सड़कें तप रही हैं। पारा 40 पार हो चला है। धूप इतनी तीखी कि झुलसा दे...। भट्ठी सा तपते ट्रकों के डाले...। उनमें वो ठुंसे हुए चले आ रहे हैं। भूख-प्यास से बेहाल...। बेचैन ? समझ में ही नहीं आता कि बेचैनी की वजह क्या है? भूख? प्यास? रोजी-रोजगार छिनने का डर? ...या फिर वो भट्ठी, जिसमें वो सफर करने को मजबूर हैं? पर सुकूं हैं कि सिर पर तिरपाल है। जिंदगी की तल्ख धूप में सिर पर कुछ तो है!!! ये एहसास भी एक सहारा ही है।
लॉकडाउन-4 के पहले दिन लखनऊ में सारे इंतजाम ध्वस्त हो गए। सोमवार को काकोरी में एक्सप्रेस-वे के टोल प्लाजा और निगोहां बॉर्डर पर ट्रक-टैंकर, डाला-लोडर आदि वाहनों में भरकर आ रहे श्रमिकों को रोकने का पुलिस-प्रशासन का दावा हवाई साबित हुआ।
लॉकडाउन-4 के पहले दिन लखनऊ में सारे इंतजाम ध्वस्त हो गए। सोमवार को काकोरी में एक्सप्रेस-वे के टोल प्लाजा और निगोहां बॉर्डर पर ट्रक-टैंकर, डाला-लोडर आदि वाहनों में भरकर आ रहे श्रमिकों को रोकने का पुलिस-प्रशासन का दावा हवाई साबित हुआ।