सोमवार शाम यमुना खतरे के निशान के ऊपर पहुंच गई। हथिनीकुंड बैराज से रविवार को छोड़े गए पानी के कारण दिल्ली में चार दशक की सबसे बड़ी बाढ़ का खतरा है। सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अधिकारियों के साथ बैठक कर यमुना के किनारे बसे 24 हजार लोगों को हटाने के निर्देश दिए हैं।
सरकार ने उनके लिए 2100 से ज्यादा अस्थायी टेंट बनाए हैं। पुराने लोहे के पुल को वाहनों के लिए बंद कर दिया गया है। केंद्रीय जल आयोग ने कहा है कि दिल्ली में बाढ़ का सबसे ज्यादा खतरा मंगलवार रात से लेकर बुधवार सुबह तक है। इसे लेकर सभी जिम्मेदार महकमे अलर्ट पर हैं।
पुरानी दिल्ली रेलवे ब्रिज पर दोपहर करीब तीन बजे जल स्तर 205.20 मीटर पर था। यह खतरे के निशान के बहुत करीब है। खतरे का निशान 205.33 मीटर है। इसके रात तक खतरे के निशान से ऊपर पहुंचने की आशंका है। हालात को देखते हुए पुराने लोहे के पुल पर वाहनों की आवाजाही रोक दी गई है। हालांकि पुल के ऊपर से धीमी गति के साथ ट्रेन की आवाजाही हो रही है।
सरकार की चिंता इस बात को लेकर है कि रविवार को हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया करीब 21 लाख क्यूसेक पानी 72 घंटे में दिल्ली पहुंच जाएगा। यमुना खतरे के निशान से ऊपर पहुंच जाएगीी। डूब क्षेत्र में तो पानी भरेगा ही, उत्तरी और पूर्वी दिल्ली के भी कई इलाकों में पानी भरने की आशंका है।
गौरतलब है कि 1978 में यमुना में सबसे बड़ी बाढ़ आई थी। उस वक्त ताजेवाला से एक बार में 7 लाख क्यूसेक के आसपास पानी छोड़ा गया था। इससे दिल्ली में यमुना का जल स्तर 207.49 मीटर तक पहुंच गया था। उत्तरी दिल्ली के मॉडल टाऊन, जहांगीरपुरी, मुखर्जीनगर, गांधी नगर, नेहरू विहार समेत कई इलाकों में बाढ़ का पानी पहुंच गया था। इस बार खतरा और ज्यादा है। इस बार पानी की तादाद बेहद ज्यादा है।
यमुना में गाद भी पहले की अपेक्षा ज्यादा है। 2013 में भी जल स्तर 207 मीटर के करीब पहुंचा था तो रिंग रोड स्थित महाराणा प्रताप बस अड्डे के पास की सड़क पर भी पानी आ गया था।