अयोध्या। सर्दी का मौसम आते ही भगवान को भी ठंड लगने लगी है। रामनगरी के मठ-मंदिरों में भगवान को ठंड से बचाने के लिए तरह-तरह के जतन किए जा रहे हैं। रामजन्मभूमि में अस्थायी मंदिर में विराजमान रामलला को ठंड से बचाने के लिए दरबार में ब्लोअर लगा दिया गया है। रामलला को कंबल-रजाई सहित ऊनी वस्त्र पहनाए जा रहे हें। गर्म पानी से उन्हें स्नान कराया जा रहा है।
रामनगरी के मंदिरों दशरथ महल बड़ास्थान, विअहुति भवन, जानकी महल ट्रस्ट, कनकभवन, हनुमानगढ़ी, श्रीरामबल्लभाकुंज, सियारामकिला, लक्ष्मण किला सहित सभी मंदिरों में भगवान की सेवा मौसम के अनुकूल की जा रही है। उन्हें ठंड से बचाने के लिए तरह-तरह के जतन किए गए हैं। मंदिरों में भगवान का खानपान व पहनावा सर्दी के मौसम के अनुकूल कर दिया गया है।
देव विग्रहों की सेवा भी बदली है। सुबह स्नान, भोजन व जलपान के लिए भगवान को गर्म पानी की सुविधा दी जा रही है। फूलों की जगह देशी घी की बत्ती से आरती की जा रही है। प्रभु के विग्रहों को गर्म कपड़े पहनाकर उन्हें दिन में ऊनी शॉल व रात में रजाई ओढ़ाई जा रही है। भगवान को भोग में गर्म खाद्य पदार्थ दिए जा रहे हैं।
श्रीराम जन्मभूमि के मुख्य अर्चक सत्येंद्र दास बताते हैं कि राम जन्मभूमि परिसर में विराजमान रामलला को ठंड से बचाने के लिए ब्लोअर लगाया गया है। रामलला के लिए तीन जोड़ी रजाई गद्दा व गर्म कपड़े बनाए गए हैं। रामलला को गर्म पानी से स्नान कराया जा रहा है। कहा कि रामलला चूंकि बाल रूप में विराजमान हैं इसलिए बालक के भाव से ही उनकी सेवा की जाती है।
पचपेड़ा गौशाला राजस्थान की तरफ से भेंट किए गए शुद्ध गाय के देशी घी से ही रामलला के लिए पकवान बनाकर उन्हें भोग लगाया जा रहा है। देशी घी से ही रामलला के समक्ष अखंड दीप जलाया जा रहा है।
अयोध्या। सर्दी का मौसम आते ही भगवान को भी ठंड लगने लगी है। रामनगरी के मठ-मंदिरों में भगवान को ठंड से बचाने के लिए तरह-तरह के जतन किए जा रहे हैं। रामजन्मभूमि में अस्थायी मंदिर में विराजमान रामलला को ठंड से बचाने के लिए दरबार में ब्लोअर लगा दिया गया है। रामलला को कंबल-रजाई सहित ऊनी वस्त्र पहनाए जा रहे हें। गर्म पानी से उन्हें स्नान कराया जा रहा है।
रामनगरी के मंदिरों दशरथ महल बड़ास्थान, विअहुति भवन, जानकी महल ट्रस्ट, कनकभवन, हनुमानगढ़ी, श्रीरामबल्लभाकुंज, सियारामकिला, लक्ष्मण किला सहित सभी मंदिरों में भगवान की सेवा मौसम के अनुकूल की जा रही है। उन्हें ठंड से बचाने के लिए तरह-तरह के जतन किए गए हैं। मंदिरों में भगवान का खानपान व पहनावा सर्दी के मौसम के अनुकूल कर दिया गया है।
देव विग्रहों की सेवा भी बदली है। सुबह स्नान, भोजन व जलपान के लिए भगवान को गर्म पानी की सुविधा दी जा रही है। फूलों की जगह देशी घी की बत्ती से आरती की जा रही है। प्रभु के विग्रहों को गर्म कपड़े पहनाकर उन्हें दिन में ऊनी शॉल व रात में रजाई ओढ़ाई जा रही है। भगवान को भोग में गर्म खाद्य पदार्थ दिए जा रहे हैं।
श्रीराम जन्मभूमि के मुख्य अर्चक सत्येंद्र दास बताते हैं कि राम जन्मभूमि परिसर में विराजमान रामलला को ठंड से बचाने के लिए ब्लोअर लगाया गया है। रामलला के लिए तीन जोड़ी रजाई गद्दा व गर्म कपड़े बनाए गए हैं। रामलला को गर्म पानी से स्नान कराया जा रहा है। कहा कि रामलला चूंकि बाल रूप में विराजमान हैं इसलिए बालक के भाव से ही उनकी सेवा की जाती है।
पचपेड़ा गौशाला राजस्थान की तरफ से भेंट किए गए शुद्ध गाय के देशी घी से ही रामलला के लिए पकवान बनाकर उन्हें भोग लगाया जा रहा है। देशी घी से ही रामलला के समक्ष अखंड दीप जलाया जा रहा है।