बच्चों को कई तरह की बीमारियां होती हैं, जिनके बारे में उनके माता-पिता को पता नहीं चल पाता। इसी में से एक बीमारी है पिनवार्म यानी बच्चों के पेट में कीड़े होना। हालांकि, ये बीमारी किसी को भी हो सकती है। डाइजेस्टिव अग्नि जब कमजोर होती है तो इससे कफ दोष असंतुलित हो जाते हैं और फिर इसी वजह से पेट में कीड़े होने की समस्या जन्म लेती है। ये कीड़े वो परजीवी होते हैं, जो आंतों को संक्रमित कर देते हैं और ये परजीवी छोटे और सफेद रंग के होते हैं। ये कोलोन और रेक्टम को संक्रमित करते हैं। ऐसे में अगर पेट में हो रहे इन कीड़ों का समय रहते इलाज नहीं किया गया, तो यूरिन इन्फेक्शन की समस्या हो सकती है। तो चलिए जानते हैं इससे बचने के कुछ घरेलू उपायों के बारे में।
क्या हैं इसके कारण?
क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर पेट में कीड़े कैसे हो जाते हैं? अगर नहीं, तो इसके पीछे कई कारण है जिस वजह से पेट में कीड़े हो जाते हैं। इसका सबसे पहला कारण है दूषित पानी पीना। ऐसे पानी में पिनवार्म परजीवी होते हैं और जब कोई दूषित पानी पीता है तो पिनवार्म उसकी आंतों में जाकर विकसित हो जाते हैं और फिर आंतों को संक्रमित कर देते हैं। दूसरा कारण है कि अगर आप रोज नहीं नाहते हैं तो आपके पेट में कीड़े हो सकते हैं और साथ ही अगर आपके कपड़ें अच्छे से नहीं धुलते हैं, तो भी आपके पेट में कीड़े हो सकते हैं क्योंकि ये गंदगी से भी जन्म लेते हैं। इसके अलावा अगर बच्चे मिट्टी खाते हैं, तो उन्हें पेट की कई समस्याओं से जूझना पड़ता है, जिसमें से एक पेट में कीड़े होना है।
लक्षणों पर ध्यान दीजिए
अगर आपके बच्चे को पिनवार्म यानी उसके पेट में कीड़े हैं, तो आप ये जानेंगे कैसे कि वो इस समस्या से जूझ रहा है। इसके लिए कुछ ऐसे लक्षण हैं, जिनकी मदद से आप अपने बच्चे में इस समस्या को पहचान सकते हैं। इसका सबसे पहला और नॉर्मल लक्षण ये है कि अगर आपके बच्चे के पेट में कभी-कभी अचानक दर्द उठता है, तो आप ये समझ लीजिए कि उसके पेट में कीड़े हो सकते हैं। इसके अलावा गुदा यानी Anus में खुजली होना और वो भी ज्यादातर रात के समय खुजली होना, बच्चे को उल्टी होना, उसमें चिड़चिड़पन होना और पेशाब करते वक्त जलन होना। ये सभी इसके मुख्य लक्षण हैं।
ये बदलाव लाना है जरूरी
अगर आपके या आपके बच्चे के पेट में कीड़े हैं, तो फिर आपको अपनी जीवन शैली और अपने आहार में कुछ बदलाव लाने चाहिए और ये आपके लिए जरूरी हैं। सबसे पहले आपको नॉर्मल साबुन की जगह एंटीबायोटिक साबुन का इस्तेमाल ही करना चाहिए, ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। मांसाहारी भोजन से आपको दूरी बना लेनी चाहिए। मांसाहारी भोजन आपके लिए बिल्कुल भी सही नहीं है। फल और सब्जियां जो भी खाएं, उन्हें अच्छे तरीके से और साफ पानी से धोकर ही खाएं। साथ ही अपने खाने में गाजर और गोभी को शामिल करें। इसके अलावा बाहर के खाने यानी जंक फूड खाना पूरी तरह बंद कर दें।
ये हैं घरेलू उपाय
अब उन घरेलू उपायों के बारे में जानते हैं जो आपकी इस समस्या को कम करने में काफी मददगार साबित हो सकते हैं। लहसुन इसमें आपकी काफी मदद कर सकता है। आपको करना ये है कि लहसुन की 3-4 कलियों को छील लें और फिर पीसकर उनका पेस्ट बना लें, जिसे फिर रोगी के गुप्तांगों और गुदा पर कम से कम 15 मिनट तक लगा कर रख दें। इसके बाद गुनगुने पानी से उसे धो लें। इसे दिन में दो से तीन बार करें। वहीं, लौंग के तेल में एंटीसेप्टिक और एंटी माइक्रो बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो इस समस्या के लिए काफी सही होते हैं। इसलिए थोड़े से लौंग के तेल के साथ एक छोटे चम्मच नारियल के तेल को मिलाकर रोगी के जननांगों में रातभर लगाकर छोड दें। इसके अलावा तीन कप पानी में आधा कप सिरका मिलाएं, और फिर इससे रोगी के जननांगों को धो दें। ये उस वक्त करें, जब रोगी बाथरूम जाएं। इन सब घरेलू उपायों से काफी राहत मिलेगी।