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Himachal: 68 दिन में 118 करोड़ रुपये की चपत, फोरलेन शुरू होने से होगा नुकसान, फिर भी ट्रक ऑपरेटर तैयार

संवाद न्यूज एजेंसी, बिलासपुर/सोलन Published by: Krishan Singh Updated Tue, 21 Feb 2023 11:24 AM IST
सार

68 दिन में बिलासपुर के ट्रक ऑपरेटरों को करीब 68 करोड़ और दाड़लाघाट के ऑपरेटरों को 50 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। प्रदेश सरकार को भी करोड़ों की चपत लगी है। 

cement dispute: BDTS operators lose Rs 1.11 even after 69 days of struggle
दाड़लाघाट प्लांट(फाइल) - फोटो : संवाद

विस्तार

सीमेंट विवाद भले ही सुलझ गया है, लेकिन 68 दिन में बिलासपुर के ट्रक ऑपरेटरों को करीब 68 करोड़ और दाड़लाघाट के ऑपरेटरों को 50 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। प्रदेश सरकार को भी करोड़ों की चपत लगी है। किरतपुर-नेरचौक फोरलेन शुरू होने पर लगभग 30 किमी दूरी घटेगी और इसके मालभाड़े का नुकसान भी ऑपरेटरों को होगा। इसके  बावजूद वह ट्रक चलाने को तैयार हैं। विवाद को सुलझाने के लिए ट्रक ऑपरेटरों ने पैदल मार्च और रोष रैलियां भी निकालीं। बरमाणा में अनिश्चितकालीन धरना भी किया।  दाड़लाघाट में में 3,000 करीब ट्रक सभाओं में पंजीकृत हैं।



हर ट्रक को रोजाना 2,000 से ज्यादा का नुकसान हो रहा था। इसके अलावा दाड़लाघाट क्षेत्र के आधा दर्जन बैंकों की 25 करोड़ रुपये से ज्यादा की किस्तें भी फंसी पड़ी हैं। आंकड़ों के मुताबिक 80 फीसदी से ज्यादा ट्रकों की किस्तें बैंकों में जमा नहीं हो पाई हैं। बैंकों से लगातार ट्रक ऑपरेटरों को नोटिस और फोन आ रहे हैं। मगर ऑपरेटर ट्रक खड़े होने का हवाला देकर फिलहाल राहत देने की बात कह रहे थे। ऐसे में अब विवाद सुलझने के बाद काफी हद तक ऑपरेटर राहत की सांस लेंगे।  इस बारे में एसडीटीओ के प्रधान जयदेव कौंडल ने कहा कि बीते 68 दिनों से कंपनी बंद होने से दाड़लाघाट के 3,000 से ज्यादा ट्रक ऑपरेटरों ने करीब 50 करोड़ रुपये का नुकसान झेला है। 

इसके अलावा बैंकों की किस्तें भी रुकी हुई हैं। 

पहले अड़ा रहा अदाणी, अब एसीसी प्लांट से ही हर दिन होगी 10 लाख की बचत
विवाद के बाद अदाणी समूह 6.30 पैसे प्रति किमी किराया देने पर अड़ा रहा। अंत में पहले से तय किराया कम करवाकर मात्र 24 घंटे में एसीसी फैक्ट्री से ही 10 लाख 665 रुपये की बचत होगी।  किरतपुर-नेरचौक फोरलेन शुरू होने पर 25 फीसदी किराया और कम होगा। 

मल्टी एक्सल वालों को होगा ये नुकसान
पहले पहाड़ी क्षेत्र में 10.41 रुपये के हिसाब से 100 किलोमीटर का 24,984  रुपये किराया बनता था। अब बड़ी गाड़ी का अदाणी समूह 9:30 रुपये प्रति किलोमीटरप्रति टन किराया देगा। जिससे 100 किलोमीटर का किराया 22,320 रुपये 24 टन का किराया बनेगा। इससे ट्रक ऑपरेटर को 2664 रुपये   घाटा होगा।

छोटी गाड़ियों को इतना नुकसान
छोटी गाड़ियों का 12 मीटि्रक  टन का पहले 11.41 रुपये के हिसाब से 100 किलोमीटर का 13,692 रुपये किराया बनता था।  लेकिन अब यह 10:30  रुपये कर दिया गया है, जो इतनी ही दूरी का 12,360 बनेगा। इसमें भी ऑपरेटरों को 1332 रुपये का घाटा 100 किलोमीटर पर होगा।

सीमेंट ढुलाई दरों में आएगी 12 फीसदी तक की कमी

सीमेंट ढुलाई की दरों को लेकर कंपनी के साथ ट्रक ऑपरेटरों का जो समझौता हुआ है, उससे ढुलाई दरों में 10 से 12 फीसदी तक की कमी आई है। इससे अदाणी समूह को भी राहत मिलेगी। अदाणी समूह ने इसके लिए प्रदेश सरकार और ऑपरेटरों का आभार व्यक्त किया है। अदाणी समूह के प्रवक्ता ने कहा है कि सीमेंट विवाद को लेकर सभी हितधारक एक साथ आए हैं और माल ढुलाई दरों पर चल रही चर्चाओं को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल किया गया है। यह परिणाम एसीसी, अंबुजा सीमेंट और इसमें शामिल सभी हितधारकों के लिए सकारात्मक है। कहा कि एसीसी और अंबुजा सीमेंट्स मंगलवार से एसीसी और दाड़लाघाट संयंत्रों में परिचालन फिर से शुरू कर देंगे। अंबुजा सीमेंट के दाड़लाघाट प्लांट और एसीसी के गगल प्लांट के लिए 10.30 प्रति टन प्रति किमी किराया दिया जाएगा।

जबकि पहले एसीसी के गगल प्लांट के लिए 11.41 रुपये और अंबुजा सीमेंट्स के दाड़लाघाट इकाई के लिए 10.58 रुपये था। मल्टी एक्सल 24 टन ट्रकों की नई दरें दोनों इकाइयों के लिए 9.30 रुपये प्रति टन प्रति किलोमीटर होंगी। इसके परिणामस्वरूप हिमाचल प्रदेश के ग्राहकों को लाभ पहुंचाने वाली माल ढुलाई दरों में कुल मिलाकर 10-12 प्रतिशत की कमी आएगी। कहा कि वह मुख्यमंत्री, उपसमिति के सदस्यों और परिवहन संघों के सभी हितधारकों तथा हिमाचल प्रदेश राज्य के समग्र हित में यह पहल करने के लिए आभारी हैं। वहीं बीडीटीएस के महासचिव प्रदीप ठाकुर ने कहा है कि किराया भाड़ा भले ही कम हुआ है। लेकिन इस वार्ता में बीडीटीएस को एसीसी से प्रतिदिन 10 हजार मीट्रिक टन सीमेंट ढुलाई की बात तय हुई है। इसमें 3,500 मीट्रिक टन क्लींकर शामिल है। वहीं पंजाब के लिए सीमेंट की ढुलाई भी बीडीटीएस ही करेगी। इन प्लांट्स के बंद होने के बाद यहां से करीब 85 कर्मचारियों को ट्रांसफर किया गया था। लेकिन अब प्लांट खुलने के बाद संभावना जताई जा रही है कि उनकी दोनों प्लांट में वापसी होगी।
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