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137,492 Tech employees lost their jobs worldwide more job cuts coming know what is the reason
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Tech layoffs: दुनियाभर में 1.37 लाख कर्मचारियों ने गंवाई नौकरी, नहीं रुकेगा छंटनी का सिलसिला, क्या है कारण?
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: विशाल मैथिल
Updated Sun, 27 Nov 2022 12:32 PM IST
सार
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एक क्लाउड आधारित डाटाबेस के आंकड़ों के अनुसार, 1,388 टेक कंपनियों ने कोविड-19 की शुरुआत के बाद से अब तक कुल 233,483 कर्मचारियों को निकाल दिया है। इन आंकड़ों में 2022 तकनीकी क्षेत्र के लिए सबसे खराब साल रहा है।
दुनियाभर की टेक कंपनियों में कर्मचारियों की छंटनी का सिलसिला जारी है। मेटा, अमेजन, एचपी और ट्विटर जैसी दिग्गज कंपनियां भी बड़ी मात्रा में कर्मचारियों को बर्खास्त कर रही हैं। दुनिया भर में कम से कम 853 टेक्नोलॉजी कंपनियों ने अब तक लगभग 137,492 कर्मचारियों की छंटनी की है, और उत्तरी देशों में मंदी की आशंका भी जताई जा रही है। वैश्विक मंदी की आहट के बीच टेक स्पेक्ट्रम की अधिक से अधिक कंपनियों ने छंटनी अभी भी जारी है।
दो साल में गईं 2 लाख से ज्यादा लोगों की नौकरियां
एक क्लाउड आधारित डाटाबेस, लेऑफ.एफवाई के आंकड़ों के अनुसार, 1,388 टेक कंपनियों ने कोविड-19 की शुरुआत के बाद से अब तक कुल 233,483 कर्मचारियों को निकाल दिया है। इन आंकड़ों में 2022 तकनीकी क्षेत्र के लिए सबसे खराब साल रहा है। इस साल नवंबर के मध्य तक यूएस टेक सेक्टर में 73, 000 से अधिक कर्मचारियों को मेटा, ट्विटर, सेल्सफोर्स, नेटफ्लिक्स, सिस्को और रोकू जैसी अन्य टेक कंपनियों के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर नौकरी में कटौती की गई है। क्रंचबेस के अनुसार, रॉबिनहुड, ग्लोसियर और बेटर कुछ ऐसी टेक कंपनियां हैं, जिन्होंने 2022 में अपने कर्मचारियों की संख्या में उल्लेखनीय रूप से कटौती की है।
अमेजन में जारी रहेगा छंटनी का सिलसिला
अमेजन और पीसी व प्रिंटर प्रमुख एचपी जैसी बड़ी टेक कंपनियां वैश्विक छंटनी के मौसम में शामिल हो गई हैं, और आने वाले दिनों में क्रमशः 10,000 से अधिक और 6,000 कर्मचारियों तक की छंटनी करने के लिए तैयार हैं। अमेजन के सीईओ एंडी जेसी ने कर्मचारियों को चेतावनी दी है कि 2023 की शुरुआत में कंपनी में और अधिक छंटनी होगी, क्योंकि लीडर्स समायोजन रखना चाहते हैं।
बड़े पैमाने पर नौकरी में कटौती ने कई डिवीजनों को प्रभावित किया है, विशेष रूप से एलेक्सा वर्चुअल असिस्टेंट बिजनेस, जो कथित तौर पर इस साल 10 बिलियन डॉलर का नुकसान झेलने के लिए तैयार है क्योंकि वॉयस असिस्टेंट कभी भी एक सतत राजस्व स्ट्रीम बनाने में कामयाब नहीं हुआ।
गूगल आगे भी करेगा छंटनी
गूगल की मूल कंपनी Alphabet कथित तौर पर लगभग 10,000 खराब प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों या अपने कर्मचारियों के 6 प्रतिशत की छंटनी करने के लिए तैयार है। द इंफॉर्मेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, गूगल की योजना एक नई रैंकिंग और प्रदर्शन सुधार योजना के माध्यम से 10,000 कर्मचारियों को कम करने की है।
भारतीय कंपनियां भी झेल रहीं घाटा
भारत में लगभग 16,000 कर्मचारियों को BYJU'S, अनअकैडमी और वेदांतु जैसी एडटेक कंपनियों के नेतृत्व में लगभग 44 स्टार्टअप्स द्वारा जाने के लिए कहा गया है, क्योंकि वीसी (वेंचर कैपिटल) फंडिंग लगातार कम हो रही है। भारत में कर्मचारियों की छंटनी करने वाले अन्य टेक स्टार्टअप और यूनिकॉर्न में ओला, कार्स24, मीशो, लीड, एमपीएल, इनोवैकर, उड़ान जैसी कंपनियां शामिल हैं। इस बीच हजारों संविदा कर्मचारियों को भी जाने दिया गया है, जिससे 2022 तकनीकी क्षेत्र में श्रमिकों के लिए सबसे कठिन वर्ष बन गया है।
रेजरपे के बिजनेस बैंकिंग प्लेटफॉर्म, रेजरपेएक्स पेरोल की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय स्टार्टअप पिछले 12 महीनों में भारी भर्ती कटौती से गुजर रहे हैं और स्थायी कर्मचारियों की भर्ती में 61 प्रतिशत की महत्वपूर्ण गिरावट आई है। PwC इंडिया की एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई-सितंबर की अवधि में भारत में केवल दो स्टार्टअप, शिपरॉकेट और वनकार्ड ने यूनिकॉर्न का दर्जा (मूल्य 1 बिलियन डॉलर और उससे अधिक) प्राप्त किया।
फ्लिपकार्ट के सीईओ ने दी चेतावनी
फ्लिपकार्ट के सीईओ कल्याण कृष्णमूर्ति ने चेतावनी दी है कि स्टार्टअप इकोसिस्टम फंडिंग विंटर 12 से 18 महीने तक चल सकता है और इंडस्ट्री को बहुत उथल-पुथल और अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है।
क्यों जा रही हैं टेलीकॉम सेक्टर की नौकरियां?
दरअसल, आर्थिक मंदी की आहट से दुनियाभर की टेक कंपनियां डरी हुई हैं। पहले कोरोना लॉकडाउन और वर्क फ्रॉम होम की वजह से पीसी और लैपटॉप सेगमेंट की बिक्री में जबरदस्त उछाल देखने मिला था, लेकिन अब यह मार्केट डाउन होता जा रहा है।
नौकरी जाने के एक सबसे बड़े कारण के रूप में देखा जाए तो ऑनलाइन बिजनेस के चलते अधिक मात्रा में हायरिंग है। यानी कंपनियों ने लॉकडाउन में ऑनलाइन काम के चलते पहले जरूरत से ज्यादा लोगों को नौकरी दी और अब जब मार्केट में गिरावट आ रही है, तो कंपनियां बैलेंस बनाने के लिए लगातार छंटनी कर रही हैं। साथ ही बढ़ती आर्थिक मंदी के बीच अपने खर्च को कम करने के लिए भी लगातार छंटनी की जा रही है।
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