मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने आय से अधिक संपत्ति मामले में नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल और उनके पुत्र सांसद अनुराग ठाकुर पर साजिश रचने का आरोप लगाया। कहा कि इस मामले में वित्त मंत्री अरुण जेटली का सहारा लिया जा रहा है। आय से अधिक मामले में जेटली सत्ता का दुरुपयोग कर रहे हैं। मुझे झूठे मुकदमों में फंसाया जा रहा है। पहली बार संपत्ति से जुड़े मामले में केंद्र की आयकर, ईडी और सीबीआई तीन एजेंसियां एक साथ जांच कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक लेकर जाएंगे और पहले की तरह सच्चाई की जीत होगी। शनिवार को हमीरपुर में सीएम ने धूमल को चुनौती दी कि अगर हिम्मत है तो वह साजिश रचने के बजाय चुनाव में हराकर दिखाएं। विपक्ष की ओर से इस्तीफे की मांग पर सीएम ने कहा कि वह भाजपा को खुश करने के लिए इस्तीफा नहीं देंगे।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बनना तो दूर प्रेम कुमार धूमल वार्ड पंच बनने के काबिल भी नहीं हैं। इससे पहले भी दो बार मुख्यमंत्री रहते हुए धूमल ने झूठे मुकदमे दर्ज करवाए, जिसके चलते अदालतों में ट्रायल का सामना करना पड़ा। लेकिन
अदालत में सभी केसों से बरी हुए। वीरभद्र ने कहा कि छह बार मुख्यमंत्री रहते हुए धूमल के खिलाफ केस दर्ज करवा सकते थे, लेकिन बदले की भावना से काम नहीं किया। उन्होंने कहा कि सातवीं बार मुख्यमंत्री बना, तब भी धूमल के खिलाफ केस तो दूर- अंगुली भी नहीं उठाऊंगा।
मुख्यमंत्री के नाते चुनाव प्रचार में आया हूं: सीएम
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि पार्टी हाईकमान ने कांग्रेस प्रत्याशी प्रमिला देवी को भोरंज उपचुनाव में टिकट दिया है। वे एक मुख्यमंत्री के नाते चुनाव प्रचार में आए हैं। अगर टिकटार्थी प्रेम कौशल और सुरेश कुमार को टिकट मिलता तो वे उनकी बारात में भी जरूर आते।
सीएम वीरभद्र सिंह ने कहा कि भाजपाइयों ने दुष्प्रचार किया कि संपत्ति मामला दोबारा उठने के कारण वे प्रचार में नहीं आएंगे, लेकिन वे जमीन से जुड़े नेता हैं। इसलिए भोरंज उप चुनाव में प्रचार के लिए आए हैं। कहा कि उनके पैतृक गांव सराहन में आईडी धीमान हेडमास्टर रहे हैं, लेकिन उनका स्कूल के टीचरों पर कोई कंट्रोल नहीं था। परीक्षा में बच्चे नकल कर रहे होते थे तो उन्हें भी अनदेखा कर देते थे।
स्वर्गीय धीमान के समय सराहन स्कूल का परिणाम सौ फीसदी रहा, लेकिन उनके ट्रांसफर होते ही परिणाम शून्य हो गया। उसके बाद ऊना जिले से एक हेडमास्टर आए तो स्कूल की दशा सुधरी। उन्होंने कहा कि धीमान में हेडमास्टरों वाले गुण नहीं थे। इसी तरह उनके पुत्र तथा भोरंज विस से भाजपा प्रत्याशी डॉ. अनिल धीमान भी अपने पिता के नक्शे कदम पर चल रहे हैं। उनमें भी कई तरह के अवगुण हैं।
कंगरू कोर्ट का हमेशा किया सामना
सीएम वीरभद्र ने कहा कि धूमल के कारण उन्हें कई बार कंगरू कोर्ट का सामना करना पड़ा। कहा कि यह वे कोर्ट होता है, जहां पर खास जज होते हैं। हर बार वह सच्चाई के दम पर जीते हैं।
केंद्र से मिला बजट राज्य का हक
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार कई तरह के टैक्स लगाकर राजस्व इकट्ठा करता है। देश के सभी राज्यों को बजट मिलता है। हिमाचल को मिला बजट कोई खैरात नहीं, बल्कि संविधान के मुताबिक अपना हक है।
रामायण की तरह भाजपा को मिले विभीषण, कांग्रेस की हार निश्चित
नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि भोरंज उपचुनाव से प्रदेश की आबोहवा बदलेगी। यहां के चुनाव नतीजे प्रदेश में भाजपा की सरकार बनाने का मार्ग प्रशस्त करेंगे। धूमल ने कहा कि रामायण की तरह ही भाजपा को भी कुछ विभीषण मिल गए हैं। अब युद्ध में कांग्रेस की हार निश्चित है।
भोरंज में आयोजित जनसभा में धूमल ने कहा कि वीरभद्र सिंह हारी हुई बाजी लगा रहे हैं। आगामी विस चुनावों में उनकी पारी ही समाप्त हो जाएगी। उन्होंने मुख्यमंत्री पर झूठ और फरेब की राजनीति के आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस ने कभी हर घर को नौकरी देने, कभी युवाओं को मनपसंद विभाग में नौकरी देने तो कभी बेरोजगारी भत्ता देने जैसे चुनावी वायदे कर युवाओं से धोखा किया है।
धूमल ने कहा कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने शांत प्रदेश को भ्रष्टाचार के कारण शर्मसार कर दिया है। कांग्रेस ने हमेशा भोरंज से ट्रांसफर का धंधा करने वाले नेता दिए हैं। प्रदेश सरकार कर्ज लेकर मौज मस्ती कर रही है। जनता के पैसों को फिजूलखर्चों में उड़ाया जा रहा है। इसके चलते कैग ने भी प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। इस मौके पर उनके साथ नयनादेवी के विधायक रणधीर शर्मा, सिराज के विधायक जयराम ठाकुर और जिला भाजपा अध्यक्ष अनिल ठाकुर और मंडल अध्यक्ष जयमल ठाकुर समेत अन्य लोग मौजूद रहे।
नैतिकता का तकाजा देख वीरभद्र दें इस्तीफा: शांता
सांसद शांता कुमार ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को सलाह दी है कि उन पर लगे आरोपों को देखते हुए उन्हें नैतिकता का तकाजा देख अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। शांता ने कहा कि मामले में कांग्रेस हाईकमान भी उन्हें सलाह दे सकती थी। लेकिन, कांग्रेस हाईकमान का यह कहना कि वीरभद्र सिंह त्यागपत्र नहीं देंगे, यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। साथ ही उन्होंने स्वामी रामदेव की पतंजलि संस्था को पिछली सरकार के समय दी गई भूमि उन्हें देने का फिर से विचार किया है।
यह सराहनीय फैसला है। देश के इतिहास में पहली बार योग को करोड़ों लोगों के घर पहुंचाकर उन्होंने सराहनीय कार्य किया है। लाखों लोगों को रोजगार भी मिला। पतंजलि के स्वदेशी उत्पाद अपनी विश्वनीयता के कारण अब विदेशों तक जाने लगे हैं। स्वामी दयानंद और महात्मा गांधी के विचारों को सरकारें व्यवहार में नहीं ला सकीं। लेकिन, स्वामी रामदेव ने एक नया चमत्कार करके दिखा दिया।
कटवाल बनाम वीरभद्र मामला खत्म
अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड हमीरपुर के पूर्व अध्यक्ष एसएम कटवाल बनाम वीरभद्र सिंह क्रिमिनल केस शनिवार को खत्म हो गया। ऊना के एसीजीएम होशियार सिंह ठाकुर की अदालत ने अनुपस्थित चल रहे कटवाल को आदेश दिए थे कि यदि मामले की इस सुनवाई में पेश न हुए, तो उनकी शिकायत को रद्द कर दिया जाएगा। एसएम कटवाल पेश नहीं हुए।
उनके वकील केशव चंदेल ने हाजिर होकर कटवाल की तरफ से शिकायत वापस लेने का आवेदन किया, जिसे अदालत ने मंजूर करते हुए मामले को खत्म कर दिया। उधर कटवाल के केस को लेकर कोर्ट परिसर के बाहर लगातार सतर्कता विंग की टीम भी जुटी रही, कटवाल के न आने से इस टीम को भी निराशा ही हाथ लगी।
कटवाल कुछ महीनों से पुलिस की पहुंच से दूर हैं। हमीरपुर की अदालत ने एक मामले में कटवाल को सजा सुनाई और सुप्रीम कोर्ट में कटवाल की याचिका खारिज होने के बाद उन्हें कोर्ट में सरेंडर करना है। लेकिन कटवाल कोर्ट व पुलिस के
समक्ष पेश नहीं हुए हैं और पुलिस उन्हें तलाश कर रही है। उधर, मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पक्ष की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता वीरेंद्र धर्माणी ने बताया कि कटवाल द्वारा कोटला में रैली के दौरान 2004 में सीएम वीरभद्र सिंह के भाषण को लेकर मामला दायर किया गया था, जो अब खत्म हो गया है।
प्रदेश को कर्ज में डुबो रही सरकार: धूमल
नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेमकुमार धूमल ने प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर चिंता जताई है। सीएजी की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने गैर उत्पादक व्ययों के लिए कर्ज उठाकर प्रदेश को कर्ज में डुबोने के लिए प्रदेश सरकार की निंदा की है। उन्होंने कहा कि साल 2017-18 के मुख्यमंत्री की बजट भाषण पर चर्चा में भाग लेते हुए उन्होंने प्रदेश सरकार को वित्तीय कुप्रबंधन के लिए सचेत किया था, जिसकी भारत के सीएजी द्वारा अब पुष्टि की गई है।
धूमल ने कहा कि राज्य पर 31 मार्च 2017 तक कुल अनुमानित कर्ज 45,213.30 करोड़ रुपये है, जो राज्य के जीएसडीपी का 38.3 प्रतिशत है। 2013 से 2017 तक वीरभद्र सिंह सरकार के चार वर्षों में 13,555 करोड़ रुपये का कर्ज गैर उत्पादित कार्यों के लिए उठाया गया है। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार राज्य ने पूंजी व्यय को कम प्राथमिकता दी है। वीरभद्र सिंह के दावे कि सरकार विकास कार्यों के लिए कर्ज ले रही है, को झुठलाया है।
धूमल ने कहा कि सरकार ने बड़ी संख्या में कांग्रेस के हारे हुए नेताओं व कार्यकर्ताओं को घाटे में चल रहे सरकारी बोर्डों/निगमों के चेयरमैन/वाइस चेयरमैन के पदों पर नियुक्ति दी है, जिनका कार्य केवल राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ बयानबाजी करना है। सीएजी ने सरकार के लगभग सभी विभागों की कार्यप्रणाली पर प्रतिकूल टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार की वसूलियों की उगाही में इच्छा शक्ति की कमी है।
उन्होंने कहा कि राज्य की कांग्रेस सरकार ने अपने चार साल के कार्यकाल में फिजूलखर्ची को रोकने और संसाधन जुटाने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किए। सरकार ने अपने चहेते टायर्ड और रिटायर्ड अधिकारियों/कर्मचारियों के सेवाकाल में वृद्धि करने या पुन: रोजगार प्रदान करने को ही बढ़ावा दिया है।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने आय से अधिक संपत्ति मामले में नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल और उनके पुत्र सांसद अनुराग ठाकुर पर साजिश रचने का आरोप लगाया। कहा कि इस मामले में वित्त मंत्री अरुण जेटली का सहारा लिया जा रहा है। आय से अधिक मामले में जेटली सत्ता का दुरुपयोग कर रहे हैं। मुझे झूठे मुकदमों में फंसाया जा रहा है। पहली बार संपत्ति से जुड़े मामले में केंद्र की आयकर, ईडी और सीबीआई तीन एजेंसियां एक साथ जांच कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक लेकर जाएंगे और पहले की तरह सच्चाई की जीत होगी। शनिवार को हमीरपुर में सीएम ने धूमल को चुनौती दी कि अगर हिम्मत है तो वह साजिश रचने के बजाय चुनाव में हराकर दिखाएं। विपक्ष की ओर से इस्तीफे की मांग पर सीएम ने कहा कि वह भाजपा को खुश करने के लिए इस्तीफा नहीं देंगे।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बनना तो दूर प्रेम कुमार धूमल वार्ड पंच बनने के काबिल भी नहीं हैं। इससे पहले भी दो बार मुख्यमंत्री रहते हुए धूमल ने झूठे मुकदमे दर्ज करवाए, जिसके चलते अदालतों में ट्रायल का सामना करना पड़ा। लेकिन
अदालत में सभी केसों से बरी हुए। वीरभद्र ने कहा कि छह बार मुख्यमंत्री रहते हुए धूमल के खिलाफ केस दर्ज करवा सकते थे, लेकिन बदले की भावना से काम नहीं किया। उन्होंने कहा कि सातवीं बार मुख्यमंत्री बना, तब भी धूमल के खिलाफ केस तो दूर- अंगुली भी नहीं उठाऊंगा।
मुख्यमंत्री के नाते चुनाव प्रचार में आया हूं: सीएम
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि पार्टी हाईकमान ने कांग्रेस प्रत्याशी प्रमिला देवी को भोरंज उपचुनाव में टिकट दिया है। वे एक मुख्यमंत्री के नाते चुनाव प्रचार में आए हैं। अगर टिकटार्थी प्रेम कौशल और सुरेश कुमार को टिकट मिलता तो वे उनकी बारात में भी जरूर आते।
सीएम वीरभद्र सिंह ने कहा कि भाजपाइयों ने दुष्प्रचार किया कि संपत्ति मामला दोबारा उठने के कारण वे प्रचार में नहीं आएंगे, लेकिन वे जमीन से जुड़े नेता हैं। इसलिए भोरंज उप चुनाव में प्रचार के लिए आए हैं। कहा कि उनके पैतृक गांव सराहन में आईडी धीमान हेडमास्टर रहे हैं, लेकिन उनका स्कूल के टीचरों पर कोई कंट्रोल नहीं था। परीक्षा में बच्चे नकल कर रहे होते थे तो उन्हें भी अनदेखा कर देते थे।
स्वर्गीय धीमान के समय सराहन स्कूल का परिणाम सौ फीसदी रहा, लेकिन उनके ट्रांसफर होते ही परिणाम शून्य हो गया। उसके बाद ऊना जिले से एक हेडमास्टर आए तो स्कूल की दशा सुधरी। उन्होंने कहा कि धीमान में हेडमास्टरों वाले गुण नहीं थे। इसी तरह उनके पुत्र तथा भोरंज विस से भाजपा प्रत्याशी डॉ. अनिल धीमान भी अपने पिता के नक्शे कदम पर चल रहे हैं। उनमें भी कई तरह के अवगुण हैं।
कंगरू कोर्ट का हमेशा किया सामना
सीएम वीरभद्र ने कहा कि धूमल के कारण उन्हें कई बार कंगरू कोर्ट का सामना करना पड़ा। कहा कि यह वे कोर्ट होता है, जहां पर खास जज होते हैं। हर बार वह सच्चाई के दम पर जीते हैं।
केंद्र से मिला बजट राज्य का हक
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार कई तरह के टैक्स लगाकर राजस्व इकट्ठा करता है। देश के सभी राज्यों को बजट मिलता है। हिमाचल को मिला बजट कोई खैरात नहीं, बल्कि संविधान के मुताबिक अपना हक है।
रामायण की तरह भाजपा को मिले विभीषण, कांग्रेस की हार निश्चित
नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि भोरंज उपचुनाव से प्रदेश की आबोहवा बदलेगी। यहां के चुनाव नतीजे प्रदेश में भाजपा की सरकार बनाने का मार्ग प्रशस्त करेंगे। धूमल ने कहा कि रामायण की तरह ही भाजपा को भी कुछ विभीषण मिल गए हैं। अब युद्ध में कांग्रेस की हार निश्चित है।
भोरंज में आयोजित जनसभा में धूमल ने कहा कि वीरभद्र सिंह हारी हुई बाजी लगा रहे हैं। आगामी विस चुनावों में उनकी पारी ही समाप्त हो जाएगी। उन्होंने मुख्यमंत्री पर झूठ और फरेब की राजनीति के आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस ने कभी हर घर को नौकरी देने, कभी युवाओं को मनपसंद विभाग में नौकरी देने तो कभी बेरोजगारी भत्ता देने जैसे चुनावी वायदे कर युवाओं से धोखा किया है।
धूमल ने कहा कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने शांत प्रदेश को भ्रष्टाचार के कारण शर्मसार कर दिया है। कांग्रेस ने हमेशा भोरंज से ट्रांसफर का धंधा करने वाले नेता दिए हैं। प्रदेश सरकार कर्ज लेकर मौज मस्ती कर रही है। जनता के पैसों को फिजूलखर्चों में उड़ाया जा रहा है। इसके चलते कैग ने भी प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। इस मौके पर उनके साथ नयनादेवी के विधायक रणधीर शर्मा, सिराज के विधायक जयराम ठाकुर और जिला भाजपा अध्यक्ष अनिल ठाकुर और मंडल अध्यक्ष जयमल ठाकुर समेत अन्य लोग मौजूद रहे।
नैतिकता का तकाजा देख वीरभद्र दें इस्तीफा: शांता
सांसद शांता कुमार ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को सलाह दी है कि उन पर लगे आरोपों को देखते हुए उन्हें नैतिकता का तकाजा देख अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। शांता ने कहा कि मामले में कांग्रेस हाईकमान भी उन्हें सलाह दे सकती थी। लेकिन, कांग्रेस हाईकमान का यह कहना कि वीरभद्र सिंह त्यागपत्र नहीं देंगे, यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। साथ ही उन्होंने स्वामी रामदेव की पतंजलि संस्था को पिछली सरकार के समय दी गई भूमि उन्हें देने का फिर से विचार किया है।
यह सराहनीय फैसला है। देश के इतिहास में पहली बार योग को करोड़ों लोगों के घर पहुंचाकर उन्होंने सराहनीय कार्य किया है। लाखों लोगों को रोजगार भी मिला। पतंजलि के स्वदेशी उत्पाद अपनी विश्वनीयता के कारण अब विदेशों तक जाने लगे हैं। स्वामी दयानंद और महात्मा गांधी के विचारों को सरकारें व्यवहार में नहीं ला सकीं। लेकिन, स्वामी रामदेव ने एक नया चमत्कार करके दिखा दिया।
कटवाल बनाम वीरभद्र मामला खत्म
अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड हमीरपुर के पूर्व अध्यक्ष एसएम कटवाल बनाम वीरभद्र सिंह क्रिमिनल केस शनिवार को खत्म हो गया। ऊना के एसीजीएम होशियार सिंह ठाकुर की अदालत ने अनुपस्थित चल रहे कटवाल को आदेश दिए थे कि यदि मामले की इस सुनवाई में पेश न हुए, तो उनकी शिकायत को रद्द कर दिया जाएगा। एसएम कटवाल पेश नहीं हुए।
उनके वकील केशव चंदेल ने हाजिर होकर कटवाल की तरफ से शिकायत वापस लेने का आवेदन किया, जिसे अदालत ने मंजूर करते हुए मामले को खत्म कर दिया। उधर कटवाल के केस को लेकर कोर्ट परिसर के बाहर लगातार सतर्कता विंग की टीम भी जुटी रही, कटवाल के न आने से इस टीम को भी निराशा ही हाथ लगी।
कटवाल कुछ महीनों से पुलिस की पहुंच से दूर हैं। हमीरपुर की अदालत ने एक मामले में कटवाल को सजा सुनाई और सुप्रीम कोर्ट में कटवाल की याचिका खारिज होने के बाद उन्हें कोर्ट में सरेंडर करना है। लेकिन कटवाल कोर्ट व पुलिस के
समक्ष पेश नहीं हुए हैं और पुलिस उन्हें तलाश कर रही है। उधर, मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पक्ष की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता वीरेंद्र धर्माणी ने बताया कि कटवाल द्वारा कोटला में रैली के दौरान 2004 में सीएम वीरभद्र सिंह के भाषण को लेकर मामला दायर किया गया था, जो अब खत्म हो गया है।
प्रदेश को कर्ज में डुबो रही सरकार: धूमल
नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेमकुमार धूमल ने प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर चिंता जताई है। सीएजी की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने गैर उत्पादक व्ययों के लिए कर्ज उठाकर प्रदेश को कर्ज में डुबोने के लिए प्रदेश सरकार की निंदा की है। उन्होंने कहा कि साल 2017-18 के मुख्यमंत्री की बजट भाषण पर चर्चा में भाग लेते हुए उन्होंने प्रदेश सरकार को वित्तीय कुप्रबंधन के लिए सचेत किया था, जिसकी भारत के सीएजी द्वारा अब पुष्टि की गई है।
धूमल ने कहा कि राज्य पर 31 मार्च 2017 तक कुल अनुमानित कर्ज 45,213.30 करोड़ रुपये है, जो राज्य के जीएसडीपी का 38.3 प्रतिशत है। 2013 से 2017 तक वीरभद्र सिंह सरकार के चार वर्षों में 13,555 करोड़ रुपये का कर्ज गैर उत्पादित कार्यों के लिए उठाया गया है। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार राज्य ने पूंजी व्यय को कम प्राथमिकता दी है। वीरभद्र सिंह के दावे कि सरकार विकास कार्यों के लिए कर्ज ले रही है, को झुठलाया है।
धूमल ने कहा कि सरकार ने बड़ी संख्या में कांग्रेस के हारे हुए नेताओं व कार्यकर्ताओं को घाटे में चल रहे सरकारी बोर्डों/निगमों के चेयरमैन/वाइस चेयरमैन के पदों पर नियुक्ति दी है, जिनका कार्य केवल राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ बयानबाजी करना है। सीएजी ने सरकार के लगभग सभी विभागों की कार्यप्रणाली पर प्रतिकूल टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार की वसूलियों की उगाही में इच्छा शक्ति की कमी है।
उन्होंने कहा कि राज्य की कांग्रेस सरकार ने अपने चार साल के कार्यकाल में फिजूलखर्ची को रोकने और संसाधन जुटाने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किए। सरकार ने अपने चहेते टायर्ड और रिटायर्ड अधिकारियों/कर्मचारियों के सेवाकाल में वृद्धि करने या पुन: रोजगार प्रदान करने को ही बढ़ावा दिया है।