Odisha Famous Temple: विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा शुरू हो चुकी है। भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल होने के लिए लाखों श्रद्धालु देशभर से ओडिशा के पुरी पहुंचे। रथ यात्रा में शामिल होने के अलावा साल भर भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए पुरी स्थित मंदिर में श्रद्धालु आते हैं। भगवान जगन्नाथ पुरी मंदिर अपनी प्राचीनता और मान्यताओं के कारण विश्व विख्यात है। इस मंदिर से जुड़ी कई कहानियां और चमत्कारों की बातें की जाती है। मंदिर के ऊपर लहराने वाला झंडा हवा की उल्टी दिशा में लहराता है। मंदिर के ऊपर से कोई पक्षी या हवाई जहाज नहीं उड़ सकता। मंदिर परिसर में ही बनी रसोई में भगवान को भोग मटकियों में बनता है, जिसमें सबसे ऊपर वाली मटकी के अंदर का भोग सबसे पहले पकता है और इस दौरान चूल्हे के सीधे संपर्क में आने वाली सबसे नीचे वाली मटकी के अंदर का भोग जलता भी नहीं। ऐसे ही न कई चमत्कार पर्यटकों को जगन्नाथ पुरी मंदिर की ओर आकर्षित करते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि ओडिशा में जगन्नाथ पुरी मंदिर के अलावा भी कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। इन मंदिरों की भी अपनी महिमा है। अगर आप ओडिशा जा रहे हैं तो पुरी में भगवान जगन्नाथ के मंदिर जाने के साथ ही वहां के अन्य प्रसिद्ध मंदिरों के भी दर्शन जरूर करें। ये रही ओडिशा के मशहूर मंदिरों की सूची।
भुवनेश्वर का लिंगराज मंदिर
लिंगराज मंदिर पुरी के जगन्नाथ मंदिर का सहायक शिव मंदिर है। जगन्नाथ धाम जाने वाले श्रद्धालु लिंगराज मंदिर में दर्शन करके अपनी यात्रा को पूरा करते हैं। भुवनेश्वर शहर के प्राचीन और सबसे बड़े मंदिरों में लिंगराज मंदिर शामिल हैं। यहां भगवान शिव की हरिहर के रूप में पूजा की जाती है, जिसमें शिव और विष्णु एक संयुक्त रूप में विराजमान हैं। लिंगराज मंदिर कलिंग और देउला शैली से बनाया गया है। मंदिर को चार भागों में बांटा गया है, जिस में गर्भ गृह, यज्ञ शाला, भोग मंडप और नाट्यशाला शामिल है। मंदिर के आंगन में देवी भगवती को समर्पित मंदिर है।
कोणार्क सूर्य मंदिर
ओडिशा आने वालों के लिए कोणार्क सबसे आकर्षक गंतव्य है। कोणार्क सूर्य मंदिर भारत के सात अजूबों में से एक है, जिसकी नक्काशी को देखने के लिए पर्यटक दूर दूर से आते हैं। इस मंदिर को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया है। कोणार्क सूर्य मंदिर में भगवान सूर्यनारायण विराजमान हैं। मंदिर को 13वीं शताब्दी में बनवाया गया था। कोणार्क सूर्य मंदिर के चारों तरफ 12 रथ के पहिए लगे हुए हैं, जिसे 7 घोड़े खींच रहे हैं। इसके बीच में सूर्य देवता विराजमान है।
मुक्तेश्वर मंदिर
भुवनेश्वर में ही मुक्तेश्वर मंदिर है। इस मंदिर को 10वीं शताब्दी में बनाया गया था। कलिंग शैली का उत्कृष्ट उदाहरण इस मंदिर में देखने को मिलता है। मंदिर के शीर्ष पर देवताओं की मूर्तियां है, जिसमें बौद्ध प्रभाव नजर आता है। मंदिर की एक खास बात ये है कि यहां लगे तोरण या मेहराब को महिलाओं के गहनों या दूसरी जटिल डिजाइनों से तैयार किया गया है।
राजरानी मंदिर
भुवनेश्वर में राजा रानी मंदिर स्थित है, जिसे प्रेम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल मंदिर में जोड़ों की कुछ कामुक नक्काशी देखने को मिलती है। इस मंदिर में 11वीं शताब्दी के कलिंग वास्तुकला का नमूना देखने को मिलता है। मंदिर की मूर्तियां भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह को दर्शाती हैं। हालांकि मंदिर के गर्भगृह में कोई भी चित्र नहीं है, इसलिए मंदिर को हिंदू धर्म के किसी विशेष संप्रदाय से जुड़ा हुआ नहीं माना जाता। मंदिर की खास बात यह कि इसका निर्माण तभी हुआ था, जब जगन्नाथ मंदिर बना था।