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क्या कर रहे हो राघव? टोका तो मार डाला
टीम डिजिटल, अमर उजाला, कानपुर
Updated Sun, 16 Jul 2017 08:42 AM IST
कानपुर के रानीघाट के जेपी श्रीवास्तव कंपाउंड के हाईप्रोफाइल निशा हत्याकांड का खुलासा पुलिस ने कर दिया। आईजी के अनुसार रूपम टॉकीज के मालिक हृदय नारायण सिंह के पौत्र आदित्य नारायण उर्फ राघव ने ही निशा की हत्या की। वह लूट के इरादे से घर में घुसा था। बहुत हद तक वो अपने मकसद में सफल भी हो चुका था। उसके द्वारा अलमारी के हैंडल तोड़ते वक्त खटपट हुई।
आवाज सुनकर निशा ने सामान्य रूप से ‘क्या कर रहे हो बेटा’ कह कर उसे टोक दिया। इस पर राघव को लगा कि निशा ने उसे चोरी करते देख लिया। बदनामी और घरवालों के डर से उसने बेरहमी से उन्हें मार डाला। उसने अपना जुर्म कबूल लिया है। उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है।
पुलिस लाइन सभागार में प्रेस कांफ्रेंस में आईजी आलोक सिंह ने बताया कि हृदय नारायण और अरुण केजरीवाल के परिवार का 25 वर्षों से एक दूसरे के घर आना-जाना है। वारदात के दिन राघव लैपटॉप पर काम करने के बहाने घर में घुसा था। राघव कमरे में रखे लैपटॉप पर काम करने लगा। निशा डायनिंग टेबिल पर बैठ गईं। इसी बीच राघव ने कमरे में रखी अलमारी के दो हैंडिल तोड़ डाले। लॉकर से 1.40 लाख रुपये, जेवरात पार कर दिए।
अलमारी खुलने की आहट लगने पर निशा ने कहा कि राघव बेटा क्या कर रहे हो। राघव को लगा कि निशा ने उसे चोरी करते देख लिया है। अब वह उसके पिता और परिवार वालों के इसकी शिकायत कर देंगी। साथ ही, पिता और बाबा उसे पीटेंगे। इस बात से वह डर गया। उसने हथौड़ी से उन पर हमला बोल दिया। उनके फर्श पर गिरते ही तकिया से मुंह दबा दिया।
निशा की आंखें खुली थीं। उसे लगा कि निशा अभी जिंदा हैं और उसे देख रही हैं। वह किचन से चाकू लाया और निशा के कलाई की नस काटने लगा। चेहरे पर चाकू से कई वार किए। फिर हथौड़ी से सिर और चेहरा कुचल कर निशा की हत्या कर दी। उसने किचन में लगे वॉश बेसिन में खून से सने हाथ, चाकू और हथौड़ी साफ की। इसके बाद लूट का सामान और हथौड़ी और चाकू लेकर अपने घर चला गया।
जिस पैसे के लिए जान ली, उसे कूड़े में डाल भागा था
जिस पैसे के लिए राघव ने बेरहमी से निशा की हत्या कर दी पुलिस के अनुसार उसे वह सेंट्रल स्टेशन के डस्टबिन में डाल कर मुंबई भागा था। जबकि उसे मुंबई में कर्ज अदा करना था। जब वह जा रहा था उसे यह अंदेशा था कि पुलिस उसे पकड़ सकती है।
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हालांकि पुलिस के इस खुलासे में कई झोल भी हैं। पुलिस अफसरों का कहना है कि कर्ज चुकाने और ड्रग्स व अन्य शौक पूरे करने के लिए राघव हत्यारा बन गया। जब रुपयों की खातिर उसने पड़ोसी में रहने वाली निशा हत्या की तो लूट का माल मुंबई साथ क्यों नहीं ले गया। वह घर या कहीं और माल छिपा सकता था। कहीं सुरक्षित स्थान पर भी रख सकता था। सेंट्रल स्टेशन के सिटी साइड पर लगे डस्टबिन में क्यों डालेगा। फिर ऐसा कैसे संभव है कि स्टेशन के डस्टबिन की 24 घंटे तक सफाई न हो। रुपया और जेवरात वहां सुरक्षित रहे और पुलिस को पूरा माल बरामद हो जाए। हत्या की क्रूरता भी छिपी नफरत की ओर इशारा कर रही है।
मना करने पर भी भाग गया था मुंबई
एसएसपी सोनिया सिंह ने बताया कि निशा के घर के पास लगे सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद ही राघव पर शक हो गया था। पूछताछ के बाद परिवार वालों को हिदायत दी थी कि राघव को शहर से बाहर न जाने दें। लेकिन दूसरे दिन ही मुंबई के एक कॉलेज में दाखिला लेने के बहाने वह भाग गया था। राघव ने लूट का माल सेंट्रल स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर-एक स्थित बैंक के एटीएम केबिन के अंदर रखे डेस्टबिन में छिपा दिया था। इसके बाद वह ट्रेन से मुंबई के लिए रवाना हो गया था। इससे उस पर शक और गहरा गया। गुरुवार रात राघव को उसके पिता पुनीत से फोन कराकर वापस बुलाया गया था। साथ ही उन्होंने भोपाल के एसपी रेलवे से राघव को पकड़ने के लिए मदद मांगी थी, लेकिन राघव भुसावल (महाराष्ट्र) स्टेशन पर ट्रेन से उतर गया था। वहां से खुद ही शहर आ गया था। उसने पूछताछ में सब कुछ उगल दिया। उसकी निशानदेही पर सेंट्रल स्टेशन के एक डेस्टबिन से लूट का 1.40 लाख रुपये, सोने का हार, चांदी के दो सिक्के, एक मोती की माला बरामद की गई है।
घबराया हुआ घूम रहा था कंपाउंड में
एसपी पश्चिम गौरव ग्रोवर ने बताया कि क्राइम ब्रांच को पहला सुराग रतन प्रेसीडेंट अपार्टमेंट के सीसीटीवी फुटेज से मिला। उन्हें फुटेज से ही राघव के एक्सयूवी कार से घर पहुंचने का पता चला था। फुटेज में कैद मेहंदी रंग का कुर्ता पहने एक शख्स दिखा जो 20 मिनट के अंदर 5 सिगरेटें पी गया था। यह शख्स राघव ही था। जो वारदात के बाद कंपाउंड में घबराया घूम रहा था। कपूर बंगले में लगे कैमरे में उसकी साफ फुटेज मिल गई। फोन की लोकेशन भी घटनास्थल पर मिली। एसपी के मुताबिक राघव की लंबाई ज्यादा होने और शरीर का ऊपरी हिस्सा भारी होने की वजह से हल्का लंगड़ा कर चलता है।
कॉलेज से निकाला जा चुका है राघव
आईजी ने बताया कि राघव तीन साल से मुंबई में था। गलत आदतों के कारण उसे कॉलेज से निकाल दिया गया था। कॉलेज प्रबंधन के नोटिस जारी करने पर राघव के पिता पुनीत भी मुंबई गए थे। उसने तमाम प्रयास के बाद भी कालेज प्रबंधन ने राघव का दाखिला लेने से मना कर दिया था। वह एलएलबी प्रथम सेमेस्टर की पढ़ाई कर चुका है। अब उसे मुंबई के एक अन्य कॉलेज में एलएलबी में दाखिला लेना था। परिवार के लोग 50-60 हजार रुपये खर्च भेजते थे, यह रकम भी उसे कम पड़ती थी। दोस्तों से उधार ले रखा था। राघव एक रिटायर्ड मुख्य सचिव का रिश्तेदार भी बताया गया है।
निशा के पति बोले, तुम्हे मार भी नहीं सकते राघव
अरुण केजरीवाल और उनकी बेटियों का शुक्रवार रात राघव से आमना-सामना कराया गया। परिजनों से उससे कई सवाल पूछे। पूरी कहानी सुनने से बाद अरुण ने उससे कहा कि तुम तो घर के बेटे हो, तुम्हें थप्पड़ तक नहीं मार सकता। तुमने विश्वास घात किया है। बेटी सोनम और सोनाली ने कहा कि भाई तुमने यह क्या किया। मेरी मां को मार डाला। इस पर वह बोला, दीदी बचा लो, गलती हो गई।
पापा मुझे गोली मार दो
राघव से मिलने उसके पिता पुनीत और बाबा ह्दय नारायण सिंह पहुंचे तो वह फफक पड़ा। पुनीत बोले, मेरा बेटा कातिल है। इसके बाद वह पिता और परिवार के अन्य लोगों के पैरों पर गिर गया और बोला मुझे गोली मार दो। अब जीना नहीं चाहता। इससे पहले उसने पुलिस अफसरों से कहा मुझसे अपराध हो गया है। अब क्या मुझे फांसी हो जाएगी। अफसरों ने उसे शांत कराया। इधर, राघव की गिरफ्तारी के बाद से उसकी मां और परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है।
सात दिन से कर रहा था कोशिश
राघव ने बताया कि उसे पता था कि वारदात के सात दिन पहले से वह अरुण के घर से माल पार करने की फिराक में था। वह कई बार उनके घर भी गया। पर कोई न कोई मिल जाता था। वारदात के दिन उसे लग गया था कि निशा घर में अकेली हैं। तभी वह बहाने से उनके घर में गया था।
छोड़ दिए थे 10-10 केनोट
राघव ने निशा की अलमारी के लॉकर से दो-दो हजार रुपये के नोट उठाए थे। 10-10 के नोट नहीं छोड़ दिए थे। अरुण के अनुसार वह निशा को 60 हजार रुपये देते थे। निशा किटी खेलती थीं। किटी से मिलने वाला रुपया भी उनके पास रहता था। ऐसे अलमारी में कितना रुपया था। इस बारे में वह सही जानकारी नहीं दे सके।
हत्यारोपी के बयान की होगी जांच
आईजी का कहना है कि हत्यारोपी के बयान पर पूरी तरह यकीन नहीं किया जा सकता है। वारदात के पीछे लूट वजह थी या कुछ और। राघव के बयानों की जांच कराई जाएगी। आईजी के मुताबिक निशा हत्याकांड का खुलासा करने वाली पुलिस टीम को 15 हजार रुपये का इनाम दिया जाएगा।
-चोरी करते देख लिए जाने के डर से हथौड़ी से किया ताबड़तोड़ हमला
- अलमारी का हैंडल तोड़कर 1.40 लाख रुपये, जेवरात पार किए थे
- कबूल किया जुर्म, 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया
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