राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट शनिवार को सड़क मार्ग से दिल्ली चले गए। पार्टी सूत्रों ने बताया कि पायलट ने राजधानी जयपुर के बाहर एक होटल में पार्टी विधायकों की बैठक में भाग लिया। इसके बाद वह निजी कारणों से नई दिल्ली के लिए रवाना हो गए। सूत्रों के अनुसार पायलट रविवार को वापस आ सकते हैं।
सूत्रों ने कहा कि पायलट पार्टी नेतृत्व को राज्य में नवीनतम राजनीतिक परिदृश्य के बारे में जानकारी देंगे। इसी बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शुक्रवार से निजी रिसॉर्ट में डेरा डाले हुए हैं। उनके साथ पार्टी और निर्दलीय विधायक भी हैं। विधायकों से 19 जून तक रिसॉर्ट में ही रहने को कहा गया है। 19 जून को राज्यसभा चुनाव के लिए मतदान होने हैं।
राजस्थान से राज्यसभा की तीन सीटे हैं। कांग्रेस ने दो उम्मीदवारों- केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी को मैदान में उतारा है। वहीं भाजपा ने भी राजेंद्र गहलोत और ओमकार सिंह लखावत को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। मुख्यमंत्री ने भाजपा पर खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया है। गहलोत का कहना है कि राज्य सरकार को गिराने के लिए भाजपा विधायकों को लालच दे रही है।
यह भी पढ़ें- राज्यसभा चुनाव : राजस्थान में भी मुश्किल में कांग्रेस, गहलोत ने की विधायकों के साथ बैठक
गहलोत ने कहा, ‘भाजपा राजस्थान में मध्यप्रदेश की कहानी को दोहराना चाहती है।’ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और राज्य सरकार के अधीन एक विशेष एजेंसी के पास भी शिकायत दर्ज कराई है। इसमें आरोप लगाया गया है कि राजस्थान में बेहिसाब धनराशि आई है और इसके हवाला व्यापार के लिंक हो सकते हैं। विधायकों को लालच देकर संवैधानिक मानदंडों की धज्जियां उड़ाने की कोशिश करने वाले आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है।
पायलट कैंप के करीबी माने जाने वाले विधायक रमेश मीणा ने अज्ञात कारणों की वजह से खुद को कांग्रेस की बैठकों से दूर कर लिया है। कांग्रेस के पर्यवेक्षक टीएस सिंह देव ने कहा कि राज्य मंत्री होने के नाते मीणा को कांग्रेस विधायकों की बैठकों में भाग लेना चाहिए था। भाजपा द्वारा दूसरा प्रत्याशी खड़ा करने से कांग्रेस खेमे में हलचल शुरू हो गई है।
200 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ कांग्रेस के 107 विधायक हैं, साथ ही उसे 13 निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है। दो सीटों वाली सीपीआईएम और बीटीपी ने गहलोत सरकार को अपना सशर्त समर्थन दिया है। वहीं भाजपा के पास 72 विधायक हैं। राजद के तीन विधायकों ने भाजपा को समर्थन देने की बात कही है। प्रत्येक राज्यसभा सीट के लिए 51 मतों की आवश्यकता है, जिसके द्वारा कांग्रेस को आसानी से दो सीटें मिल सकती हैं, जबकि भाजपा को एक मिल सकती है।
राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट शनिवार को सड़क मार्ग से दिल्ली चले गए। पार्टी सूत्रों ने बताया कि पायलट ने राजधानी जयपुर के बाहर एक होटल में पार्टी विधायकों की बैठक में भाग लिया। इसके बाद वह निजी कारणों से नई दिल्ली के लिए रवाना हो गए। सूत्रों के अनुसार पायलट रविवार को वापस आ सकते हैं।
सूत्रों ने कहा कि पायलट पार्टी नेतृत्व को राज्य में नवीनतम राजनीतिक परिदृश्य के बारे में जानकारी देंगे। इसी बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शुक्रवार से निजी रिसॉर्ट में डेरा डाले हुए हैं। उनके साथ पार्टी और निर्दलीय विधायक भी हैं। विधायकों से 19 जून तक रिसॉर्ट में ही रहने को कहा गया है। 19 जून को राज्यसभा चुनाव के लिए मतदान होने हैं।
राजस्थान से राज्यसभा की तीन सीटे हैं। कांग्रेस ने दो उम्मीदवारों- केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी को मैदान में उतारा है। वहीं भाजपा ने भी राजेंद्र गहलोत और ओमकार सिंह लखावत को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। मुख्यमंत्री ने भाजपा पर खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया है। गहलोत का कहना है कि राज्य सरकार को गिराने के लिए भाजपा विधायकों को लालच दे रही है।
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गहलोत ने कहा, ‘भाजपा राजस्थान में मध्यप्रदेश की कहानी को दोहराना चाहती है।’ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और राज्य सरकार के अधीन एक विशेष एजेंसी के पास भी शिकायत दर्ज कराई है। इसमें आरोप लगाया गया है कि राजस्थान में बेहिसाब धनराशि आई है और इसके हवाला व्यापार के लिंक हो सकते हैं। विधायकों को लालच देकर संवैधानिक मानदंडों की धज्जियां उड़ाने की कोशिश करने वाले आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है।
पायलट कैंप के करीबी माने जाने वाले विधायक रमेश मीणा ने अज्ञात कारणों की वजह से खुद को कांग्रेस की बैठकों से दूर कर लिया है। कांग्रेस के पर्यवेक्षक टीएस सिंह देव ने कहा कि राज्य मंत्री होने के नाते मीणा को कांग्रेस विधायकों की बैठकों में भाग लेना चाहिए था। भाजपा द्वारा दूसरा प्रत्याशी खड़ा करने से कांग्रेस खेमे में हलचल शुरू हो गई है।
200 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ कांग्रेस के 107 विधायक हैं, साथ ही उसे 13 निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है। दो सीटों वाली सीपीआईएम और बीटीपी ने गहलोत सरकार को अपना सशर्त समर्थन दिया है। वहीं भाजपा के पास 72 विधायक हैं। राजद के तीन विधायकों ने भाजपा को समर्थन देने की बात कही है। प्रत्येक राज्यसभा सीट के लिए 51 मतों की आवश्यकता है, जिसके द्वारा कांग्रेस को आसानी से दो सीटें मिल सकती हैं, जबकि भाजपा को एक मिल सकती है।