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Jaipur: हक की लड़ाई, सच का साथ और लोगों की मदद से बनाई पहचान, प्रदेश में सब हैं मुरीद, जानें कौन है ये युवा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर Published by: अर्पित याज्ञनिक Updated Mon, 06 Feb 2023 03:07 PM IST
सार

राजस्थान में एक ऐसा युवा, जिसने युवाओं की हक की लड़ाई के लिए सरकार से लोहा लेने से लेकर कोर्ट तक जाने तक किया संघर्ष। मुकदमे झेलकर भी युवाओं को दिलाया उनका हक।

Upen Yadav made his own identity in Rajasthan
उपेन यादव - फोटो : social media

विस्तार

हक की लड़ाई, सच का साथ और लोगों की मदद को हमेशा आगे रहने वाले युवा फिल्मों में ही नहीं रियल लाइफ में भी देखने को मिलते हैं। राजस्थान में एक ऐसा ही युवा है, जिससे सैंकड़ों की संख्या में युवा मदद मांगने आते हैं। शायद ही ऐसा कोई युवा होगा जो इनके दरबार में आया और उनकी मदद इसने न की हो। युवा तो युवा यहां तो विधायक भी सलाह मांगने आते हैं। इस युवा का नाम पूरे राजस्थान में मशहूर है। बात हो रही है युवा नौजवान उपेन यादव की।



दृढ़ इच्छा शक्ति सरकार को किया मजबूर
6 फरवरी 2012 को नौजवान उपेन यादव ने पहली बार कुछ बेरोजगार युवाओं को साथ लेकर शिक्षक भर्ती के नियमों में बदलाव की मांग उठाई थी। उस दिन आज तक राजस्थान में उपेन यादव का नाम चर्चा में है। वर्ष 2012 में तृतीय श्रेणी शिक्षकों की भर्ती हो रही थी। इस दौरान उपने को सरकार के भर्ती नियम सही नहीं लगे और नियम बदलने के लिए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उनका ये आंदोनल कई महीनों तक चला। इनकी इस दृढ़ इच्छा शक्ति के आगे सरकार को इनकी वाजिब मांग माननी पड़ी। वर्ष 2013 तक तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती की मेरिट जिला स्तर पर बनती थी। बाद में उपेन यादव की मांग पर प्रदेश स्तरीय मेरिट बनने लगी।


कुशल समझ के मुरीद हो गए लाखों युवा
कम उम्र में ही कुशल समझ और अच्छी नेतृत्व क्षमता ने उपेन को नेता बना दिया। युवा बेरोजगार अपनी हर समस्या का समाधान कराने के लिए उपेन यादव के पास पहुंचने लगे। वर्ष 2012 में हुई आरटेट की परीक्षा में भी उपेन ने बड़ा आन्दोलन किया। इसके बाद हर भर्ती परीक्षाओं में होने वाली गड़बड़ी के खिलाफ उपेन सरकार और अफसरों के खिलाफ मोर्चा खोलने लगे। देखते ही देखते उपेन के पास हजारों युवा पहुंचने लगे। युवाओं के हक की लड़ाई लड़ते हुए उपेन यादव को 11 साल पूरे हो गए हैं। प्रदेश के युवाओं को सरकारी नौकरी दिलाने में उनकी हर लड़ाई में उपेन आगे रहे। यही वहज है कि आज करीब दो लाख युवा सरकारी नौकरी कर रहे हैं। युवाओं के हक के लिए उपेन हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ते हैं। 

युवाओं की लड़ाई में दर्ज हुए मुकदमें
पिछले 11 साल में उपेन यादव ने करीब 300 बार आन्दोलन किए हैं। बेरोजगार युवाओं की वाजिब मांगों के लिए धरना प्रदर्शन करते हुए उपेन यादव ने दर्जनों बार लाठियां खाई, लहुलुहान हुए और जेल गए। 8 बार आमरण अनशन किए और पुलिस द्वारा जबरन अस्पताल पहुंचाने पर कई दिनों तक आईसीयू में भर्ती रहना पड़ा। हर बार सरकार से लिखित आश्वासन या समझौता किए बिना कभी अनशन नहीं तोड़ा। बेरोजगारों के हक के लिए किए गए आंदोलनों के चलते उपेन के खिलाफ विभिन्न थानों में आठ मुकदमे दर्ज हैं।

नकल विरोधी कानून की उठाई मांग
पिछले कई सालों से विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं के पेपर लीक होते रहे हैं। पेपर लीक की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए तीन साल पहले उपेन यादव ने नकल विरोधी नया कानून बनाने की मांग उठाई। आखिरकार पिछले साल राज्स सरकार ने नया नकल विरोधी कानून बनाया, जिसमें कई सख्त प्रावधान किए गए। बेरोजगारों के हक के लिए किए गए आंदोलनों के चलते उपेन के खिलाफ विभिन्न थानों में आठ मुकदमे दर्ज हैं।

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