वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आम बजट 1 फरवरी 2023 को पेश होगा। नए वित्त वर्ष को लेकर देश की जनता और बाजार को काफी उम्मीदें हैं। पुराने बजट से किसी को नाराजगी है तो किसी को आगामी बजट को लेकर बेहतर की आस लगी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह पांचवा बजट होगा और नरेंद्र मोदी सरकार का यह 11वां बजट होगा। भारत तेजी से मैन्यूफैक्चरिंग हब बन रहा है और इसमें भारतीय कंपनियां बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। स्मार्ट टीवी, ईयरबड्स, मोबाइल निर्माण आदि के क्षेत्र में भारतीय कंपनियां विदेशी कंपनियों को कड़ी टक्कर दे रही हैं। स्मार्टवॉच और ऑडियो सेगमेंट में तो घरेलू ब्रांड ने बाहरी कंपनियों को पीछे ही छोड़ दिया है।आगामी बजट 2023 को लेकर अमर उजाला ने कुछ भारतीय टेक कंपनियों के सीईओ से बात की है। आइए जानते हैं कि भारतीय टेक कंपनियों के सीईओ बजट को लेकर क्या सोचते हैं...
अवनीत सिंह मारवाह, CEO SPPL
सरकार को वास्तव में कर प्रारूप में बदलाव करने की आवश्यकता है जिसमें कम से कम 40 इंच तक के टीवी के लिए जीएसटी दर को 28 प्रतिशत से 18 प्रतिशत में बदलना शामिल है। सरकार को ओपन सेल के आयात पर 5 फीसदी कस्टम ड्यूटी लगाने का फैसला वापस लेना चाहिए। इसके अलावा एलईडी टीवी को पीएलआई योजना में शामिल किया जाना चाहिए। अधिक निवेश करने की योजना बनाते समय उद्यमियों और उद्योग को सुरक्षित महसूस करना चाहिए। भारतीय निर्माताओं ने महामारी के दौरान भी अर्थव्यवस्था को सहारा देने की पूरी कोशिश की है।
अमित खत्री, को-फाउंडर, Noise
भारत विश्व स्तर पर सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में उभर रहा है, जिसका मुख्य कारण देश में व्याप्त उद्यमशीलता की भावना और वैश्विक विपरीत परिस्थितियों के प्रभाव को कम करने के लिए सरकार के निरंतर प्रयास हैं। अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप हब भारत होने जा रहा है। भारत सरकार की पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) योजना गेम चेंजर साबित हो रही है। पीएलआई स्किम से मेक इन इंडिया को काफी बल मिल रहा है। बजट 2023 से भी यही उम्मीद है कि इस तरह की अन्य योजनाएं शुरू हों जिससे मेक इंडिया को बढ़ावा मिले। इस तरह की स्किम से घरेलू ब्रांड को काफी मदद मिलती है।
अशोक राजपाल, मैनेजिंग डायरेक्टर, Ambrane
बजट 2023 का बजट भारतीय विनिर्माण और निवेश को बढ़ावा देने वाला होगा। विनिर्माण या मेक इंडिया को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए सरकार को निजी क्षेत्र को सब्सिडी और राजकोषीय प्रोत्साहन प्रदान करना चाहिए। कॉर्पोरेट करों में कमी और विभिन्न पीएलआई कार्यक्रमों के कार्यान्वयन से घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिला है, हालांकि अतिरिक्त मेक इन इंडिया योजनाओं और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माताओं के लिए प्रोत्साहन के साथ बढ़ावा देने की आवश्यकता है। उद्योग में अधिक निजी निवेश और भागीदारी को आकर्षित करने के लिए पीएलआई पहलों का विस्तार किया जाएगा।
ललित अरोड़ा, सह-संस्थापक, VINGAJOY
यह देखते हुए कि रोजगार और आर्थिक विकास का समर्थन करने में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का महत्वपूर्ण योगदान है। इसकी ग्रोथ को बढ़ाना लंबे समय से भारत सरकार के एजेंडे में प्रमुखता से शामिल रहा है। बजट 2022-2023 कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माताओं को निराश छोड़ दिया गया, क्योंकि इन उत्पादों पर कोई रियायत या जीएसटी रैशनलाइजेशन नहीं दिया गया था। केंद्रीय बजट 2023-2024 से हम बजट में सुधारों की उम्मीद करते हैं जो उपभोक्ता मांग द्वारा इस सेक्टर के ग्रोथ को तेज करेगा। हियरएबल डिवाइसेज एक नया चलन है, यह सही समय है कि कंज्यूमर डिवाइस कैटेगरीज के तहत हियरएबल डिवाइसेज को भी प्रोत्साहित किया जाए। अब तक किसी भी हियरएबल डिवाइसेज योग्य किसी विशिष्ट सरकारी प्रोत्साहन नीति या सब्सिडी द्वारा समर्थित नहीं है। साथ ही भारत में रिसर्च एंड डेवलपमेंट/डिजाइनिंग को प्रोत्साहित करना और नई सप्लाई प्रक्रियाओं को बढ़ावा देना होगा।