Paush Amavasya 2022 : आज साल 2022 की पहली अमावस्या तिथि है। हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। 2 जनवरी रविवार को पड़ने वाली अमावस्या को पौष अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस अमावस्या को दर्श अमावस्या भी कहते हैं। धार्मिक रूप से इस अमावस्या के दिन स्नान-दान का बड़ा ही महत्व है। मान्यता है कि इस दिन किसी तीर्थ स्थान पर जाकर स्नान-दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिये अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध और तर्पण भी किया जाता है। आइए जानते हैं पौष अमावस्या का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
पौष अमावस्या का शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि आरंभ: 2 जनवरी, रविववर प्रातः 3: 41 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त: 2 जनवरी, रविवार रात्रि 12: 4 मिनट पर
पौष अमावस्या पर बन रहे हैं खास योग
पौष अमावस्या के दिन सर्वार्थसिद्धि योग प्रातः 6: 47 मिनट से शुरू होकर सायं 4: 24 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही प्रातः 9: 42 मिनट तक वृद्धि योग रहेगा।
पौष अमावस्या पूजा विधि
- ब्रह्ममुहूर्त में स्नान के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर स्नान कर लें।
- स्नान के बाद तांबे लोटे में जल भरें और उसमें लाल फूल, चावल डाल लें। इसके बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें।
- सूर्य पूजा के बाद घर के मंदिर में पूजा करें। देवी-देवताओं को स्नान कराएं।
- वस्त्र और पुष्प अर्पित करें। भोग स्वरूप खीर चढ़ाएं।
- पितृ दोष से मुक्ति के लिए और अपने पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन दूध, चावल की खीर बनाकर, गोबर के उपले या कंडे की कोर जलाकर, उस पर पितरों के निमित्त खीर का भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद थोड़ा-सा पानी लेकर अपने दायें हाथ की तरफ, यानी भोग की बाईं साइड में छोड़ दें।
- एक लोटे में जल भरकर, उसमें गंगाजल, थोड़ा-सा दूध, चावल के दाने और तिल डालकर दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके पितरों का तर्पण करना चाहिए।
विस्तार
Paush Amavasya 2022 : आज साल 2022 की पहली अमावस्या तिथि है। हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। 2 जनवरी रविवार को पड़ने वाली अमावस्या को पौष अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस अमावस्या को दर्श अमावस्या भी कहते हैं। धार्मिक रूप से इस अमावस्या के दिन स्नान-दान का बड़ा ही महत्व है। मान्यता है कि इस दिन किसी तीर्थ स्थान पर जाकर स्नान-दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिये अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध और तर्पण भी किया जाता है। आइए जानते हैं पौष अमावस्या का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
पौष अमावस्या का शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि आरंभ: 2 जनवरी, रविववर प्रातः 3: 41 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त: 2 जनवरी, रविवार रात्रि 12: 4 मिनट पर
पौष अमावस्या पर बन रहे हैं खास योग
पौष अमावस्या के दिन सर्वार्थसिद्धि योग प्रातः 6: 47 मिनट से शुरू होकर सायं 4: 24 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही प्रातः 9: 42 मिनट तक वृद्धि योग रहेगा।
पौष अमावस्या पूजा विधि
- ब्रह्ममुहूर्त में स्नान के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर स्नान कर लें।
- स्नान के बाद तांबे लोटे में जल भरें और उसमें लाल फूल, चावल डाल लें। इसके बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें।
- सूर्य पूजा के बाद घर के मंदिर में पूजा करें। देवी-देवताओं को स्नान कराएं।
- वस्त्र और पुष्प अर्पित करें। भोग स्वरूप खीर चढ़ाएं।
- पितृ दोष से मुक्ति के लिए और अपने पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन दूध, चावल की खीर बनाकर, गोबर के उपले या कंडे की कोर जलाकर, उस पर पितरों के निमित्त खीर का भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद थोड़ा-सा पानी लेकर अपने दायें हाथ की तरफ, यानी भोग की बाईं साइड में छोड़ दें।
- एक लोटे में जल भरकर, उसमें गंगाजल, थोड़ा-सा दूध, चावल के दाने और तिल डालकर दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके पितरों का तर्पण करना चाहिए।