निर्माता, निर्देशक मेहुल कुमार की सुपरहिट फिल्म 'तिरंगा' अब भी राष्ट्रीय पर्वों पर किसी न किसी टीवी चैनल पर प्रसारित होती जरूरत दिख जाती है। 29 जनवरी 1993 को रिलीज हुई इस फिल्म की रिलीज के 30 साल पूरे होने के मौके पर मेहुल ‘अमर उजाला’ के साथ इस फिल्म की मेकिंग के कई दिलचस्प किस्से साझा किए। फिल्म में नाना पाटेकर के आने का किस्सा जितना गजब है, उतना ही अजब किस्सा साउथ के सुपरस्टार रजनीकांत का इस फिल्म में काम करने से मना करने का भी है। राज कुमार और नाना पाटेकर को लेकर बनी इस फिल्म के मुहूर्त से ही लोगों ने ही मेहुल को डराना शुरू कर दिया था, लेकिन अपनी धुन के पक्के मेहुल कुमार ने न सिर्फ ये फिल्म पूरी की बल्कि इसकी गिनती हिंदी सिनेमा की बेहतरीन सुपरहिट फिल्मों में भी हुई।
मेहुल कुमार बताते हैं, फिल्म ‘तिरंगा’ की शूटिंग शुरू करने से पहले मैंने फिल्म का एलान एक ब्रॉडशीट फिल्म पत्रिका में तीन पेज का विज्ञापन देकर किया था लेकिन तब तक नाना पाटेकर फिल्म में आए नहीं थे लिहाजा दूसरे पेज पर सिर्फ एक पुलिसवाले की पीठ की फोटो थी। नाना पाटेकर से पहले मेरी रजनीकांत और नसीरुद्दीन शाह से भी मुलाकात हो चुकी थी। लोग मुझसे पूछते थे कि दूसरे पेज पर किस हीरो की तस्वीर है? इस किरदार के लिए मैंने रजनीकांत को मद्रास जाकर स्क्रिप्ट सुनाई थी। उनकी हिम्मत ही नहीं पड़ी राज कुमार के साथ काम करने की। फिर मैंने नसीर भाई को कहानी सुनाई। उन्होंने भी यही कारण बताकर न बोल दिया। इसके बाद हमारे पब्लिसिटी डिजाइनर आत्म राम ने नाना पाटेकर को लेने का सुझाव दिया।'
मेहुल कुमार ने नाना पाटेकर से फिल्म ‘तिरंगा’ के लिए संपर्क किया तो उन्होंने भी राज कुमार के साथ दिक्कत होने की बात कहकर फिल्म में काम करने से मना कर दिया। बहुत समझाने बुझाने पर वह माने तो उन्होंने बहुत स्पष्ट शब्दों में एक शर्त रख थी। मेहुल कुमार के मुताबिक नाना ने कहा, ‘अगर राज साहब (राजकुमार) ने शूटिंग के बीच में दखलअंदाजी की तो मैं सेट छोड़कर चला जाऊंगा और वापस कभी नहीं आऊंगा।’ इस पर मेहुल कुमार ने नाना को राज कुमार के साथ अपनी ये तीसरी फिल्म होने का हवाला दिया और ये भी बताया कि उनकी पटकथा में कोई बदलाव सेट पर नहीं होगा। नाना अपनी शर्त इसी शर्त पर फिल्म ‘तिरंगा’ में काम करने को राजी हुए।
लेकिन, राजकुमार के साथ काम करने को लेकर सिर्फ नाना पाटेकर ही आशंकित हो ऐसा भी नहीं था। राज कुमार भी नाना के अल्हड़ स्वभाव से पूरी तरह से वाकिफ थे। मेहुल कुमार के मुताबिक, ‘राज साहब ने कहा कि अरे, नाना पाटेकर तो सेट पर लड़ाई झगड़ा करता है।' फिर राजकुमार को नाना पाटेकर की शर्त बताई गई तो वह सफाई देने लगे, 'मेहुल, मैंने तुम्हारे सेट पर कभी किसी को कुछ बोला है क्या?' और, इस तरह से फिल्म ‘तिरंगा’ की शूटिंग शुरू हुई। मुहूर्त के दिन ही इंडस्ट्री के एक बहुत बड़े मेकर मेहुल को बधाई देने पहुंचे और हाथ दबाकर बोले, ‘भगवान करे तेरा ये तिरंगा खूब लहराए, मेहुल! तुम एक पूरब तो दूसरा पश्चिम को लेकर तुम फिल्म बना रहे हो।’
बात सही भी थी कि एक कलाकार पूरब था तो दूसरा पश्चिम। दोनों का तालमेल होना आसान नहीं था। मेहुल कुमार बताते हैं, 'शुरुआत में राज साहब और नाना पाटेकर एक दूसरे से घुल मिल नहीं पाते थे लेकिन जन्मदिन के गाने 'पी ले पी ले ओ मेरे राजा, पी ले पी ले ओ मेरे जानी' की शूटिंग के दौरान दोनों के बीच दोस्ती अच्छी हो गई। फिर तो दोनों साथ में ही खाना खाते थे। लंबी लंबी गप्पे मारते रहते। संगीत के लिए मैंने लक्ष्मीकांत प्यारेलाल को लिया तो उन्होंने संतोष आनंद से गाने लिखवाने की सलाह दी। फिल्म का नाम 'तिरंगा' सुनते ही वह गाने लिखने को तैयार हो गए। वह आठ दिन के लिए मुंबई आए और फिल्म के सभी गाने लिखे।’