ताओं को संतुष्ट नहीं कर पाते। गुणवत्तापूर्ण निस्तारण न होने की वजह से ग्रामीणों द्वारा की जाने वाली शिकायतें कम होने का नाम नहीं ले रहीं है। उधर जांच के बाद भी ग्रामीणों का शिकायतें करने अफसरों के पास पहुंचना इस बात की ओर साफ इशारा कर रहा है कि गड़बड़ी जरूर है। ब
मैंने अभी हाल ही में चार्ज संभाला है। गोदाम में सक्रिय रैकेट के बारे में जानकारी नहीं है। यदि ऐसा है तो इसकी जांच कर रैकेट का भंडाफोड़ किया जाएगा। हर हाल में राशन की कालाबाजारी पर अंकुश लगाएंगे।
दीपक, सप्लाई इंस्पेक्टर चायल