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Text Message: कब और किसे भेजा गया था दुनिया का पहला SMS, जानें इसकी रोचक कहानी

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: विशाल मैथिल Updated Tue, 06 Dec 2022 04:37 PM IST
सार

रिचर्ड जारविस ने इस टेक्स्ट मैसेज को अपने ऑर्बिटल 901 हैंडसेट में रिसीव किया था। रिचर्ड उस समय कंपनी के डायरेक्टर थे। हालांकि, रिचर्ड ने नील पापवोर्थ के मैसेज का जवाब नहीं दिया।

When Was The First SMS Sent And What Did It Say Know History in Hindi
दुनिया का पहला SMS - फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार

पिछले कुछ सौ वर्षों में हमने कम्युनिकेशन को काफी बेहतर किया है और अब यह काफी विकसित हो गया है। टेक्नोलॉजी ने लगातार कम्युनिकेशन को बेहतर बनाने पर काम किया है। 90वें के दशक में तो टेक्स्ट मैसेज ने कम्युनिकेशन को पूरी तरह से बदल कर रख दिया था। SMS (शॉर्ट मैसेज सर्विस) अपने समय का सबसे फास्ट कम्युनिकेशन माध्यम था। इसी का रिजल्ट है कि अब हम सेकेंड्स में विश्व के किसी भी कोने तक मैसेज भेज सकते हैं। अब भी रोजाना करोड़ों लोग कई माध्यमों से टेक्स्ट मैसेज भेजते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि पहला टेक्स्ट मैसेज कब और किसे भेजा गया था? चलिए जानते हैं इसकी रोचक कहानी।

कब भेजा गया था पहला टेक्स्ट मैसेज?

दरअसल, दुनिया का पहला टेक्स्ट मैसेज साल 3 दिसंबर 1992 को भेजा गया था और इस मैसेज से क्रिसमस की शुभकामना दी गई थी। जी हां दुनिया का पहला टेक्स्ट मैसेज 'मेरी क्रिसमस' था और इसे वोडाफोन नेटवर्क के माध्यम से भेजा गया था। इस मैसेज में 14 अक्षर थे। 

किसे भेजा गया था पहला टेक्स्ट मैसेज?

दुनिया के पहले टेक्स्ट मैसेज को भेजने वाले वोडाफोन इंजीनियर नील पापवोर्थ थे, जिन्होंने अपने कंप्यूटर से अपने दूसरी साथी रिचर्ड जारविस को यह मैजेस भेजकर क्रिसमस की शुभकामनाएं दी थीं। रिचर्ड जारविस ने इस टेक्स्ट मैसेज को अपने ऑर्बिटल 901 हैंडसेट में रिसीव किया था। रिचर्ड उस समय कंपनी के डायरेक्टर थे। हालांकि, रिचर्ड ने नील पापवोर्थ के मैसेज का जवाब नहीं दिया।

ऐसे काम करती है SMS टेक्नोलॉजी?

बता दें कि आज भी भेजे जाने वाले हर तीन टेक्स्ट मैसेज में से एक एसएमएस के जरिए सेंड-रिसीव किया जाता है। यानी इतने सालों के बाद भी SMS की लोकप्रियता कम नहीं हुई है। अब जानते हैं कि एसएमएस टेक्नोलॉजी काम कैसे करती है। दरअसल, यह टेक्नोलॉजी पहले टेक्स्ट को सिग्नल्स में बदलती है, फिर इन सिग्नल्स को सेंडर के पास वाले टावर तक भेजा जाता है। इसके बाद इन सिग्नल्स को एसएमएस सेंटर भेजा जाता है। यहां से यह रिग्नल रिसीवर के टावर तक पहुंचते हैं। आखिर में इन सिग्नल्स को वापस टेक्स्ट में बदलकर रिसीवर तक पहुंचाया जाता है।
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