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SVS: युवाओं में अंधेपन का खतरा बढ़ा रही है ये आदत, विशेषज्ञों की चिंता- 70 फीसदी युवा आबादी इसकी शिकार
हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Fri, 09 Jun 2023 07:30 PM IST
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आंखों की समस्याओं के बारे में जानिए
- फोटो : iStock
स्मार्टफोन्स के अधिक इस्तेमाल को स्वास्थ्य विशेषज्ञ कई प्रकार से हानिकारक मानते हैं। बढ़े हुए स्क्रीन टाइम को अध्ययनों में तमाम प्रकार की बीमारियों का प्रमुख कारण माना जाता रहा है। यह आंखों के लिए भी बहुत नुकसानदायक है। नेत्र रोग विशेषज्ञों का कहना है कि जिस प्रकार से युवा आबादी अपना ज्यादातर समय मोबाइल फोन्स के स्क्रीन के नजदीक बिता रही है, इससे स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम (एसवीएस) होने का खतरा बढ़ गया है, एक ऐसी समस्या जो आंखों की रोशनी जाने का कारण बन सकती है।
यदि कोई व्यक्ति लंबे समय तक अंधेरे में फोन का इस्तेमाल करता है तो इससे दृष्टि संबंधी समस्याओं का जोखिम काफी बढ़ जाता है, यह स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम (एसवीएस) का कारण बन सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि 70 फीसदी युवा आबादी में इसका जोखिम हो सकता है, जोकि बड़ी चिंता है।
अगर इस समस्या पर ध्यान न दिया जाए या फिर इसका उपचार न हो पाए तो इससे अंधेपन तक का खतरा हो सकता है। आइए एसवीएस की इस समस्या के बारे में समझते हैं।
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अंधेरे में मोबाइल का इस्तेमाल हानिकारक
- फोटो : istock
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युवाओं में बढ़ रही है स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम की समस्या
डॉक्टर कहते हैं, युवा आबादी में आंखों की रोशनी कम होने की एक प्रमुख वजह फोन पर ज्यादा समय बिताने की आदत है, खासतौर पर अंधेरे में। अगर आप रात के समय लाइट बंद करके आंखों से कुछ ही दूरी पर रखकर फोन को 1-2 घंटे भी देखते रहते हैं, तो यह आपमें एसवीएस की समस्या का कारण बनने के लिए पर्याप्त है।
एक ऐसी ही घटना में 30 वर्षीय महिला को अपने आंखों की रोशनी गंवानी पड़ गई।
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मोबाइल के कारण दृष्टि की समस्याएं
- फोटो : iStock
मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल आखिर क्यों खतरनाक है?
मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल नुकसानदेह है पर अगर आप अंधेरे में इसका इस्तेमाल करते हैं तो ये और भी दिक्कतों को बढ़ाने वाली समस्या हो सकती है।
दृष्टि की समस्याएं मुख्य रूप से तब होती हैं जब आंखों की मांसपेशियां अत्यधिक उपयोग के कारण थक या कमजोर हो जाती हैं। इससे स्पष्ट रूप से देखने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। दूसरी तरफ डिजिटल स्क्रीन गर्मी और नीली रोशनी उत्पन्न करते हैं, स्क्रीन्स को बहुत देर तक देखते समय स्वाभाविक तौर पर हम अपनी आंखें भी कम बार झपकाते हैं। इस वजह से ड्राई आइज, धुंधलापन और आंखों से संबंधित अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
मोबाइल जैसे उपकरणों से निकलने वाली नीली रोशनी रेटिना को नुकसान पहुंचाती है। दूसरी ओर, स्क्रीन की चकाचौंध, आंखों पर दबाव डालती है जिससे भी आंखों को नुकसान पहुंचता है।
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कमजोर हो सकती है रोशनी
- फोटो : iStock
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आपको हो सकती हैं इस तरह की दिक्कतें
केवल स्मार्टफोन ही नहीं, अगर आप अंधेरे कमरे में टीवी-लैपटॉप या अन्य किसी भी स्क्रीन को देखते हैं तो इसके कारण भी आंखों की दिक्कतें बढ़ सकती हैं। इसके शुरुआती लक्षणों में आंखों में दर्द और थकान के साथ धुंधली दृष्टि, आंखों से पानी आने, कम दिखाई देने जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
युवा, चूंकि रात में मोबाइल का इस्तेमाल अधिक करते हैं इसके कारण उनमें यह समस्या बढ़ती जा रही है। इससे बचाव करना बहुत आवश्यक है।
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आंखों को स्वस्थ रखने का करें उपाय
- फोटो : Pixabay
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स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम से कैसे बचें
आंखों की किसी भी समस्या को कम करने के लिए जरूरी है कि आप डिजिटल स्क्रीन टाइम को कम करें।
20 मिनट तक स्क्रीन पर देखने के बाद ब्रेक जरूर लें। आंखों को आराम देने के लिए पलकों को बार-बार झपकाएं।
20-20-20 नियम का प्रयोग करें- हर 20 मिनट में 20 सेकंड के लिए 20 फीट की दूरी पर देखें।
सावधान रहें और कोशिश करें कि काम या पढ़ाई के दौरान पर्याप्त रोशनी सुनिश्चित करें।
अंधेरे कमरे में फोन देखने से बचना चाहिए।
यदि आपका ऐसी जॉब करते है जहां लंबे समय तक स्क्रीन पर समय बिताना पड़ता है, तो नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेकर ब्लू रे चश्मा बनवाएं।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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