Parenting Mistakes: हर माता पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे संस्कारी बने, साथ ही पढ़ाई लिखाई में होशियार और आत्मविश्वास से भरपूर हों। हालांकि बच्चे में इन गुणों को लाने के लिए माता पिता को परवरिश पर ध्यान देने की जरूरत होती है। बच्चे को होशियार, आत्मनिर्भर और कॉन्फिडेंस बनाने के लिए माता पिता काफी कोशिश करते हैं। लेकिन कई बार बच्चे का बर्ताव अभिभावक की सोच से अलग होता है। कई बच्चों में आत्मविश्वास की कमी होती है और वह दब्बू बन जाते हैं। लोगों के सामने बात करने में बच्चों में झिझक होती है। क्या आपको पता है बच्चे के इस तरह के व्यवहार की वजह क्या है? बच्चे के दब्बू व्यवहार के पीछे माता पिता की परवरिश में कुछ गलतियां हो सकती हैं। वैसे तो कई माता पिता बच्चे को ऐसा बनता नहीं देखना चाहता लेकिन कुछ गलतियों के कारण बच्चे के व्यवहार में आत्मविश्वास की कमी होने लगती है। आइए जानते हैं अभिभावकों की गलती जिससे बच्चे बन सकते हैं दब्बू।
तुलना करना
अक्सर अभिभावक बच्चे के सामने दूसरे बच्चे से उसकी तुलना करते हैं। माता पिता ऐसा बच्चे को दूसरे बच्चों के समझ कॉम्पिटेटिव बनाने के लिए करते हैं। लेकिन इससे बच्चे को नीचा महसूस हो सकता है और उनके मन में दूसरे बच्चे के प्रति ईर्ष्या, हिंसा और द्वेष पैदा हो सकता है। माता पिता का अक्सर अपने बच्चे के सामने दूसरे बच्चे की तारीफ करना भी उस के आत्मविश्वास को ठेस पहुंचा सकता है।
अधिक सख्ती
बच्चों को अनुशासन में रखना जरूरी है। माता पिता बच्चों को अनुशासन में रहना सिखाने के लिए कुछ सख्ती करते हैं। लेकिन जरूरत से ज्यादा सख्ती बच्चे के मन में डर डाल सकती है। डर के कारण बच्चा अपने दिल की बात किसी से शेयर नहीं कर पाता और उनका आत्मविश्वास कम हो जाता है। बच्चे पर जरूरत से अधिक सख्ती न करें, बल्कि उन्हें सबके बीच सहज महसूस कराने की कोशिश करें।
उत्साहवर्धन की कमी
बच्चे की गलतियों या शैतानियों पर उसे डांटते हैं तो उनके अच्छे कार्यों पर बच्चे का उत्साहवर्धन करना चाहिए। लेकिन कई बार माता पिता बच्चे का उत्साहवर्धन नहीं करते, इससे बच्चे के मन को ठेस पहुंचती है। वह बेहतर करने की कोशिश के बाद भी माता पिता से तारीफ न मिलने पर निराश हो जाता है और दब्बू बनने लगता है।
डांटना-मारना
बच्चे की गलती पर उसे जरूरत से अधिक डांटना या पीटना भी अभिभावकों की गलती है। माता पिता का यह व्यवहार बच्चे को डरा सकता है। मारपीट से बच्चे के अंदर आत्मविश्वास की कमी आ जाती है और उसे लगता है कि वह जो भी कार्य कर रहा है वह गलत होगा।